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प्रस्तावना

10 नवम्बर 2025 के The Indian Express UPSC Key में तीन अत्यंत महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स विषयों पर चर्चा की गई है —

वैश्विक जलवायु कूटनीति से जुड़ा COP30 सम्मेलन (ब्राज़ील)

भारत की मध्य एशिया में सामरिक उपस्थिति — आयनी एयरबेस से वापसी

और, स्वास्थ्य से जुड़ी एक नई चिंता — इनडोर एयर क्वालिटी स्केल

इन तीनों विषयों की परस्पर कड़ियाँ समझना — चाहे वह पर्यावरणीय नीति हो, भू-राजनीति हो या सार्वजनिक स्वास्थ्य — UPSC की प्रिलिम्स व मेंस दोनों परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी है।

COP30 सम्मेलन 2025: ब्राज़ील के बेलें शहर में ‘Implementation’ पर केंद्रित शिखर सम्मेलन

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 30वें पक्षकार सम्मेलन (COP30) की शुरुआत 10 नवम्बर 2025 को ब्राज़ील के बेलें शहर में हुई — जो अमेज़न वर्षावन के हृदय में स्थित है।
यह सम्मेलन पेरिस समझौते (2015) के 10 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। इसे “Implementation COP” कहा जा रहा है क्योंकि अब देश अपने वादों से आगे बढ़कर ठोस और कार्यान्वित जलवायु कार्रवाइयों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

COP30 के मुख्य बिंदु

थीम और फोकस:
COP30 का व्यापक विषय है — “Delivering on the Paris Promise” (पेरिस वादे को पूरा करना)।
इसमें तीन प्रमुख मूल्य निहित हैं — Implementation (कार्यान्वयन), Inclusion (समावेशन) और Innovation (नवाचार)
सम्मेलन में जलवायु अनुकूलन, शमन, वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों पर ज़ोर दिया गया है।

पेरिस समझौते का लक्ष्य:
2015 में अपनाया गया पेरिस समझौता यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि 2°C से कम रहे, और यथासंभव 1.5°C तक सीमित की जाए।
लेकिन मौजूदा आँकड़ों के अनुसार, यदि नए हस्तक्षेप नहीं किए गए, तो तापमान 2.6°C से 3.1°C तक बढ़ सकता है।

भागीदारी:
लगभग 198 देश इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जो वैश्विक जलवायु सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सम्मेलन की अवधि 10–21 नवम्बर 2025 है, जबकि 6–7 नवम्बर को राष्ट्र प्रमुखों का शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ।

COP30 की कार्ययोजना के छह स्तंभ (Six Pillars)

COP30 की जलवायु रणनीति छह आधारभूत स्तंभों पर आधारित है —

Mitigation (शमन): ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाना और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण

Adaptation (अनुकूलन): समुदायों व ढाँचों को जलवायु प्रभावों से अधिक लचीला बनाना

Finance (वित्त): वैश्विक जलवायु पहलों के लिए धन जुटाना

Technology (प्रौद्योगिकी): स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को बढ़ावा देना

Capacity Building (क्षमता निर्माण): स्थानीय शासन और संस्थागत दक्षता को सुदृढ़ करना

Means of Implementation (कार्यान्वयन साधन): प्रतिबद्धताओं को नीति ढाँचों में रूपांतरित करना

जलवायु वित्त रोडमैप: बाकू से बेलें तक (Baku to Belém Roadmap)

COP30 का प्रमुख एजेंडा “Baku to Belém Climate Finance Roadmap” है,
जिसका उद्देश्य वर्ष 2035 तक प्रति वर्ष $1.3 ट्रिलियन जुटाना है।

यह योजना “5R Framework” पर आधारित है —

Replenishing: अनुदान और रियायती फंड

Rebalancing: ऋण राहत और राजकोषीय संतुलन

Rechanneling: निजी निवेश का प्रवाह

Revamping: क्षमता निर्माण को बढ़ाना

Reshaping: न्यायपूर्ण और समान वितरण तंत्र विकसित करना

NCQG (New Collective Quantified Goal):
मौजूदा $100 बिलियन वार्षिक फंड को बढ़ाकर $300 बिलियन प्रति वर्ष (2035 तक) करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि विकासशील देशों को अनुमानित, निरंतर और पर्याप्त जलवायु वित्त उपलब्ध कराया जा सके।

भारत की भूमिका और स्थिति

भारत का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में सम्मेलन में भाग ले रहा है।
ब्राज़ील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

भारत ने COP30 को “COP of Adaptation” कहकर संबोधित किया और यह रेखांकित किया कि अब समय है —
विश्वास पुनर्स्थापना, अनुदान-आधारित वित्तीय सहायता, और विकसित देशों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का।

भारत की जलवायु उपलब्धियाँ

2005 से 2020 के बीच GDP की उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी

गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोत अब कुल स्थापित क्षमता का 50% से अधिक

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक (लगभग 200 GW क्षमता)

वन और वृक्ष आवरण कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17%

भारत ने ब्राज़ील की Tropical Forests Forever Facility (TFFF) में Observer के रूप में शामिल होकर उष्णकटिबंधीय वनों की रक्षा हेतु सामूहिक वैश्विक प्रयासों को समर्थन दिया है।

UPSC के लिए उपयोगी दृष्टिकोण

COP30 सम्मेलन पेरिस समझौते के एक दशक बाद कार्यान्वयन पर केंद्रित है।

जलवायु वित्त, तकनीकी सहयोग और भारत की ‘Adaptation’ रणनीति UPSC Mains के GS Paper 2 व 3 के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।

भारत की पर्यावरणीय उपलब्धियाँ — Emission Intensity Reduction, Non-fossil Capacity, Forest Expansion — स्थायी विकास पर निबंधों में केस स्टडी के रूप में प्रयोग की जा सकती हैं।

भारत की आयनी एयरबेस से वापसी: मध्य एशिया में दो दशक की सामरिक उपस्थिति का अंत

एक महत्वपूर्ण सामरिक विकास के तहत, भारत ने आधिकारिक रूप से ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस (Ayni Airbase) से अपनी सैन्य उपस्थिति समाप्त कर दी है।
यह कदम मध्य एशिया में भारत की दो दशकों पुरानी रणनीतिक मौजूदगी के अंत को दर्शाता है।
यह वापसी प्रक्रिया 2022 में चुपचाप शुरू हुई थी और 2023 तक पूरी हो गई।
इसकी जानकारी सार्वजनिक रूप से अक्टूबर 2025 के अंत में सामने आई।

आयनी एयरबेस का रणनीतिक महत्व

स्थान और भौगोलिक स्थिति:
आयनी एयरबेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से लगभग 10 किमी पश्चिम और अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से लगभग 20 किमी दूरी पर स्थित है।
इस स्थान ने भारत को कई सामरिक दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्वपूर्ण पहुँच प्रदान की —

पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) के नज़दीक निगरानी क्षमता

चीन के शिनजियांग प्रांत की गतिविधियों पर दृष्टि

मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ सामरिक जुड़ाव

अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों तक तीव्र पहुँच

भारत का निवेश और ढाँचा विकास

पिछले दो दशकों में भारत ने इस सोवियत युग की पुरानी एयरबेस को आधुनिक रूप देने में लगभग $80 मिलियन (लगभग ₹660 करोड़) का निवेश किया।
इसका पुनर्विकास Border Roads Organisation (BRO) द्वारा किया गया।

मुख्य सुधार कार्य:

3,200 मीटर लंबी रनवे का पुनर्निर्माण — जो लड़ाकू विमानों और भारी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट दोनों के लिए उपयुक्त था।

हैंगर, फ्यूल डिपो और नियंत्रण टावरों का निर्माण।

अत्याधुनिक Air Traffic Control (ATC) प्रणाली की स्थापना।

पूर्ण सैन्य संचालन हेतु आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया।

अपने संचालन के चरम पर, यहाँ लगभग 200 भारतीय सैन्यकर्मी (थल सेना और वायुसेना दोनों) तैनात थे,
साथ ही Mi-17 हेलिकॉप्टर और कुछ Sukhoi-30MKI जेट विमान भी तैनात थे।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उद्देश्य

भारत ने ताजिकिस्तान में अपनी उपस्थिति की शुरुआत 1998 में फरखोर बेस (Farkhor Base) से की थी,
जो लगभग 2008 तक संचालित रहा।
इसके बाद आयनी बेस भारत का दूसरा विदेशी बेस बना।

इसका मुख्य उद्देश्य था —
अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ रहे "Northern Alliance" को सहायता प्रदान करना,
जिसमें लॉजिस्टिक्स, हवाई सहयोग और खुफिया गतिविधियाँ शामिल थीं।

नॉर्दर्न अलायंस से संबंध

"Northern Alliance" एक बहु-जातीय सैन्य गठबंधन था,
जिसका नेतृत्व अहमद शाह मसूद कर रहे थे और जो 1996 से 2001 के बीच तालिबान शासन का विरोध कर रहा था।

भारत ने इस गठबंधन को कई प्रकार की सहायता दी —

नकद आर्थिक सहायता

ज़मीनी रडार और संचार उपकरण

विमान रखरखाव के लिए तकनीकी विशेषज्ञ

उच्च पर्वतीय युद्ध के लिए उपकरण

और Farkhor में एक Field Hospital की स्थापना, जहाँ 25 भारतीय सेना के डॉक्टर तैनात थे।

भारतीय तकनीशियन MiG और Sukhoi लड़ाकू विमानों की मरम्मत भी करते थे।

2021 का अफगान निकासी अभियान

अगस्त 2021 में जब तालिबान ने पुनः अफगानिस्तान पर कब्जा किया,
भारत ने अपने नागरिकों और दूतावास कर्मियों की निकासी हेतु Ayni Airbase का उपयोग किया।
यह निकासी सैन्य और नागरिक विमानों दोनों के माध्यम से संचालित हुई थी।

वापसी के कारण

आधिकारिक बयान के अनुसार,
भारत और ताजिकिस्तान के बीच एयरड्रोम पुनर्विकास समझौता 2022 में समाप्त हुआ,
जिसके बाद यह सुविधा ताजिक सरकार को लौटा दी गई।

हालाँकि, राजनयिक सूत्रों का मानना है कि
रूस और चीन के दबाव ने इस निर्णय को काफी प्रभावित किया,
क्योंकि दोनों देश मध्य एशिया में प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति माने जाते हैं।
ताजिकिस्तान की सरकार ने भारत की लीज़ नवीनीकृत करने से परहेज़ किया।

भारत के लिए रणनीतिक प्रभाव

यह वापसी भारत की रणनीतिक गहराई में कमी को दर्शाती है, जिसके कई आयाम हैं —

1. सैन्य उपस्थिति:
आयनी भारत का एकमात्र पूर्ण विकसित विदेशी सैन्य अड्डा था।
इससे भारत को रूस-चीन प्रभुत्व वाले क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में मदद मिलती थी।

2. भू-राजनीतिक प्रभाव:
यह बेस भारत को पाकिस्तान और अफगान-पाक सीमा के आसपास निगरानी की सामरिक क्षमता देता था।
साथ ही, चीन के शिनजियांग क्षेत्र पर दृष्टि रखने का अवसर भी।

3. क्षेत्रीय शक्ति संतुलन:
इस बेस की समाप्ति से भारत की मध्य एशिया में स्थायी उपस्थिति बनाए रखने की क्षमता कमज़ोर हुई है,
जबकि भारत लंबे समय से Connect Central Asia Policy के ज़रिए इस क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाना चाहता है।

UPSC दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण बिंदु

Prelims के लिए:

आयनी एयरबेस: दुशांबे से 10 किमी पश्चिम

भारत का निवेश: $80 मिलियन

निर्माण एजेंसी: BRO

लीज समाप्ति: 2022

स्थानिक महत्त्व: वाखान कॉरिडोर के पास

Mains के लिए:

GS Paper-2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध): भारत-ताजिकिस्तान संबंध, भारत की मध्य एशिया नीति

GS Paper-3 (आंतरिक सुरक्षा): भारत की विदेशों में सामरिक उपस्थिति, रूस-चीन प्रभाव, क्षेत्रीय शक्ति संतुलन

भारत का पहला इनडोर एयर क्वालिटी स्केल: घर के भीतर छिपे स्वास्थ्य संकट का समाधान

जहाँ बाहरी (outdoor) वायु प्रदूषण को लेकर मीडिया और नीतियों में काफी ध्यान दिया जाता है, वहीं
BITS पिलानी, हैदराबाद के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया है कि
घर के अंदर की हवा (indoor air) अक्सर बाहर की हवा से 2 से 5 गुना अधिक प्रदूषित और हानिकारक होती है।

इसी गंभीर समस्या के समाधान के लिए प्रोफेसर शंकर गणेश और डॉ. अतुन रॉय चौधरी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने
भारत का पहला कस्टमाइज़्ड इनडोर एयर क्वालिटी (IAQ) स्केल विकसित किया है।

इनडोर एयर प्रदूषण: छिपा हुआ संकट

1. वास्तविकता:
भारतीय लोग अपने दिन का लगभग 90% समय घर के भीतर बिताते हैं।
इसके बावजूद देश में इनडोर वायु गुणवत्ता की निगरानी और नियमन के लिए
कोई ठोस व्यवस्था या मानक प्रणाली मौजूद नहीं है।

2. प्रदूषण के प्रमुख स्रोत:

निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल

खाना पकाने से निकलने वाला धुआँ

घरेलू ईंधन, क्लीनिंग एजेंट, अगरबत्ती

और घर में जमा जैविक कचरा

इन सभी कारणों से हवा में विषैले रासायनिक तत्व इकट्ठे होते हैं, जो बिना दिखे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार —
हर साल 3.2 मिलियन (32 लाख) मौतें केवल घरेलू वायु प्रदूषण से जुड़ी होती हैं।
भारत में यह आँकड़ा 7 लाख से अधिक मौतें प्रतिवर्ष है।

सबसे अधिक प्रभावित समूह हैं:
👶 बच्चे | 👵 बुजुर्ग | 🤰 गर्भवती महिलाएँ | 😷 पहले से अस्थमा या श्वसन रोग से पीड़ित व्यक्ति

भारत का पहला IAQ स्केल: मुख्य विशेषताएँ

यह स्केल पारंपरिक एयर प्यूरीफायर से बहुत अधिक उन्नत है,
क्योंकि यह केवल PM और ह्यूमिडिटी नहीं बल्कि कई प्रकार के प्रदूषकों को वैज्ञानिक तरीके से मापता है।

यह अध्ययन Royal Society of Chemistry Journal में प्रकाशित हुआ है।

चार प्रमुख मानदंड (Weighted Parameters):

मानदंडवेटेज (%)
प्रदूषण सांद्रता (Pollution Concentration)59.5%
एक्सपोज़र टाइम (Exposure Time)25.9%
वेंटिलेशन दक्षता (Ventilation Efficiency)9.8%
इनक्लोज़र साइज (Enclosure Size)4.4%

स्कोरिंग प्रणाली:
स्केल 22 से 100 तक चलता है –
जहाँ 22 सबसे खराब और 100 सर्वोत्तम इनडोर हवा का संकेत देता है।

यह भारतीय परिस्थितियों के अनुसार तैयार किया गया है —
जैसे शहरी भीड़भाड़, छोटे घरों का आकार, और सीमित वेंटिलेशन।

मुख्य प्रदूषक तत्व (Major Indoor Pollutants)

बेंजीन (Benzene) – सबसे खतरनाक प्रदूषक

उत्पत्ति: अरोमैटिक डिसइंफेक्टेंट्स, ईंधन, सॉल्वेंट

दीर्घकालिक प्रभाव: ल्यूकेमिया, एनीमिया, जन्म-दोष, कैंसर

WHO द्वारा इसे “प्रमाणित कैंसरजनक (Carcinogen)” माना गया है।

कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)

स्रोत: गैस स्टोव, अगरबत्ती, तेल आधारित हीटर, चारकोल ग्रिल

प्रभाव: ऑक्सीजन की कमी, सिरदर्द, बेहोशी, विषाक्तता

पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10)

उत्पत्ति: खाना पकाने, झाड़-पोंछ करने जैसी गतिविधियों से

बंद घरों में ये कण इकट्ठे होकर सांस लेने में कठिनाई बढ़ाते हैं।

वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (Volatile Organic Compounds – VOCs)

स्रोत: पेंट्स, क्लीनर्स, फ्यूल, परफ्यूम आदि।

मीथेन (Methane)

स्रोत: बिना अलग किए सड़े-गले जैविक कचरे से।

प्रभाव: ओज़ोन परत को नुकसान, ग्राउंड-लेवल ओज़ोन निर्माण, श्वसन तंत्र पर असर।

यह CO₂ से 80 गुना अधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है (20 वर्षों के पैमाने पर)।

इनडोर प्रदूषण के अप्रत्याशित स्रोत

शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे स्रोत भी चिन्हित किए हैं जिन्हें लोग आमतौर पर नज़रअंदाज़ करते हैं —

सुगंधित डिसइंफेक्टेंट्स: बेंजीन और VOCs छोड़ते हैं।

अगरबत्ती जलाना: बंद कमरे में अधूरा दहन प्रदूषण बढ़ाता है।

कचरा सड़ना: बिना विभाजन के गीला कचरा मीथेन बनाता है।

निर्माण सामग्री: सीमेंट-धूल और पेंट VOCs को बढ़ाते हैं।

सर्दी का मौसम: घर बंद रहने से विषाक्तता बढ़ती है।

घर में वायु गुणवत्ता सुधारने के सरल उपाय

1. वेंटिलेशन बढ़ाएँ:
सुबह-शाम खिड़कियाँ खोलें, खाना पकाने के समय एग्जॉस्ट फैन ज़रूर चलाएँ।

2. कचरा विभाजन करें:
गीला और सूखा कचरा अलग रखें ताकि मीथेन न बने।

3. अगरबत्ती व धूप का नियंत्रित उपयोग करें:
सीमित जलाएँ या प्राकृतिक विकल्प अपनाएँ।

4. प्राकृतिक फ्रेशनर:
सिंथेटिक एयर फ्रेशनर के बजाय हर्बल या एसेंशियल ऑयल वाले उपयोग करें।

5. सफाई में केमिकल का प्रयोग कम करें:
नियमित सफाई रखें, लेकिन रासायनिक क्लीनर कम मात्रा में लें।

UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्त्व

Prelims:

IAQ स्केल – BITS पिलानी, हैदराबाद द्वारा विकसित।

प्रदूषण 2–5 गुना अधिक इनडोर हवा में।

प्रमुख प्रदूषक – Benzene, CO, PM2.5, VOCs, Methane

Mains (GS-3 – Environment / Science & Tech):

भारत में पर्यावरणीय स्वास्थ्य नीति की कमी।

स्वदेशी तकनीक आधारित निगरानी प्रणाली का विकास।

इनडोर वायु प्रदूषण – सस्टेनेबल अर्बन लिविंग का अहम हिस्सा।

निष्कर्ष

यह अध्ययन भारत में वायु प्रदूषण विमर्श को एक नए आयाम में ले जाता है।
जहाँ अब तक ध्यान केवल “आउटडोर एयर” पर था,
वहीं अब यह स्पष्ट है कि स्वस्थ भारत के लिए इनडोर हवा की निगरानी अनिवार्य है।

BITS पिलानी की यह पहल न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से अग्रणी है,
बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और सस्टेनेबल हाउसिंग मॉडल की दिशा में भी बड़ा कदम है।