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परिचय (Introduction)

प्रोजेरिया या हचिंसन-गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम (HGPS) एक अत्यंत दुर्लभ आनुवांशिक विकार है जो बच्चों में तेजी से बुढ़ापे की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। यह बीमारी प्रति 40 लाख से 80 लाख नवजात शिशुओं में से केवल एक को प्रभावित करती है।​

विश्वभर में लगभग 350-400 बच्चे इस बीमारी के साथ जीवन जी रहे हैं, जबकि भारत में अनुमानतः 60 से अधिक मामले हैं, जिनमें से केवल 25% की पहचान हो पाई है। यह विषय न केवल चिकित्सा विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि UPSC प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के साइंस एंड टेक्नोलॉजी तथा करंट अफेयर्स सेक्शन के लिए भी प्रासंगिक है।​

प्रोजेरिया क्या है? (What is Progeria?)

प्रोजेरिया एक आनुवांशिक बीमारी है जो LMNA (लैमिन A) जीन में म्यूटेशन के कारण होती है। यह जीन एक प्रोटीन का निर्माण करता है जो कोशिका के नाभिक (nucleus) की संरचना को बनाए रखने में मदद करता है।​

जब इस जीन में उत्परिवर्तन होता है, तो प्रोजेरिन नामक एक असामान्य और विषाक्त प्रोटीन का निर्माण होता है। यह प्रोटीन कोशिकाओं की नाभिकीय झिल्ली को अस्थिर बना देता है, जिससे कोशिकाएं तेजी से बूढ़ी होने लगती हैं।​

प्रमुख तथ्य:

यह एक ऑटोसोमल डॉमिनेंट विकार है, लेकिन लगभग सभी मामलों में यह नया म्यूटेशन (de novo mutation) होता है​

माता-पिता या भाई-बहनों में यह बीमारी सामान्यतः नहीं पाई जाती​

यह म्यूटेशन शुक्राणु में गर्भधारण से पहले होता है​

लक्षण और नैदानिक विशेषताएं (Symptoms and Clinical Features)

प्रोजेरिया से पीड़ित शिशु जन्म के समय सामान्य दिखते हैं, लेकिन जीवन के पहले वर्ष या दो वर्षों के भीतर लक्षण प्रकट होने लगते हैं।​

शारीरिक लक्षण:

त्वचा पर झुर्रियां और बालों का झड़ना (alopecia)​

चेहरे के मुकाबले सिर का असमानुपातिक रूप से बड़ा होना​

छोटा जबड़ा (micrognathia) और नुकीली नाक​

त्वचा के नीचे वसा की परत का नुकसान

आंखों का असामान्य रूप से उभरा हुआ होना​

विकास में गंभीर देरी (वजन और ऊंचाई दोनों में कमी)​

जोड़ों में अकड़न और हिप डिस्लोकेशन​

हृदय संबंधी समस्याएं:

एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में प्लाक का जमाव)​

हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम​

उच्च रक्तचाप और हृदय का बढ़ना​

महत्वपूर्ण: बच्चों की बुद्धि और मानसिक विकास सामान्य रहता है, और उनकी बुद्धि औसत से ऊपर भी हो सकती है।​

जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)

प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चों की औसत जीवन प्रत्याशा 13 से 15 वर्ष होती है। लगभग 90% मामलों में मृत्यु एथेरोस्क्लेरोसिस की जटिलताओं, जैसे हृदयाघात या स्ट्रोक, के कारण होती है।​

हालांकि, कुछ असाधारण मामलों में मरीज 20 वर्ष से अधिक जीवित रह सकते हैं। जबलपुर, मध्य प्रदेश के श्रेयश बरमाटे ने जुलाई 2024 में अपना 18वां जन्मदिन मनाया, जो औसत जीवन प्रत्याशा से अधिक है।​

सैमी बासो (Sammy Basso) इटली के एक प्रोजेरिया रोगी और शोधकर्ता थे, जो 28 वर्ष की आयु तक जीवित रहे - जो क्लासिक प्रोजेरिया के साथ सबसे अधिक उम्र के ज्ञात व्यक्ति थे। उन्होंने 5 अक्टूबर 2024 को निधन किया।​

निदान और परीक्षण (Diagnosis and Testing)

प्रोजेरिया का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

शारीरिक परीक्षण: विशिष्ट चेहरे की विशेषताएं और वृद्धि पैटर्न​

आनुवांशिक परीक्षण: LMNA जीन में म्यूटेशन की पुष्टि​

एक्स-रे और इमेजिंग: हड्डियों की असामान्यताएं, जैसे एक्रो-ऑस्टियोलिसिस (दूरस्थ फालेंजेस का विलोपन)​

भारत में प्रोजेरिया रिसर्च फाउंडेशन (PRF) और मीडियामेडिक कम्युनिकेशंस "टीम निहाल" के बैनर तले "Finding the Other 60" जागरूकता अभियान चला रहे हैं, जिससे अनदेखे मामलों की पहचान हो सके।​

उपचार और प्रबंधन (Treatment and Management)

FDA-अनुमोदित दवा: Zokinvy (Lonafarnib)

Lonafarnib (Zokinvy) प्रोजेरिया के लिए पहली और एकमात्र FDA-अनुमोदित दवा है।​

अनुमोदन का इतिहास:

नवंबर 2020: अमेरिका में FDA द्वारा अनुमोदित​

जुलाई 2022: यूरोपीय संघ और ग्रेट ब्रिटेन में अनुमोदित​

जनवरी 2024: जापान में PMDA द्वारा अनुमोदित​

कैसे काम करती है:
Lonafarnib एक फार्नेसिलट्रांसफरेज इन्हिबिटर (FTI) है जो प्रोजेरिन प्रोटीन के निर्माण को रोकता है। यह दवा कोशिकाओं में दोषपूर्ण प्रोजेरिन या प्रोजेरिन जैसे प्रोटीन के संचय को रोकती है, जिससे कोशिकीय अस्थिरता और समय से पहले बुढ़ापा कम होता है।​

प्रभावशीलता:

नैदानिक परीक्षणों में मृत्यु दर में 60% की कमी देखी गई​

औसत जीवन प्रत्याशा में 2.5 वर्ष की वृद्धि

कई प्रोजेरिया रोगी 10 वर्षों से अधिक समय से Zokinvy थेरेपी प्राप्त कर रहे हैं​

दुष्प्रभाव: सबसे सामान्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (उल्टी, दस्त, मतली) हैं, और अधिकांश हल्के या मध्यम (Grade 1 या 2) गंभीरता की होती हैं।​

लागत: Zokinvy की लागत लगभग 1.4 बिलियन कोरियाई वॉन (USD 1 मिलियन) प्रति खुराक है, जो इसे अत्यधिक महंगा बनाती है।​

सहायक उपचार

शारीरिक चिकित्सा: जोड़ों की अकड़न और गतिशीलता समस्याओं के लिए​

हृदय संबंधी देखभाल: एथेरोस्क्लेरोसिस और हृदय रोग की निगरानी​

पोषण समर्थन: विकास में देरी के लिए​

सर्जिकल हस्तक्षेप: कुछ मामलों में कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी और/या एंजियोप्लास्टी​

नवीनतम शोध और सफलताएं (Latest Research and Breakthroughs)

1. जीन एडिटिंग थेरेपी (Gene Editing Therapy)

प्रोजेरिया रिसर्च फाउंडेशन की जीन थेरेपी टीम ने प्रोजेरिया माउस मॉडल में जीवनकाल में 140% की वृद्धि प्रदर्शित की है - यह खोज शीर्ष वैज्ञानिक पत्रिका Nature में प्रकाशित हुई।​

टीम अब FDA के साथ जुड़ने, दवा निर्माण और क्लिनिकल ट्रायल प्रोटोकॉल विकसित करने पर केंद्रित है। यदि सफल होता है, तो यह इन-विवो जीन-एडिटिंग द्वारा मल्टीसिस्टम बीमारी का पहला इलाज होगा।​

2. RNA-आधारित थेरेपी (RNA-based Therapy)

जुलाई 2025 में, कोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी (KRIBB) की एक शोध टीम ने दुनिया की पहली प्रिसिजन RNA-टार्गेटिंग थेरेपी विकसित की।​

यह थेरेपी RfxCas13d-आधारित "आणविक कैंची" का उपयोग करती है जो केवल रोग-कारक RNA ट्रांसक्रिप्ट को चुनिंदा रूप से हटाती है, सामान्य जीन की कार्यक्षमता को संरक्षित करती है। माउस मॉडल में, इस थेरेपी ने बालों का झड़ना, त्वचा का शोष, रीढ़ की वक्रता और गतिशीलता में कमी जैसे लक्षणों को काफी हद तक उलट दिया।​

3. स्टेम सेल मॉडल (Stem Cell Models)

अक्टूबर 2025 में, ब्राइटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने प्रोजेरिया के पहले आनुवांशिक रूप से स्थिर, लैब-विकसित स्टेम सेल मॉडल बनाए। ये "जीरो-फुटप्रिंट" स्टेम सेल्स शोधकर्ताओं को हृदय कोशिकाओं में रोग का अध्ययन करने और RNA-आधारित थेरेपी और स्मॉल-मॉलिक्यूल ड्रग्स का परीक्षण करने की अनुमति देते हैं।​

4. Angiopoietin-2 की भूमिका

अक्टूबर 2024 में, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के शोधकर्ताओं ने खोजा कि Angiopoietin-2 (Ang2) प्रोटीन प्रोजेरिया व्यक्तियों में काफी हद तक प्रभावित होता है, जो एंडोथेलियल कोशिकाओं के कार्य को प्रभावित करता है और हृदय संबंधी जटिलताओं का कारण बनता है। यह खोज प्रोजेरिया में हृदय रोग के लिए नए उपचारों का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।​

भारत में प्रोजेरिया: स्थिति और जागरूकता (Progeria in India: Status and Awareness)

भारत में अनुमानतः 60 बच्चे प्रोजेरिया से पीड़ित हैं, लेकिन केवल 15 मामलों (लगभग 25%) की पहचान हो पाई है।​

पहचाने गए मामले:

2016 तक, भारत में 7 रिपोर्ट किए गए मामले और संभावित 66 अनरिपोर्टेड मामले थे​

दिसंबर 2023 में, मध्य प्रदेश से एक 14 वर्षीय लड़के में प्रोजेरिया के एक वैरिएंट - मैंडिबुलोएक्रल डिसप्लासिया B - का पता चला, जो शायद पहला मामला था​

जुलाई 2024 में, श्रेयश बरमाटे (जबलपुर) ने 18 वर्ष की आयु पूरी की, जो औसत जीवन प्रत्याशा से अधिक है​

जागरूकता अभियान:
प्रोजेरिया रिसर्च फाउंडेशन और मीडियामेडिक कम्युनिकेशंस "टीम निहाल" के तहत "Finding the Other 60" अभियान चला रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य गांवों में जागरूकता फैलाना और चिकित्सकों को लक्षणों की पहचान में मदद करना है, ताकि तेजी से निदान और बेहतर जीवन गुणवत्ता प्राप्त हो सके।​

परीक्षा से संबंधित महत्व (Exam-Related Importance)

प्रोजेरिया विषय UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में निम्नलिखित रूपों में पूछा जा सकता है:

संभावित प्रश्न प्रकार:

आनुवांशिक विकारों पर MCQs (LMNA जीन, ऑटोसोमल डॉमिनेंट विकार)​

दुर्लभ रोग और FDA-अनुमोदित उपचारों पर प्रश्न​

जीन एडिटिंग और CRISPR तकनीक पर आधारित प्रश्न​

स्वास्थ्य देखभाल नवाचार और दुर्लभ रोग नीतियां

हालिया वैज्ञानिक सफलताएं (2024-2025 की खोजें)​

संबंधित विषय:

आनुवांशिक म्यूटेशन और विकार (सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया)​​

फार्नेसिलट्रांसफरेज इन्हिबिटर्स और प्रोटीन संश्लेषण​

स्टेम सेल अनुसंधान और पुनर्योजी चिकित्सा​

CRISPR-Cas9 और RNA-आधारित थेरेपी​

Why This Matters for Your Exam Preparation

1. साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Science & Technology) सेक्शन के लिए:

प्रोजेरिया UPSC के साइंस सेक्शन में आनुवांशिक विकार, जीन म्यूटेशन, और नवीनतम चिकित्सा प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्नों के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी है। LMNA जीन, प्रोजेरिन प्रोटीन, और फार्नेसिलेशन प्रक्रिया जैसे वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझना महत्वपूर्ण है।​

2. करंट अफेयर्स (Current Affairs) के लिए:

2024-2025 में प्रोजेरिया अनुसंधान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है:

जुलाई 2025: RNA-आधारित थेरेपी की सफलता​

अक्टूबर 2025: ब्राइटन विश्वविद्यालय द्वारा स्टेम सेल मॉडल​

अक्टूबर 2024: सैमी बासो का निधन और उनका योगदान​

अगस्त 2025: न्यू यॉर्कर पत्रिका में जीन एडिटिंग पर फीचर​

3. स्वास्थ्य नीति और समाज (Health Policy & Society):

भारत में 60 अज्ञात प्रोजेरिया मामलों की पहचान के लिए जागरूकता अभियान दुर्लभ रोग नीति, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच, और रोगी अधिकारों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करता है। यह UPSC मुख्य परीक्षा के निबंध और GS Paper-II (स्वास्थ्य क्षेत्र) के लिए प्रासंगिक है।​

4. बायोटेक्नोलॉजी और नैतिकता (Biotechnology & Ethics):

जीन एडिटिंग और CRISPR तकनीक के उपयोग से संबंधित नैतिक, कानूनी, और सामाजिक मुद्दे (ELSI) परीक्षा में पूछे जा सकते हैं। प्रोजेरिया के मामले में in-vivo जीन एडिटिंग की संभावना इस बहस को और गहन बनाती है।​

5. तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study):

प्रोजेरिया को अन्य आनुवांशिक विकारों जैसे डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, और सिकल सेल एनीमिया के साथ तुलनात्मक रूप से समझना चाहिए। यह आपको एक व्यापक दृष्टिकोण देगा और MCQs में भ्रामक विकल्पों से बचने में मदद करेगा।​

प्रमुख बिंदु: एक नजर में (Key Points: At a Glance)

पहलूविवरण
पूरा नामHutchinson-Gilford Progeria Syndrome (HGPS)​
आनुवांशिक कारणLMNA जीन में म्यूटेशन (c.1824C>T, p.G608G)​
प्रभावित प्रोटीनप्रोजेरिन (विषाक्त लैमिन A)​
प्रचलन1 प्रति 40-80 लाख जन्म​
वैश्विक मामले350-400 बच्चे​
भारत में मामलेअनुमानतः 60 (15 पहचाने गए)​
औसत जीवन प्रत्याशा13-15 वर्ष​
मृत्यु का मुख्य कारणहृदयाघात/स्ट्रोक (90% मामले)​
FDA-अनुमोदित दवाZokinvy (Lonafarnib)​
जीवनकाल वृद्धि+2.5 वर्ष (Lonafarnib के साथ)​
मृत्यु दर में कमी60% (Lonafarnib के साथ)​
नवीनतम सफलताRNA थेरेपी (जुलाई 2025)​
माउस मॉडल में जीवनकाल वृद्धि140% (जीन एडिटिंग के साथ)​

 

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रोजेरिया एक दुर्लभ लेकिन गंभीर आनुवांशिक विकार है जो बच्चों में तेजी से बुढ़ापे का कारण बनता है। हालांकि अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है, लेकिन Lonafarnib (Zokinvy) के अनुमोदन और RNA-आधारित थेरेपी तथा जीन एडिटिंग में हालिया सफलताओं ने इस क्षेत्र में आशा की किरण जगाई है।​

UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए, प्रोजेरिया एक बहुआयामी विषय है जो आनुवांशिकी, बायोटेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य नीति, नैतिकता, और वर्तमान वैज्ञानिक खोजों को जोड़ता है। इस विषय की गहन समझ न केवल प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के लिए भी उपयोगी है।

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