भारतीय नौसेना की समुद्री रक्षा क्षमता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज हुई है। 23 अक्टूबर 2025 को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा निर्मित पहला स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट 'माहे' (INS Mahe) भारतीय नौसेना को सौंपा गया। यह युद्धपोत भारत के तटीय जल क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है, और आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
INS Mahe क्या है? पूरी जानकारी
INS Mahe एक Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) है, जो विशेष रूप से तटीय और उथले पानी में पनडुब्बियों का पता लगाने, उनका पीछा करने और नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पुडुचेरी के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर माहे के नाम पर रखा गया है, जो भारत की समृद्ध समुद्री विरासत का प्रतीक है।
तकनीकी विशेषताएं और क्षमताएं
INS Mahe की प्रमुख तकनीकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
लंबाई और आकार: लगभग 78 मीटर लंबा और 1,100 टन विस्थापन क्षमता वाला यह युद्धपोत डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन से संचालित होने वाला भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है। यह संयोजन उच्च गतिशीलता और कम ध्वनि हस्ताक्षर प्रदान करता है, जो पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हथियार प्रणाली: यह जहाज हल्के टारपीडो, बहुकार्यात्मक एंटी-सबमरीन रॉकेट और उन्नत रडार एवं सोनार सिस्टम से सुसज्जित है। इसमें उन्नत माइन बिछाने की क्षमता भी है।
मिशन क्षमता: INS Mahe को पानी के नीचे निगरानी, खोज और बचाव अभियान तथा लो इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशन्स (LIMO) के लिए डिज़ाइन किया गया है।
स्वदेशीकरण: इस युद्धपोत में 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री और तकनीक का उपयोग हुआ है, जो इसे आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरण बनाता है।
निर्माण और डिज़ाइन
INS Mahe को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि ने स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित किया है। यह जहाज Det Norske Veritas (DNV) की वर्गीकरण नियमावली के अनुसार बनाया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है।
23 अक्टूबर 2025 को डॉ. एस. हरिकृष्णन, निदेशक (संचालन), कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और कमांडर अमित चंद्र चौबे, कमांडिंग ऑफिसर (डेजिग्नेट), माहे के बीच स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
ASW-SWC प्रोजेक्ट: 16 युद्धपोतों की श्रृंखला
भारतीय नौसेना ने कुल 16 Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft के निर्माण का आदेश दिया है, जिनमें से 8 कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) और 8 गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित किए जा रहे हैं।
CSL द्वारा निर्मित Mahe-class युद्धपोत: INS Mahe इस श्रृंखला का पहला जहाज है। इससे पहले INS Malvan, INS Mangrol, INS Malpe, INS Mulki और INS Magdala का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है।
GRSE द्वारा निर्मित Arnala-class युद्धपोत: GRSE ने पहले ही INS Arnala (मई 2025 में सौंपा गया) और INS Androth (सितंबर 2025 में सौंपा गया) को भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। जुलाई 2025 में GRSE ने अपनी श्रृंखला का अंतिम जहाज Yard 3034 (Ajay) भी लॉन्च किया।
इन 16 युद्धपोतों का निर्माण अप्रैल 2019 में रक्षा मंत्रालय और दोनों शिपयार्ड के बीच हस्ताक्षरित अनुबंध के तहत किया जा रहा है। ये जहाज Abhay-class ASW Corvettes की जगह लेंगे।
भारतीय नौसेना के लिए रणनीतिक महत्व
तटीय पनडुब्बी रोधी क्षमता में वृद्धि
INS Mahe और अन्य ASW-SWC जहाज भारतीय नौसेना की तटीय पनडुब्बी रोधी क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएंगे। भारत के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि:
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति: चीन लगातार हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा रहा है और अपने "रिसर्च" जहाजों के माध्यम से भारत की पनडुब्बियों और नौसैनिक गतिविधियों की निगरानी कर रहा है। 2008 से अब तक, चीन ने हिंद महासागर में 46 "रिसर्च" जहाज भेजे हैं जो वास्तव में जासूसी और पनडुब्बी ट्रैकिंग के लिए उन्नत सोनार से सुसज्जित हैं।
पाकिस्तान को चीनी पनडुब्बियां: चीन ने पाकिस्तान को Hangor-class पनडुब्बियां प्रदान की हैं, जिससे भारत के तटीय जल में पनडुब्बी खतरा बढ़ गया है। कुल 8 ऐसी पनडुब्बियों की बिक्री संभावित है।
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की सुरक्षा: भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और उथले तटीय जल क्षेत्रों में, जहां बड़े विध्वंसक और फ्रिगेट कार्य करने में सीमित हैं, ये ASW-SWC जहाज अत्यंत प्रभावी होंगे।
बहुआयामी परिचालन क्षमता
INS Mahe केवल पनडुब्बी रोधी अभियानों तक सीमित नहीं है। यह निम्नलिखित कार्यों में भी सक्षम है:
खोज और बचाव अभियान (Search and Rescue operations)
माइन बिछाना (Advanced mine-laying capabilities)
लो इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशन्स (LIMO)
तटीय निगरानी और गश्त (Coastal surveillance and patrol)
आत्मनिर्भर भारत और रक्षा उत्पादन में मील का पत्थर
INS Mahe आत्मनिर्भर भारत अभियान की एक बड़ी उपलब्धि है। इस परियोजना से जुड़े प्रमुख तथ्य:
90% स्वदेशी सामग्री: INS Mahe में 90% से अधिक घटक और तकनीक भारतीय निर्माताओं द्वारा आपूर्ति की गई है। यह भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता में आत्मविश्वास का परिचायक है।
रक्षा उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि: भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1,50,590 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 18% की वृद्धि दर्शाता है। वित्त वर्ष 2019-20 से यह 90% की भारी वृद्धि है।
रक्षा निर्यात में तेजी: भारत के रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में ₹23,622 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए, जो वित्त वर्ष 2022-23 के ₹15,900 करोड़ से 32.5% की वृद्धि दर्शाता है। भारत अब 85 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है।
Make in India का विस्तार: रक्षा क्षेत्र में FDI की सीमा ऑटोमैटिक रूट के तहत 74% और सरकारी रूट के तहत 100% तक बढ़ाई गई है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं।
स्वदेशी प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन: कोचीन शिपयार्ड को ASW-SWC की डिजाइन के लिए रक्षा मंत्री पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया। यह भारतीय डिजाइन और इंजीनियरिंग क्षमताओं की मान्यता है।
अन्य स्वदेशी नौसैनिक प्लेटफॉर्म
INS Mahe के साथ, भारत ने हाल के वर्षों में कई अन्य स्वदेशी नौसैनिक प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं:
INS Vikrant: भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत
Kalvari-class submarines: स्कॉर्पीन पनडुब्बियां भारत में लाइसेंस के तहत निर्मित
Project 77 submarines: परमाणु-संचालित हमला पनडुब्बियां
Kamorta-class ships: स्टील्थ क्षमताओं वाले फ्रंटलाइन युद्धपोत
UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
सिलेबस कनेक्शन:
Prelims: General Studies Paper-I (Current Events, Defence and Security)
Mains: General Studies Paper-III (Internal Security, Maritime Security, Indigenization of Defence Technology, Science & Technology)
प्रमुख तथ्य जो याद रखें:
INS Mahe 23 अक्टूबर 2025 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ
यह कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि द्वारा निर्मित पहला ASW-SWC है
90% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग
78 मीटर लंबा, डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन से संचालित
कुल 16 ASW-SWC जहाज निर्माणाधीन (8 CSL + 8 GRSE)
Abhay-class ASW Corvettes की जगह लेगा
Det Norske Veritas (DNV) मानकों के अनुसार निर्मित
हथियार: टारपीडो, एंटी-सबमरीन रॉकेट, उन्नत रडार और सोनार
उद्देश्य: तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियान, LIMO, माइन लेइंग
नाम पुडुचेरी के माहे बंदरगाह से लिया गया
रक्षा उत्पादन के आंकड़े:
वित्त वर्ष 2024-25: ₹1,50,590 करोड़ (18% वृद्धि)
रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2024-25: ₹23,622 करोड़
2029 तक लक्ष्य: ₹3 लाख करोड़ रक्षा उत्पादन
Why this matters for your exam preparation
भारतीय नौसेना में INS Mahe का शामिल होना UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स है। यहां बताया गया है कि यह आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों आवश्यक है:
सामरिक सुरक्षा का मुद्दा: INS Mahe भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, विशेष रूप से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति और पाकिस्तान की पनडुब्बी क्षमताओं के संदर्भ में। GS Paper-III में Internal Security और Maritime Security से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।
आत्मनिर्भर भारत का प्रत्यक्ष उदाहरण: 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ, यह जहाज Make in India और Aatmanirbhar Bharat पहल का जीता-जागता उदाहरण है। ये विषय GS Paper-III में Science & Technology और Economic Development खंड में महत्वपूर्ण हैं।
रक्षा विनिर्माण में प्रगति: भारत के रक्षा उत्पादन और निर्यात में हुई रिकॉर्ड वृद्धि (₹1,50,590 करोड़ और ₹23,622 करोड़) महत्वपूर्ण आंकड़े हैं जो Economy और Governance से संबंधित प्रश्नों में उपयोगी हैं।
तकनीकी नवाचार: डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन, उन्नत सोनार सिस्टम और DNV मानकों के अनुसार निर्माण जैसे तकनीकी पहलू Science & Technology खंड के लिए प्रासंगिक हैं।
भारत-चीन संबंध और हिंद महासागर भू-राजनीति: यह विषय GS Paper-II (International Relations) और GS Paper-III (Security Challenges) दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। चीन के "रिसर्च" जहाजों द्वारा हिंद महासागर में की जा रही जासूसी और पनडुब्बी ट्रैकिंग गतिविधियां एक बड़ा सुरक्षा मुद्दा हैं।
Public-Private Partnership (PPP) मॉडल: ASW-SWC परियोजना में GRSE और L&T Shipyard के बीच सहयोग, रक्षा क्षेत्र में PPP मॉडल की सफलता का उदाहरण है। यह Governance और Economic Development से जुड़े प्रश्नों में उपयोगी है।
Mains में निबंध और उत्तर लेखन: इस विषय से "आत्मनिर्भर भारत की चुनौतियां और अवसर", "भारत की समुद्री सुरक्षा", "रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण" जैसे निबंध और मेन्स उत्तर तैयार किए जा सकते हैं।
Interview के लिए: Current Defence Developments, India's Maritime Strategy, Make in India Success Stories जैसे विषय साक्षात्कार में चर्चा के लिए उत्कृष्ट हैं।
इस करेंट अफेयर्स को समझकर आप न केवल प्रारंभिक परीक्षा के लिए तैयार होंगे, बल्कि मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में भी इसका प्रभावी उपयोग कर सकेंगे। Atharva Examwise आपको हर दिन ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है।
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