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H2: भारत पर ट्रम्प का डबल टैरिफ: क्या हुआ?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आने वाले आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ की घोषणा की है, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया है—जो किसी भी देश पर लगाया गया सबसे ऊंचा स्तर है। यह दंडात्मक कदम 6 अगस्त 2025 को घोषित किया गया, औपचारिक रूप से भारत के रूसी तेल आयात को कारण बताते हुए। भारत ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और गैर-तर्कसंगत” बताया है।

H2: आर्थिक संदर्भ और व्यापार समीकरण

H3: रूस पर भारत की तेल निर्भरता

2025 की पहली छमाही में भारत ने रूस से औसतन करीब 1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया—जो कुल आयात का लगभग 35% है।

2022 से पहले रूस का हिस्सा 0.2% से भी कम था; यूक्रेन युद्ध व पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद डिस्काउंटेड रूसी क्रूड के कारण आयात तेजी से बढ़ा।

H3: व्यापार घाटे की बहस

FY 2024-25 में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार लगभग $131.84 बिलियन रहा; भारत ने $86.51 बिलियन निर्यात और $45.33 बिलियन आयात किया—यानी अमेरिका के विरुद्ध लगभग $41.18 बिलियन का अधिशेष।

कुछ विशेषज्ञ (जैसे GTRI) मानते हैं कि शिक्षा, डिजिटल सेवाएं, आईपी और रक्षा बिक्री जैसी कमाई जोड़ने पर अमेरिका को भारत के साथ समग्र रूप से $35-40 बिलियन का लाभ मिलता है।

H2: आर्थिक प्रभाव का आकलन

H3: GDP और वृद्धि पर असर

50% टैरिफ जारी रहने पर भारत की GDP वृद्धि में लगभग 0.3 प्रतिशत अंक तक कमी का जोखिम बताया जा रहा है; कुछ आकलन आधा प्रतिशत अंक से अधिक की गिरावट की आशंका जताते हैं।

H3: क्षेत्रवार संवेदनशीलता
सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र:

जेम्स और ज्वेलरी

टेक्सटाइल्स और परिधान

फार्मास्यूटिकल्स

केमिकल्स और ऑर्गेनिक्स

समुद्री उत्पाद और कृषि निर्यात

कम प्रभावित/अप्रत्यक्ष:

आईटी सेवाएं (टैरिफ के दायरे से बाहर)

स्टील/एल्युमिनियम (अलग व्यवस्थाएं लागू)

इलेक्ट्रॉनिक्स/सेमीकंडक्टर (वर्तमान में छूट)

नोट: भारत के अमेरिका को लगभग $86.5 बिलियन निर्यात में से बड़ा हिस्सा ऊंचे टैरिफ के दायरे में है, विशेषकर श्रम-प्रधान सेक्टरों पर दबाव बढ़ेगा।

H3: रोजगार और MSME पर असर

एमएसएमई/एसएमई इकाइयों के लिए लागत झटके को सहना कठिन। टेक्सटाइल, कालीन और फूड प्रोसेसिंग जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में ऑर्डर शिफ्ट होने से नौकरियों पर जोखिम बढ़ सकता है।

H2: रणनीतिक और भू-राजनीतिक पहलू

H3: ट्रम्प का “Balanced Trade” दृष्टिकोण

ट्रम्प मुक्त व्यापार के बजाय “संतुलित व्यापार (शून्य घाटा)” को “फेयर ट्रेड” मानते हैं—इसी वजह से उन्होंने कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे सहयोगियों पर भी टैरिफ लगाए हैं।

भारत पर दबाव का लक्ष्य:

अमेरिकी निर्यात के लिए भारतीय बाजार खोलना

भारत द्वारा अमेरिकी रक्षा/ऊर्जा खरीद बढ़वाना

द्विपक्षीय व्यापार घाटा घटाना/समाप्त करना

H3: भारत के तात्कालिक और दीर्घकालिक विकल्प

अल्पकालिक:

अमेरिकी LNG की खरीद बढ़ाना

रक्षा खरीद में अमेरिकी हिस्सेदारी बढ़ाना

कुछ अमेरिकी औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क में कटौती पर विचार

दीर्घकालिक:

निर्यात विविधीकरण (EU, ASEAN, UK पर जोर)

घरेलू विनिर्माण को तेज करना (Make in India)

आपूर्ति शृंखलाओं और लॉजिस्टिक्स सुधार

वैकल्पिक निपटान/भुगतान व्यवस्थाओं की खोज

H3: ऊर्जा सुरक्षा की दुविधा

रूसी कच्चे तेल के 1.75 मिलियन बैरल/दिन के विकल्प खोजना कठिन और महंगा हो सकता है—कुल आयात बिल सालाना $9-11 बिलियन बढ़ सकता है।

संभावित विकल्प: इराक, सऊदी अरब, यूएई—परंतु कीमत/उपलब्धता जोखिम।

H2: BRICS और बहुपक्षीय परिप्रेक्ष्य

BRICS देशों ने एकतरफा टैरिफ को WTO नियमों के विरुद्ध बताया; वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों (जैसे “BRICS Pay”, CIPS) पर काम तेज।

ट्रम्प ने BRICS-समर्थक कदम उठाने वाले देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी भी दी—संघर्ष का दायरा बढ़ सकता है।

H2: क्षेत्रीय तुलना और संदर्भ
50% टैरिफ से भारत उच्चतम-कराधान वाले अमेरिकी व्यापार साझेदारों में आ गया:

ब्राजील: 50%

कनाडा: 35%

बांग्लादेश: 37% से वार्ता के बाद 20%

यूरोपीय संघ: 15% (फ्रेमवर्क समझौते के तहत)

ताइवान: 20%

यह भारत की “China+1” और “Friend-shoring” रणनीतियों को कमजोर कर सकता है और विनिर्माण में हालिया निवेश लाभों को उलट सकता है।

H2: परीक्षा-उपयोगी बिंदु (बुलेट रूप में)

मुख्य तथ्य:

अमेरिका द्वारा भारत पर कुल 50% टैरिफ; औपचारिक कारण: रूसी ऊर्जा आयात

भारत का अमेरिका के विरुद्ध माल व्यापार अधिशेष: ~$41 बिलियन (FY24-25)

GDP वृद्धि पर संभावित कमी: ~0.3–0.5 प्रतिशत अंक

सबसे प्रभावित सेक्टर: जेम्स-ज्वेलरी, टेक्सटाइल, फार्मा, समुद्री/एग्री

अल्पकालिक रणनीति: अमेरिकी LNG/रक्षा खरीद, शुल्क कटौती पर वार्ता

दीर्घकालिक रणनीति: निर्यात विविधीकरण, विनिर्माण/लॉजिस्टिक्स सुधार

डेटा/परिभाषाएं:

टैरिफ: आयात पर लगाया गया कर, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ती हैं

व्यापार घाटा/अधिशेष: आयात-निर्यात के मूल्य का अंतर

संतुलित व्यापार: शून्य घाटा—ट्रम्प प्रशासन की प्राथमिकता

Why this matters for your exam preparation

प्रीलिम्स के लिए: WTO नियम, टैरिफ का प्रभाव, भारत-अमेरिका संबंधों के तथ्य, ऊर्जा आयात मानचित्रण, रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार।

मेंस GS-II: द्विपक्षीय संबंधों का भारत के हितों पर प्रभाव, विकसित देशों की नीतियों का प्रभाव, क्षेत्रीय/वैश्विक समूह (BRICS, QUAD) और आर्थिक कूटनीति।

मेंस GS-III: विदेशी व्यापार नीति, ऊर्जा सुरक्षा और आयात निर्भरता, वैश्विक घटनाक्रमों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति और Make in India।

निबंध अभ्यास: आर्थिक संप्रभुता बनाम पारस्परिक निर्भरता; रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक हित; ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा।

कौशल उन्नयन: डेटा-आधारित तर्क, भू-राजनीति-आर्थिकता के अंतर्संबंध की समझ, नीति विकल्पों का तुलनात्मक मूल्यांकन।