यूवी इंडेक्स क्या है? – एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंड
अल्ट्रावायलेट (यूवी) इंडेक्स एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पैमाना है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने विकसित किया है। यह सूरज की यूवी किरणों की तीव्रता को मापता है और लोगों को उनके जोखिम के बारे में जानकारी देता है ताकि वे उचित सुरक्षा उपाय अपना सकें।
यूवी इंडेक्स का पैमाना 0 से 11+ तक होता है। यह एक रैखिक (linear) पैमाना है, यानी इंडेक्स जितना बढ़ता है, उतनी ही तीव्रता से यूवी विकिरण बढ़ता है।
यूवी इंडेक्स वर्गीकरण और सुरक्षा दिशानिर्देश
यूवी इंडेक्स | श्रेणी | जोखिम स्तर | सुरक्षा आवश्यकताएँ |
---|---|---|---|
0-2 | निम्न (हरा) | न्यूनतम खतरा | कोई विशेष सुरक्षा नहीं, बाहर रह सकते हैं |
3-5 | मध्यम (पीला) | थोड़ा खतरा | दोपहर में छांव में रहें, सनस्क्रीन, टोपी, चश्मा पहनें |
6-7 | उच्च (नारंगी) | उच्च खतरा | 10AM-4PM के बीच बाहर कम जाएँ, सुरक्षा जरूरी |
8-10 | बहुत उच्च (लाल) | बहुत अधिक खतरा | अतिरिक्त सावधानी, धूप में कम जाएँ |
11+ | अत्यधिक (बैंगनी) | गंभीर खतरा | बाहर जाने से बचें, सभी सुरक्षा उपाय अपनाएँ |
WHO के अनुसार, जब यूवी इंडेक्स 3 या उससे अधिक हो, तो सुरक्षा उपाय जरूरी हो जाते हैं।
भारत का यूवी इंडेक्स: वैश्विक स्थिति और क्षेत्रीय विविधता
भारत विश्व के शीर्ष 10 देशों में शामिल है जहाँ यूवी इंडेक्स सबसे अधिक दर्ज किया जाता है। गर्मियों में भारत के कई क्षेत्रों में यूवी इंडेक्स खतरनाक स्तर तक पहुँच जाता है:
2025 में प्रमुख भारतीय शहरों के यूवी इंडेक्स (उदाहरण):
हैदराबाद: दोपहर में 15 (अत्यधिक)
दिल्ली: गर्मियों में 12 (अत्यधिक)
मुंबई: गर्मियों में 13 (अत्यधिक)
बेंगलुरु: लगातार 14 (अत्यधिक)
उच्च जोखिम वाले राज्य:
राजस्थान: रेगिस्तानी क्षेत्र, उच्च यूवी स्तर
मध्य प्रदेश: गर्मियों में उच्च यूवी
झारखंड: उच्च यूवी विकिरण स्तर
छत्तीसगढ़: गर्मियों में उच्च यूवी इंडेक्स
केरल के पलक्कड़ और मलप्पुरम जिलों में 2025 में यूवी इंडेक्स 11 दर्ज हुआ, जिस पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने रेड अलर्ट जारी किया।
वैश्विक यूवी इंडेक्स तुलना: भारत की स्थिति
सबसे अधिक यूवी इंडेक्स वाले देश:
ऑस्ट्रेलिया: 12+ (अत्यधिक)
न्यूजीलैंड: 12+ (अत्यधिक)
पेरू: 11+ (अत्यधिक)
बोलीविया: 11+ (अत्यधिक)
चिली: 11+ (अत्यधिक)
सबसे कम यूवी इंडेक्स वाले देश:
आइसलैंड: 2-3 (निम्न से मध्यम)
फिनलैंड: 2-4 (निम्न से मध्यम)
रूस: 1-5 (निम्न से मध्यम)
कनाडा: 3-5 (मध्यम)
भारत की यह स्थिति इसके उष्णकटिबंधीय (tropical) स्थान, उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों और मौसमी परिस्थितियों के कारण है, जिससे सूर्य की किरणें अधिक तीव्रता से धरती तक पहुँचती हैं।
यूवी विकिरण के स्वास्थ्य जोखिम
तत्काल प्रभाव:
सनबर्न: त्वचा में जलन, लालिमा, दर्द और छाले
फोटोकेराटाइटिस: आँखों की सतह पर सूजन और दर्द
प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है
दीर्घकालिक प्रभाव:
त्वचा कैंसर: 90% नॉन-मेलानोमा और 65% मेलानोमा मामलों का कारण
त्वचा की उम्र बढ़ना: झुर्रियाँ, दाग-धब्बे, त्वचा की लचक कम होना
आँखों की क्षति: मोतियाबिंद, प्टेरीजियम, रेटिना पर असर
डीएनए क्षति: कोशिकाओं में म्यूटेशन, जिससे कैंसर का खतरा
WHO के अनुसार, 2020 में यूवी विकिरण के कारण 12 लाख नॉन-मेलानोमा और 3.25 लाख मेलानोमा के नए मामले सामने आए। 1.5 करोड़ लोग मोतियाबिंद से अंधे हैं, जिनमें से 10% मामलों का कारण यूवी विकिरण है।
यूवी से सुरक्षा के आवश्यक उपाय
प्राथमिक सुरक्षा:
छांव में रहें: खासकर 10AM से 4PM के बीच
सुरक्षात्मक कपड़े: फुल स्लीव कपड़े, चौड़ी टोपी, UPF फैब्रिक
सनग्लासेस: 100% यूवी प्रोटेक्शन वाले
सनस्क्रीन: ब्रॉड-स्पेक्ट्रम SPF 30+ कम से कम 30 मिनट पहले लगाएँ
उन्नत दिशानिर्देश:
बार-बार लगाएँ: हर 2 घंटे में या पसीना/तैराकी के बाद
पर्याप्त मात्रा: पूरे शरीर के लिए लगभग 2 टेबलस्पून सनस्क्रीन
टैनिंग से बचें: कृत्रिम या प्राकृतिक दोनों
नियमित जांच: हर महीने खुद जांचें, साल में एक बार डॉक्टर को दिखाएँ
विशेष ध्यान:
बच्चे: बचपन में सनबर्न से भविष्य में कैंसर का खतरा बढ़ता है
उच्च जोखिम वाले लोग: गोरी त्वचा, कैंसर का पारिवारिक इतिहास, कमजोर प्रतिरक्षा
बाहरी कामकाजी लोग: विशेष सुरक्षा जरूरी
यूवी इंडेक्स का मापन और पूर्वानुमान
मापन के प्रमुख घटक:
ओजोन परत की मोटाई: सैटेलाइट से माप
बादल: बादलों की मात्रा और प्रकार
ऊँचाई: ऊँचाई बढ़ने पर यूवी तीव्रता बढ़ती है
मौसमी बदलाव: सूर्य का कोण और पृथ्वी-सूर्य की दूरी
मॉनिटरिंग सिस्टम:
ग्राउंड इंस्ट्रूमेंट: स्पेक्ट्रोमीटर, रेडियोमीटर
सैटेलाइट टेक्नोलॉजी: वैश्विक निगरानी
मौसम सेवाएँ: दैनिक पूर्वानुमान
जलवायु परिवर्तन और यूवी विकिरण
प्रभाव:
तापमान वृद्धि: 2°C तापमान बढ़ने पर 2050 तक स्किन कैंसर के मामले 11% बढ़ सकते हैं
ओजोन क्षरण: 1% ओजोन कम होने पर स्किन कैंसर 1-2% (मेलानोमा) और 3-4.6% (स्क्वैमस सेल) बढ़ सकता है
मौसम में बदलाव: बादलों और वायुमंडलीय स्थितियों में परिवर्तन
भारत में प्रभाव:
अधिक दिनों तक उच्च यूवी: गर्मियों में लंबे समय तक उच्च यूवी स्तर
शहरी क्षेत्रों में बढ़ोतरी: हीट आइलैंड प्रभाव से यूवी असर बढ़ता है
“परीक्षा की तैयारी के लिए इसका महत्व क्यों है?”
भूगोल और पर्यावरण:
वायुमंडलीय विज्ञान, ओजोन परत, मौसमी बदलाव
भारत की वैश्विक यूवी रैंकिंग और राज्यवार विविधता
विज्ञान और तकनीक:
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम, यूवी किरणों के गुण
स्वास्थ्य पर प्रभाव और रोकथाम
करंट अफेयर्स:
सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति, सरकारी जागरूकता अभियान
अंतरराष्ट्रीय सहयोग (WHO, Montreal Protocol)
नीति और शासन:
आपदा प्रबंधन (जैसे केरल में रेड अलर्ट)
बाहरी कामकाजी लोगों के लिए सुरक्षा नियम
आँकड़े:
स्वास्थ्य संबंधी आँकड़े, वैश्विक तुलना
यह विषय UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भूगोल, पर्यावरण, विज्ञान, नीति और करंट अफेयर्स सेक्शन में बार-बार पूछा जाता है। इससे जुड़े तथ्यों और अवधारणाओं की गहरी समझ परीक्षा में आपके उत्तरों को विश्लेषणात्मक और तथ्यात्मक रूप से मजबूत बनाएगी।
बाहरी संदर्भ:
World Meteorological Organization – UV Index
परीक्षा की तैयारी के लिए इसका महत्व:
यूवी इंडेक्स और विकिरण से जुड़े तथ्य, भूगोल, पर्यावरण, विज्ञान, नीति और करंट अफेयर्स के प्रश्नों में बार-बार पूछे जाते हैं। इससे आपकी अवधारणात्मक समझ, विश्लेषणात्मक क्षमता और उत्तरों की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। UPSC प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू में यह विषय अक्सर चर्चा में रहता है।