INS तमाल के शामिल होने से भारतीय नौसेना को बड़ी ताकत
भारतीय नौसेना में INS तमाल, एक अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट, 1 जुलाई 2025 को रूस के कालिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। यह ऐतिहासिक क्षण भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और भारतीय नौसेना के लिए विदेशी युद्धपोतों की खरीद का अंतिम अध्याय भी है।
इस समारोह की अध्यक्षता वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह (फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वेस्टर्न नेवल कमांड) ने की। उन्होंने इसे भारत-रूस रक्षा सहयोग और भारतीय समुद्री सुरक्षा के लिए अहम बताया।
INS तमाल की प्रमुख विशेषताएँ और तकनीकी विवरण
तकनीकी विवरण
प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए INS तमाल के मुख्य तकनीकी बिंदु:
लंबाई: 125 मीटर
वजन: 3,900 टन
गति: 55 किमी/घंटा (30 नॉट्स से अधिक)
रेंज: एक बार में 3,000 किमी की यात्रा
स्वदेशी तकनीक: 26% देश में निर्मित उपकरण
एडवांस्ड हथियार प्रणालियाँ
इस युद्धपोत में आधुनिक हथियार प्रणालियाँ लगी हैं:
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: 290-450 किमी रेंज, मैक 2.8-3.0 गति
श्टिल-1 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें: लंबी दूरी तक मार
100 मिमी नौसैनिक तोप
30 मिमी क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS)
भारी टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट
HUMSA-NG सोनार सिस्टम
स्टेल्थ और ऑपरेशनल क्षमताएँ
INS तमाल में अत्याधुनिक स्टेल्थ तकनीक है, जिससे यह रडार की पकड़ में नहीं आता:
कम रडार क्रॉस-सेक्शन: विशेष डिज़ाइन जो रडार वेव्स को डाइवर्ट करता है
मल्टी-डोमेन युद्ध: वायु, सतह, जल-नीचे और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऑपरेशन
ब्लू वॉटर ऑपरेशन: लंबी दूरी के समुद्री मिशन के लिए उपयुक्त
हेलीकॉप्टर संचालन: कामोव-28 और कामोव-31 हेलीकॉप्टर संचालन योग्य
भारत की रक्षा के लिए रणनीतिक महत्व
अंतिम विदेशी युद्धपोत
INS तमाल का ऐतिहासिक महत्व है – यह भारतीय नौसेना का अंतिम विदेशी युद्धपोत है। अब से सभी युद्धपोत भारत में ही बनेंगे, जो 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' की दिशा में बड़ा कदम है।
प्रोजेक्ट 1135.6 – तुशील क्लास
यह आठवां क्रिवाक क्लास फ्रिगेट और तुशील क्लास का दूसरा युद्धपोत है। पहला तुशील क्लास युद्धपोत, INS तुशील, दिसंबर 2024 में शामिल हुआ था।
वेस्टर्न फ्लीट में तैनाती
INS तमाल को 'द स्वॉर्ड आर्म' मानी जाने वाली पश्चिमी बेड़े में शामिल किया जाएगा और इसका बेस करवार (कर्नाटक) में होगा। यह सितंबर 2025 तक भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचेगा।
भारत-रूस रक्षा साझेदारी
यह कमीशनिंग भारत-रूस के 65 वर्षों के रक्षा सहयोग में 51वां युद्धपोत है। अक्टूबर 2016 में हुए 2.5 बिलियन डॉलर के समझौते के तहत चार स्टेल्थ फ्रिगेट्स में से दो रूस में और दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में बन रहे हैं।
इस फ्रिगेट में भारतीय और रूसी तकनीकों का समन्वय है, जिसमें न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल डिफेंस के लिए ऑटोमेटेड सिस्टम लगे हैं।
भारतीय नौसेना के स्वदेशी निर्माण का भविष्य
INS तमाल के शामिल होने के बाद अब भारतीय नौसेना का पूरा ध्यान स्वदेशी युद्धपोत निर्माण पर है। वर्तमान में भारतीय शिपयार्ड्स में 59 युद्धपोत और जहाज निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल लागत लगभग ₹1.2 लाख करोड़ है।
महत्वपूर्ण आगामी प्रोजेक्ट्स:
प्रोजेक्ट 17A नीलगिरी क्लास फ्रिगेट्स: उन्नत स्टेल्थ और स्वदेशी तकनीक
प्रोजेक्ट 15B विशाखापत्तनम क्लास डिस्ट्रॉयर्स: नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमताएँ
प्रोजेक्ट 18 नेक्स्ट जनरेशन डिस्ट्रॉयर्स: अत्याधुनिक 10,000 टन के विध्वंसक
आपके परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
UPSC मेन्स के लिए प्रासंगिकता
यह घटना सामान्य अध्ययन पेपर-3 (सुरक्षा) और सामान्य अध्ययन पेपर-2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध) के लिए महत्वपूर्ण है:
रक्षा तकनीक: स्वदेशी रक्षा क्षमताएँ और तकनीक हस्तांतरण
रणनीतिक साझेदारी: भारत-रूस रक्षा सहयोग और भू-राजनीतिक प्रभाव
समुद्री सुरक्षा: इंडियन ओशन रीजन में भारत की शक्ति
सरकारी पहल: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया
प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
INS तमाल भारतीय नौसेना का अंतिम विदेशी युद्धपोत है
26% स्वदेशी तकनीक (ब्रह्मोस मिसाइल, HUMSA-NG सोनार)
प्रोजेक्ट 1135.6 (तुशील क्लास) का हिस्सा
यंतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद, रूस में कमीशनिंग
करवार, कर्नाटक में तैनाती (वेस्टर्न नेवल कमांड)
करेंट अफेयर्स से संबंध
यह समाचार कई महत्वपूर्ण विषयों को जोड़ता है:
डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग: रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता
द्विपक्षीय संबंध: वैश्विक परिदृश्य में भारत-रूस साझेदारी
समुद्री रणनीति: इंडो-पैसिफिक में भारत की बढ़ती भूमिका
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: विदेशी और स्वदेशी तकनीकों का समावेश
निबंध और इंटरव्यू के लिए उपयोगी
"भारत का रक्षा आधुनिकीकरण"
"मेक इन इंडिया की सफलता"
"रक्षा में रणनीतिक स्वायत्तता"
"भारत की समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ और क्षमताएँ"
INS तमाल का कमीशनिंग न केवल भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाता है, बल्कि पूरी तरह स्वदेशी युद्धपोत निर्माण की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है। यह भारत की तकनीकी क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को दर्शाता है, जिससे यह विषय आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।
आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों जरूरी?
समाचार में: INS तमाल भारतीय नौसेना में शामिल, अंतिम विदेशी युद्धपोत
सिलेबस कवर: रक्षा, विज्ञान-तकनीक, अंतरराष्ट्रीय संबंध, सरकारी पहल
तथ्यात्मक व विश्लेषणात्मक प्रश्नों के लिए उपयुक्त
निबंध, इंटरव्यू और मेन्स उत्तर लेखन में उपयोगी