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भारत ने अपनी सामरिक शक्ति को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाते हुए अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का पारंपरिक (नॉन-न्यूक्लियर) बंकर बस्टर संस्करण विकसित करना शुरू कर दिया है। यह पहल भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में लाती है, जिनके पास गहराई तक वार करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक है।

मिसाइल की मुख्य विशेषताएँ

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित इस अग्नि-5 मिसाइल की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

तकनीकी तथ्य:

वारहेड क्षमता: 7,500 किलोग्राम तक का बंकर बस्टर वारहेड

भेदन क्षमता: ज़मीन के 80-100 मीटर नीचे तक वार करने में सक्षम

रेंज: 2,500 किलोमीटर (मूल अग्नि-5 की तुलना में कम)

गति: मैक 8 से मैक 20 (आवाज़ से 8 से 20 गुना तेज)

तैनाती: मिसाइल आधारित प्रणाली, जिससे लचीलापन और सुरक्षा बढ़ती है

वैश्विक संदर्भ: हालिया अमेरिकी ऑपरेशन से सीख

यह विकास ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका ने 22 जून, 2025 को ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान न्यूक्लियर फैसिलिटी पर 14 GBU-57A/B बंकर बस्टर बम गिराए। अमेरिकी ऑपरेशन ने यह साबित किया कि गहराई में स्थित दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने के लिए बंकर बस्टर तकनीक कितनी महत्वपूर्ण है।

भारत का दृष्टिकोण अमेरिकी मॉडल से अलग है। जहाँ अमेरिका को अपने 30,000 पाउंड के GBU-57 बम गिराने के लिए महंगे B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स की आवश्यकता होती है, वहीं भारत की मिसाइल-आधारित प्रणाली के कई फायदे हैं:

भारतीय प्रणाली के लाभ:

लागत में कमी: महंगे बमवर्षक विमानों की आवश्यकता नहीं

ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी: तेज़ और सुरक्षित तैनाती

अधिक पेलोड क्षमता: 8 टन तक का वारहेड संभव

सुरक्षा: मानव संसाधन और विमानों के लिए जोखिम कम

दो संस्करणों का विकास

DRDO इस मिसाइल के दो संस्करण विकसित कर रहा है:

एयरबर्स्ट संस्करण:

सतही और खुले क्षेत्र के लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए

बड़े क्षेत्र में अधिकतम विनाश क्षमता

डीप पेनिट्रेशन संस्करण:

भूमिगत बंकरों, मिसाइल साइलो और कमांड सेंटर को नष्ट करने के लिए

अमेरिकी GBU-57 के समान, लेकिन संभवतः अधिक प्रभावशाली

क्षेत्रीय सामरिक महत्व

यह तकनीक भारत की सामरिक शक्ति को दक्षिण एशिया में और मजबूत बनाती है। इसके प्रमुख लक्षित क्षेत्र:

कमांड एंड कंट्रोल सेंटर

मिसाइल भंडारण केंद्र

भूमिगत परमाणु प्रतिष्ठान

सुरक्षित सैन्य बंकर

हालांकि इसकी रेंज 2,500 किमी है, लेकिन यह भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त है।

भारत की मिसाइल विकास यात्रा

यह उपलब्धि भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) की सफलता पर आधारित है, जिसकी शुरुआत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में हुई थी। अग्नि सीरीज भारत की सामरिक मिसाइल क्षमता की रीढ़ है:

अग्नि सीरीज का विकास:

अग्नि-I: 700-800 किमी रेंज

अग्नि-II: 2,000+ किमी रेंज

अग्नि-III: 2,500+ किमी रेंज

अग्नि-IV: 3,500+ किमी रेंज

अग्नि-V: 5,000+ किमी रेंज (ICBM)

तकनीकी उत्कृष्टता

अग्नि-5 का नया संस्करण भारत की रक्षा तकनीक में बड़ी छलांग है। इसमें उन्नत गाइडेंस सिस्टम, हाइपरसोनिक गति और सटीक टारगेटिंग जैसी आधुनिक विशेषताएँ हैं, जो इसे विश्व की सबसे आधुनिक पारंपरिक मिसाइलों में शामिल करती हैं।

मैक 8-20 की गति से यह मिसाइल लक्ष्य तक बहुत तेज़ी से पहुँचती है, और इसका भारी वारहेड गहराई में स्थित कड़े लक्ष्यों को भी नष्ट करने में सक्षम है।

आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

यह विकास UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कई दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है:

प्रारंभिक परीक्षा के लिए:

रक्षा तकनीक: भारत की स्वदेशी मिसाइल क्षमताएँ और DRDO की भूमिका

सामरिक विषय: भारत की डिटरेंस स्ट्रैटेजी और क्षेत्रीय सुरक्षा

करेंट अफेयर्स: रक्षा क्षेत्र में हालिया उपलब्धियाँ

भूगोल: क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारियाँ

मुख्य परीक्षा के लिए:

आंतरिक सुरक्षा: भारत की रक्षा तैयारियाँ और तकनीकी आत्मनिर्भरता

अंतरराष्ट्रीय संबंध: क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर प्रभाव

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: स्वदेशी रक्षा तकनीक का महत्व

नैतिकता: उन्नत हथियारों के विकास के नैतिक पक्ष

परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु:

स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

डिटरेंस थ्योरी: क्षेत्रीय स्थिरता में हथियारों की भूमिका

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: वैश्विक अनुभवों का भारतीय परिप्रेक्ष्य में उपयोग

मेक इन इंडिया: रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण