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भारत की पहली जीनोम एडिटेड चावल किस्में: कृषि में वैज्ञानिक उपलब्धि

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों ने CRISPR-Cas9 जीनोम एडिटिंग तकनीक का उपयोग करते हुए दुनिया की पहली गैर-जीएमओ (Non-GMO) जीनोम एडिटेड चावल किस्में – DRR धान 100 (कमला) और पूसा DST राइस 1 – विकसित की हैं। ये किस्में 30% तक अधिक उत्पादन, 40% कम पानी की खपत और जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता जैसी विशेषताओं के साथ भारत की खाद्य सुरक्षा को और मजबूत करेंगी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे "दूसरी हरित क्रांति" बताते हुए "माइनस 5, प्लस 10" रणनीति की घोषणा की, जिसके तहत 5 मिलियन हेक्टेयर कम क्षेत्र में 10 मिलियन टन अधिक चावल उत्पादन का लक्ष्य है।

DRR धान 100 (कमला): सम्बा महसूरी का उन्नत संस्करण

मूल किस्म: सम्बा महसूरी (BPT 5204), जो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में लोकप्रिय है।

वैज्ञानिक संशोधन: साइटोकाइनिन ऑक्सीडेज 2 (CKX2) जीन में संपादन से प्रति पौधा अनाज की संख्या 19% तक बढ़ी

मुख्य लाभ:

130 दिन में पककर तैयार (पारंपरिक किस्म से 20 दिन कम)।

सूखा सहनशीलता और नाइट्रोजन उपयोग क्षमता में 25% सुधार।

7,500 मिलियन घन मीटर सिंचाई जल की बचत।

पूसा DST राइस 1: खारे एवं क्षारीय मिट्टी के लिए वरदान

मूल किस्म: MTU 1010 (आंध्र प्रदेश की लोकप्रिय किस्म)।

वैज्ञानिक संशोधन: ड्रॉट एंड सॉल्ट टॉलरेंस (DST) जीन में संपादन से लवणीय परिस्थितियों में 30.4% अधिक उत्पादन

मुख्य लाभ:

समुद्र तटीय लवणता वाले क्षेत्रों (जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा) के लिए उपयुक्त।

मीथेन उत्सर्जन में 20% कमी और उर्वरक दक्षता में वृद्धि।

जीनोम एडिटिंग बनाम जेनेटिक मॉडिफिकेशन: तकनीकी तुलना

पैरामीटरजीनोम एडिटिंगजीएमओ
डीएनए परिवर्तनमौजूदा जीन में संपादनबाहरी जीन डालना
विनियमनSDN1/SDN2 श्रेणी में छूटसख्त नियम (GEAC अनुमोदन आवश्यक)
सार्वजनिक स्वीकृतिअधिक (प्राकृतिक समान)विवादास्पद
उदाहरणDRR धान 100, पूसा DST राइस 1Bt कपास

 

स्रोत: ICAR दिशानिर्देश 2023 और जैव प्रौद्योगिकी विभाग

सरकार की "माइनस 5, प्लस 10" रणनीति: क्यों महत्वपूर्ण है?

लक्ष्य: चावल की खेती का रकबा 5 मिलियन हेक्टेयर घटाकर उत्पादन 10 मिलियन टन बढ़ाना।

प्रभाव:

मुक्त हुए क्षेत्र में दलहन-तिलहन की खेती से आयात निर्भरता कम होगी।

भूजल स्तर में सुधार (पंजाब-हरियाणा में प्रति वर्ष 2.5 मीटर गिरावट)।

चुनौती: MSP के कारण किसानों का चावल-गेहूं की ओर झुकाव।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

CRISPR-Cas9 तकनीक: SDN1 (साइट-डायरेक्टेड न्यूक्लिएज) विधि से जीन संपादन, जिसमें कोई विदेशी DNA नहीं जोड़ा जाता।

बजट 2023-24: जीनोम एडिटिंग अनुसंधान के लिए ₹500 करोड़ का आवंटन।

ICAR का लक्ष्य: 2030 तक गेहूं, सरसों और दलहन की जीनोम एडिटेड किस्में विकसित करना।

आंतरिक लिंक (Internal Links):

हरित क्रांति: सफलताएँ और सीमाएँ

CRISPR-Cas9 तकनीक: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की चुनौतियाँ

आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है

UPSC GS पेपर III: कृषि उत्पादकता, जल संसाधन प्रबंधन और जैव प्रौद्योगिकी से सीधे संबंधित।

प्रीलिम्स: CRISPR-Cas9, SDN1/SDN2 और जीनोम एडिटिंग से जुड़े तकनीकी प्रश्न।

मेन्स निबंध: "जलवायु अनुकूल कृषि में जीनोम एडिटिंग की भूमिका" या "खाद्य सुरक्षा बनाम पर्यावरण संरक्षण" जैसे विषय।

सरकारी योजनाएँ: "माइनस 5, प्लस 10" रणनीति और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य का विश्लेषण।

निष्कर्ष:
जीनोम एडिटिंग भारत को कृषि उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद करेगी। यह विषय UPSC 2025 के लिए अत्यंत प्रासंगिक है – ऐसे ही अपडेट्स के लिए Atharva Examwise पर नियमित विजिट करें।