Popular Content

featured project

यूटेरस ट्रांसप्लांट से जुड़ी इस बड़ी चिकित्सा क्रांति को जानिए, जिसने गर्भाशय संबंधी बांझपन से जूझ रही महिलाओं को मातृत्व का अवसर दिया। UPSC, SSC और बैंक परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य।

मिरेकल बेबीज़: यूटेरस ट्रांसप्लांट के पीछे की क्रांति – मार्च 2025 का एक प्रमुख करंट अफेयर्स अपडेट

परिचय

यूटेरस ट्रांसप्लांट आज एक क्रांतिकारी चिकित्सा समाधान बन चुका है, जो उन महिलाओं को आशा देता है जो पूर्ण गर्भाशय बांझपन (Absolute Uterine Infertility) से पीड़ित हैं। हाल ही में ब्रिटेन में ट्रांसप्लांट किए गए गर्भाशय से जन्मे पहले शिशु की खबर ने वैश्विक सुर्खियाँ बटोरीं। यह घटना "March 2025 current affairs" और Atharva Examwise के करंट अफेयर्स अपडेट में प्रमुख स्थान रखती है।

यूटेरस ट्रांसप्लांट क्या होता है?

यूटेरस ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें एक स्वस्थ गर्भाशय को उस महिला में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिसके पास जन्म से गर्भाशय नहीं है या जिसे किसी बीमारी या सर्जरी (जैसे हिस्टेरेक्टॉमी) के कारण गर्भाशय हटाना पड़ा हो। इस प्रक्रिया के बाद वह महिला गर्भ धारण करके स्वयं बच्चे को जन्म दे सकती है।

👉 यह एक अस्थायी ट्रांसप्लांट होता है – आमतौर पर एक या दो बच्चों के जन्म के बाद गर्भाशय हटा दिया जाता है ताकि लंबे समय तक इम्यूनो-सप्रेसिव दवाओं के खतरे से बचा जा सके।

किन महिलाओं को लाभ हो सकता है?

जिनका जन्म बिना गर्भाशय के हुआ है (जैसे Mayer-Rokitansky-Kuster-Hauser syndrome)

जिनका गर्भाशय बीमारी या सर्जरी के कारण हटाया जा चुका है

जिनका गर्भाशय कार्यात्मक नहीं है

डोनर बनने की शर्तें

आयु: 30–50 वर्ष

अच्छे स्वास्थ्य में, BMI 30 से कम

मधुमेह, हाल का कैंसर या संक्रामक रोग जैसे HIV, हेपेटाइटिस नहीं होना चाहिए

वैश्विक परिदृश्य: प्रमुख उपलब्धियाँ

पहली सफल डिलीवरी: स्वीडन, 2014 – चिकित्सा इतिहास में मील का पत्थर

ब्रिटेन में हालिया सफलता: फरवरी 2025 में UK में पहला बच्चा यूटेरस ट्रांसप्लांट से जन्मा

भारत में उपलब्धि: भारत में पहला यूटेरस ट्रांसप्लांट मई 2017 में पुणे में हुआ, और अक्टूबर 2018 में पहली सफल डिलीवरी

आँकड़े और सफलता दर (2024–25 तक)

पैरामीटरआँकड़े
कुल यूटेरस ट्रांसप्लांट्स100+
ट्रांसप्लांट से जन्में बच्चे50+
ग्राफ्ट जीवित रहने की दर (1 वर्ष)74%
जीवित जन्म दर50–80% (अध्ययन अनुसार)
जटिलताएँ (डोनर/रिसीपीएंट)18–19%
बच्चों में जन्मजात विकृतिअब तक कोई नहीं पाई गई

वैज्ञानिक प्रक्रिया और तरीका

मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम: इसमें ट्रांसप्लांट सर्जन, आईवीएफ विशेषज्ञ और प्रसूति चिकित्सक की टीम शामिल होती है

आईवीएफ प्रक्रिया: ट्रांसप्लांट से पहले भ्रूण बनाए जाते हैं, ट्रांसप्लांट के 6 महीने बाद गर्भधारण का प्रयास किया जाता है

टेम्परेरी समाधान: एक या दो सफल डिलीवरी के बाद गर्भाशय हटा लिया जाता है

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

✅ यूटेरस ट्रांसप्लांट अब उन महिलाओं के लिए एक वास्तविक चिकित्सा समाधान है जो पूर्ण गर्भाशय बांझपन से जूझ रही हैं
✅ स्वीडन में 2014 में पहला सफल ट्रांसप्लांट से जन्म हुआ
✅ UK में फरवरी 2025 में पहला ट्रांसप्लांट बेबी जन्मा
✅ भारत में पहला ट्रांसप्लांट 2017 में पुणे में और डिलीवरी 2018 में हुई
✅ इस प्रक्रिया में ग्राफ्ट जीवित रहने की दर 74% और लाइव बर्थ रेट 50% से अधिक है
✅ अब तक किसी भी शिशु में जन्मजात विकृति की रिपोर्ट नहीं मिली है
✅ प्रक्रिया जटिल है, डोनर और रिसीपीएंट दोनों के लिए जोखिम शामिल हैं
✅ यह ट्रांसप्लांट अस्थायी होता है — बच्चा पैदा होने के बाद इसे हटा दिया जाता है

परीक्षाओं के लिए यह विषय क्यों महत्वपूर्ण है?

यह विषय विज्ञान, तकनीक, नैतिकता और समसामयिक घटनाओं का मेल है — UPSC, SSC, बैंकिंग जैसी परीक्षाओं के सामान्य ज्ञान व विज्ञान खंड में संभावित प्रश्न बन सकते हैं।

यह उदाहरण है कि कैसे चिकित्सा नवाचार सामाजिक आवश्यकताओं का समाधान देता है।