भारत की डाक सेवा का इतिहास 350 साल पुराना है। कबूतरों से लेकर स्पीड पोस्ट और ई-पेमेंट तक का सफर जानिए करेंट अफेयर्स मार्च 2025 में।
भारत की डाक सेवा का इतिहास: 350 साल पुरानी संचार परंपरा
स्रोत: Atharva Examwise Current News | Daily GK Update – March 2025
भारत की डाक प्रणाली दुनिया की सबसे पुरानी व्यवस्थाओं में से एक है, जिसका इतिहास 350 वर्षों से भी अधिक पुराना है। जहां एक ओर इसका आरंभ मौखिक संचार और संदेशवाहक कबूतरों से हुआ, वहीं दूसरी ओर आज यह देशभर में फैले 1.5 लाख से अधिक डाकघरों का एक आधुनिक नेटवर्क बन चुका है। यह बदलाव प्राचीन व्यवस्था से लेकर डिजिटल क्रांति तक प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
प्राचीन काल में संचार: पत्थर से घोड़े तक
भारत में संचार प्रणाली की शुरुआत प्राचीन काल में हुई थी:
पाषाण युग में मौखिक संदेशों का आदान-प्रदान होता था।
लेखन के विकास के साथ संदेश पत्थरों, ताम्रपत्रों और कागजों पर लिखे जाने लगे।
कबूतरों का उपयोग संदेश भेजने में किया जाने लगा।
भारत में पहली संगठित डाक सेवा की शुरुआत 1296 में अलाउद्दीन खिलजी के शासन में हुई। इस दौरान घोड़े और पैदल संदेशवाहकों की व्यवस्था लागू की गई। 1341 में यात्री इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृतांत में इसका वर्णन किया।
1541 में शेरशाह सूरी ने बंगाल से सिंध तक 3200 किमी लंबी घुड़सवारी डाक व्यवस्था शुरू की।
1672 में मैसूर के राजा चिक्का देवराय वोडेयार ने 'अंचे' नामक डाक सेवा शुरू की।
आधुनिक डाक प्रणाली की शुरुआत
भारत में आधुनिक डाक व्यवस्था की नींव ब्रिटिश शासन में रखी गई:
1766 में रॉबर्ट क्लाइव ने नियमित डाक सेवा शुरू की, जिसका उपयोग ब्रिटिश अधिकारी और व्यापारी करते थे।
1774 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में देश का पहला सार्वजनिक डाकघर खोला गया, इसके बाद मद्रास और बंबई में भी डाकघर खोले गए।
1850 में एक पोस्ट ऑफिस कमीशन नियुक्त किया गया।
1854 में भारतीय डाक अधिनियम लागू हुआ और डाक सेवा को औपचारिक रूप दिया गया।
हालांकि, यह सेवा अभी भी धीमी थी क्योंकि यह घोड़ों और पैदल संदेशवाहकों पर आधारित थी।
रेलवे डाक और स्पीड पोस्ट: डाक सेवा में क्रांति
1853 में रेल सेवा शुरू होने के बाद डाक व्यवस्था में क्रांति आई।
1 मई 1854 को कोलकाता से रानीगंज के बीच रेलवे डाक सेवा शुरू की गई जिससे डाक वितरण अधिक तेज और विश्वसनीय हो गया।
1980 के दशक में डाक सेवा को कई आधुनिक सुविधाएं दी गईं:
1986 में स्पीड पोस्ट सेवा शुरू हुई, जिससे पार्सल कम समय में और सस्ते में भेजे जा सकने लगे।
1880 के दशक में पोस्ट ऑफिस सेविंग्स बैंक शुरू हुआ।
1935 में पोस्टल ऑर्डर सेवा प्रारंभ हुई।
1947 के बाद डाक नेटवर्क का पुनर्गठन किया गया।
डिजिटल युग में इंडिया पोस्ट का रूपांतरण
21वीं सदी में India Post ने तकनीक को अपनाया:
2003: मेघदूत सॉफ्टवेयर से डाकघरों का ऑटोमेशन शुरू।
2006: ई-पेमेंट सेवाएं शुरू की गईं।
2017: विदेश मंत्रालय के सहयोग से पासपोर्ट सेवाएं डाकघरों में मिलने लगीं।
2018: इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) की शुरुआत हुई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को बैंकिंग सुविधा मिली।
2020: आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) के माध्यम से डाकघरों से सीधे नकद लेन-देन संभव हुआ।
प्रमुख तथ्य (Key Takeaways)
भारत की संगठित डाक सेवा की शुरुआत 1296 में अलाउद्दीन खिलजी के शासन में हुई।
1541 में शेरशाह सूरी ने लंबी दूरी की डाक व्यवस्था शुरू की।
पहला सार्वजनिक डाकघर 1774 में कोलकाता में खुला।
1854 में रेलवे डाक सेवा शुरू हुई।
1986 में स्पीड पोस्ट सेवा की शुरुआत ने डाक व्यवस्था को आधुनिक रूप दिया।
India Post ने ई-पेमेंट, IPPB, और AePS जैसी डिजिटल सेवाएं शुरू कीं।
परीक्षाओं के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत की डाक सेवा का इतिहास प्रशासन, तकनीक और संचार व्यवस्था के विकास को दर्शाता है — जो UPSC, SSC, बैंकिंग जैसी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण विषय हैं। यह विषय Current Affairs March 2025 और Daily GK Update के अंतर्गत विशेष रूप से उपयोगी है।
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