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India-US रक्षा संबंधों पर IAF की चिंता, SIPRI रिपोर्ट और Tejas अपडेट | मार्च 2025 का करेंट अफेयर्स | UPSC, SSC छात्रों के लिए जरूरी जानकारी।

India-US Defence Ties: क्या भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता खतरे में है?

मार्च 2025 में भारत-अमेरिका रक्षा संबंध एक बार फिर चर्चा में हैं। बेंगलुरु में आयोजित Aero India 2025 शो में भारतीय वायुसेना (IAF) प्रमुख ने स्वदेशी उत्पादन की धीमी गति और स्क्वाड्रन की घटती संख्या पर अपनी चिंता जताई। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के बावजूद भारत अब भी भारी मात्रा में हथियार आयात कर रहा है। यह विषय UPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

HAL और Tejas: आत्मनिर्भरता की चुनौतियाँ

भारतीय वायुसेना को अभी भी Hindustan Aeronautics Limited (HAL) से अपेक्षित गति से Tejas MK1A फाइटर जेट्स नहीं मिल पा रहे हैं।

हाल ही में एक निजी कंपनी द्वारा निर्मित Tejas का पहला rear fuselage रक्षा मंत्री और वायुसेना प्रमुख की मौजूदगी में सौंपा गया।

SIPRI रिपोर्ट 2020-2024: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक

मुख्य बिंदु:

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है।

2015-19 की तुलना में 2020-24 में 9.3% आयात में कमी आई है।

परंतु महंगे हथियार जैसे लड़ाकू विमान, टैंक और रडार अब भी आयात किए जाते रहेंगे।

अमेरिकी इंजन पर निर्भर स्वदेशी लड़ाकू विमान?

भारत के भविष्य के सभी प्रमुख लड़ाकू विमान — Tejas Mk1A, Mk2 और AMCAअमेरिकी इंजन पर आधारित हैं।

🔴 चिंता का विषय: यदि भारत की फाइटर क्षमता अमेरिका की नीति पर निर्भर हो जाए, तो यह रणनीतिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।

👉 भारतीय रक्षा रणनीति और आत्मनिर्भरता – Atharva Examwise

अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी: वादे और वास्तविकता

पिछले 20 वर्षों में कई पहल की गईं:

Defence Technology and Trade Initiative (DTTI) – 2012

Major Defence Partnership Framework – 2024

परंतु:

इनका दीर्घकालिक प्रभाव सीमित रहा।

अमेरिका की बदलती सरकारें इन साझेदारियों को प्रभावित करती रही हैं।

भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी और उत्पादन क्षमता में बड़ा अंतर है।

क्या भारत और अमेरिका सच्चे रणनीतिक साझेदार बन सकते हैं?

प्रोफेसर Anna Simons के अनुसार, सच्ची साझेदारी के लिए ज़रूरी है:

दोनों पक्ष अपरिहार्य (indispensable) हों।

भूमिकाओं का विभाजन संभव हो।

एक-दूसरे की कमज़ोरियों की पूर्ति कर सकें।

लेकिन:

भारत की रक्षा R&D अमेरिका की तुलना में कमजोर है।

इससे असमान साझेदारी और निर्भरता का खतरा है।

यही सवाल रूस, फ्रांस, इज़राइल जैसी साझेदारियों पर भी लागू होता है।

मुख्य तथ्य – परीक्षा के लिए फटाफट रिवीजन

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आयातक है।

9.3% आयात में कमी अच्छी खबर, लेकिन अभी भी महंगे सिस्टम आयात जरूरी।

सभी भारतीय फाइटर प्रोजेक्ट अमेरिकी इंजन पर आधारित हैं।

रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए भारत को अमेरिका पर पूर्ण निर्भरता से बचना होगा।

भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी की विश्वसनीयता पर प्रश्न

परीक्षा के लिए क्यों ज़रूरी है यह टॉपिक?

यह टॉपिक खासकर इन परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है:

UPSC (GS Paper 2 और GS Paper 3)

SSC CGL / CHSL (General Awareness)

Banking & Insurance (Current Affairs / GK)

CDS, CAPF और अन्य रक्षा परीक्षाएं

संभावित प्रश्न:

SIPRI रिपोर्ट के अनुसार भारत की स्थिति।

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की प्रमुख चुनौतियाँ।

आत्मनिर्भर भारत का रक्षा क्षेत्र में असर।

निष्कर्ष:
भारत को अपने रक्षा जरूरतों के लिए अमेरिका से सहयोग तो लेना चाहिए, लेकिन यह सहयोग निर्भरता में नहीं बदलना चाहिए। एक संतुलित रणनीति से ही भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रख सकता है।

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