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24 मार्च 1921 को मोनाको के मोंटे कार्लो में हुआ था पहला महिला ओलिंपियाड। जानिए एलिस मिल्यै की भूमिका, ओलंपिक में महिलाओं के संघर्ष की दास्तां और इतिहास में इस आयोजन का महत्व।

 

104 साल पहले: महिला ओलिंपियाड की शुरुआत

24 मार्च 1921 को मोनाको के मोंटे कार्लो में इतिहास का पहला महिला ओलिंपियाड आयोजित हुआ। यह आयोजन महिलाओं के लिए पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों की दुनिया में कदम रखने का मौका बना और इसे दुनिया का पहला पूर्ण महिला अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन माना जाता है।

एलिस मिल्यै: बदलाव की अगुवा

इस आयोजन के पीछे थीं फ्रांस की महिला नाविक एलिस मिल्यै, जिन्होंने 1917 में 'फेमिना स्पोर्ट्स' नामक संगठन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य था महिलाओं को एथलेटिक्स, तैराकी और अन्य प्रतिस्पर्धी खेलों के लिए प्रेरित करना।

उस दौर में महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने की अनुमति नहीं थी, खासकर ओलंपिक खेलों में। मिल्यै ने इस असमानता को चुनौती देने का निर्णय लिया और महिला ओलिंपियाड का आयोजन कर इतिहास रच दिया।

 

आधुनिक ओलंपिक के जनक का विरोध

आधुनिक ओलंपिक के जनक पियरे डि कूबर्टिन महिला ओलिंपियाड के विरोध में थे। उन्हें लगता था कि महिलाओं की भागीदारी से ओलंपिक की गरिमा को ठेस पहुंच सकती है।

लेकिन एलिस मिल्यै ने इस सोच को चुनौती दी। उनके प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में पहली बार महिलाओं को एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेने की अनुमति मिली।

 

2025 में महिला ओलिंपियाड क्यों है प्रासंगिक?

आज जब हम महिला ओलिंपियाड की 104वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, यह याद रखना जरूरी है कि यह आयोजन खेलों में लैंगिक समानता की दिशा में मील का पत्थर था। एलिस मिल्यै की पहल ने महिलाओं को वह मंच दिया, जिसकी उन्हें लंबे समय से जरूरत थी।

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By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise