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परिचय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13 फरवरी 2025 को अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर पतझड़ 2025 तक वार्ता शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, चूंकि भारत और अमेरिका दोनों विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य हैं, इसलिए यह BTA WTO के व्यापार कानूनों के अनुरूप होना आवश्यक है।

मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और WTO नियम

WTO का प्रमुख सिद्धांत 'सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र (MFN)' है, जो सदस्य देशों को व्यापार भागीदारों के बीच भेदभाव करने से रोकता हैमुक्त व्यापार समझौते (FTA) इस नियम का अपवाद होते हैं, लेकिन इन्हें GATT के अनुच्छेद XXIV.8(b) के तहत कुछ शर्तों का पालन करना होता है।

भारत-अमेरिका BTA को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए:

यह 'संपूर्ण व्यापार' का एक बड़ा हिस्सा कवर करना चाहिए।

WTO को इसकी आधिकारिक सूचना दी जानी चाहिए।

टैरिफ में छूट MFN नियमों का उल्लंघन न करे।

यदि भारत और अमेरिका कुछ चुनिंदा उत्पादों पर टैरिफ कम करते हैं, लेकिन अन्य देशों को यह सुविधा नहीं देते, तो यह WTO नियमों का उल्लंघन होगा।

क्या 'अंतरिम समझौता' समाधान हो सकता है?

भारत और अमेरिका WTO नियमों के तहत BTA को वैध बनाने के लिए 'अंतरिम समझौते' (Interim Agreement) की रणनीति अपना सकते हैं, जो GATT अनुच्छेद XXIV में उल्लिखित है। इसके तहत:

अंतरिम समझौता FTA बनाने के लिए आवश्यक होना चाहिए

इसमें 10 वर्षों के भीतर FTA को पूरा करने की स्पष्ट योजना होनी चाहिए।

हालांकि, यदि भारत और अमेरिका FTA पर हस्ताक्षर करने की वास्तविक मंशा नहीं रखते, तो यह WTO निरीक्षण के दायरे में आ सकता है

'Enabling Clause' का अपवाद और भारत-अमेरिका BTA

WTO नियमों के तहत एक और अपवाद 'Enabling Clause' है, जो विकासशील देशों को व्यापार में विशेष रियायतें देने की अनुमति देता है। हालांकि, चूंकि भारत-अमेरिका BTA आपसी टैरिफ कटौती पर आधारित होगा, इसलिए यह इस श्रेणी में नहीं आएगा।

अमेरिका की टैरिफ नीति और WTO उल्लंघन

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 'प्रतिशोधात्मक टैरिफ' (Reciprocal Tariffs) की नीति अपनाई है, जिसमें अमेरिका अन्य देशों के टैरिफ के बराबर शुल्क बढ़ाता है। लेकिन यह नीति WTO नियमों का उल्लंघन करती है, जैसे:

MFN ट्रीटमेंट: WTO सदस्य देशों के लिए समान व्यापारिक स्थिति सुनिश्चित करता है।

विशेष और भिन्न उपचार (S&DT): विकासशील देशों को कम टैरिफ प्रतिबद्धताओं की अनुमति देता है।

बंधे हुए टैरिफ दायित्व (Bound Tariff Rate Obligations): अमेरिका को WTO में प्रतिबद्ध दरों से अधिक टैरिफ नहीं लगाने चाहिए।

भारत के लिए आगे की राह

भारत नियम-आधारित वैश्विक व्यापार का समर्थक होने के नाते यह सुनिश्चित करना चाहता है कि BTA वार्ता WTO नियमों के अनुरूप हो और भारत की व्यापार नीति से समझौता न किया जाए।

निष्कर्ष

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसे WTO व्यापार कानूनों का पालन करना होगा। भारत को अपनी आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिबद्धताओं को संतुलित करते हुए पारदर्शी और कानूनी रूप से वैध समझौता करना होगा।

भारत की व्यापार नीतियों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर नवीनतम अपडेट के लिए देखें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय

By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise