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परिचय

भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल आयातक है, ने संयुक्त राज्य अमेरिका से तेल और प्राकृतिक गैस की खरीद बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत की ऊर्जा आयात में विविधता लाने की रणनीति और अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने के अनुरूप है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक में यह सहमति बनी, जिससे भारत का अमेरिकी ऊर्जा आयात $15 बिलियन से बढ़कर $25 बिलियन तक पहुंच सकता है।

भारत अपने कच्चे तेल की आपूर्ति में विविधता क्यों ला रहा है?

भारत अपनी कच्चे तेल की 85% से अधिक आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है। इस रणनीति के मुख्य कारण हैं:

एकल आपूर्ति स्रोत पर निर्भरता कम करना

भू-राजनीतिक जोखिमों को कम करना

आयात लागत को संतुलित करना और सस्ते विकल्पों की तलाश करना

भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता

भारत के शीर्ष कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हैं:

रूस: कुल कच्चे तेल आयात का 40%।

मध्य पूर्व (सऊदी अरब, इराक, UAE): पारंपरिक मुख्य आपूर्तिकर्ता।

संयुक्त राज्य अमेरिका: उभरता हुआ कच्चा तेल और एलएनजी आपूर्तिकर्ता।

रॉयटर्स के अनुसार, फरवरी 2024 में अमेरिका ने भारत को 3,57,000 बैरल प्रति दिन (bpd) कच्चा तेल निर्यात किया, जो पिछले वर्ष के 2,21,000 bpd की तुलना में अधिक है।

भारत का तेल और गैस आयात: प्रमुख आंकड़े

कुल कच्चे तेल का आयात (2023-24): 234.26 मिलियन टन।

तेल आयात बिल (2023-24): $133.37 बिलियन (2022-23 के $157.53 बिलियन से कम)।

प्राकृतिक गैस (LNG) आयात (2023-24): 31.8 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) जिसकी कीमत $13.405 बिलियन।

पेट्रोलियम उत्पादों का आयात: 48.69 मिलियन टन, जिसकी लागत $22.93 बिलियन।

एलएनजी और ऊर्जा संक्रमण

भारत अपनी कुल ऊर्जा खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6% से बढ़ाकर 15% करना चाहता है। अमेरिका एलएनजी (Liquefied Natural Gas) का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, जो इस ऊर्जा संक्रमण में मदद कर रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अमेरिका के साथ ऊर्जा साझेदारी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

भारत की ऊर्जा सुरक्षा में अमेरिका की भूमिका

अमेरिका भारत के प्रमुख तेल और एलएनजी आपूर्तिकर्ता के रूप में:

तेल और गैस बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा दे रहा है

ऊर्जा व्यापार और सहयोग को मजबूत कर रहा है

भारत को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का पूर्ण सदस्य बनाने के लिए समर्थन दे रहा है

रूस से भारत की तेल आपूर्ति का प्रभाव

भारत अमेरिका के साथ ऊर्जा व्यापार बढ़ाने के बावजूद रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदना जारी रखेगाCentre for Research on Energy and Clean Air की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने यूक्रेन युद्ध के तीसरे वर्ष में रूस से €49 बिलियन मूल्य का कच्चा तेल खरीदा

रूस की हिस्सेदारी भारत के कुल कच्चे तेल आयात में 1% से बढ़कर 40% हो गई है।

भारत की ऊर्जा रणनीति और भविष्य की योजना

भारत सरकार की ऊर्जा रणनीति में शामिल हैं:

साफ ईंधन (प्राकृतिक गैस, एलएनजी, एथेनॉल, जैव ईंधन) का विस्तार

इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास

घरेलू कच्चे तेल उत्पादन को बढ़ाना (जो वर्तमान में केवल 13% मांग पूरी करता है)

नवीकरणीय ऊर्जा और वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा देना

निष्कर्ष

भारत द्वारा अमेरिका से तेल आयात बढ़ाने का निर्णय एक रणनीतिक कदम है, जिससे ऊर्जा स्रोतों में विविधता, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलेगी। हालांकि, भारत का रूस और मध्य पूर्वी देशों से तेल आयात जारी रखना, इसकी ऊर्जा आवश्यकताओं को संतुलित करने की व्यापक रणनीति को दर्शाता है।

भारत की ऊर्जा नीतियों पर नवीनतम अपडेट के लिए देखें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय

By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise