मध्य प्रदेश की पंचायतों में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर शून्य: UPSC Current Affairs October 13, 2025 | Atharva Examwise

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मध्य प्रदेश की पंचायतों में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर शून्य: एक प्रेरणादायक सफलता गाथा

मुख्य तथ्य: मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर (142 प्रति लाख) देश में सर्वाधिक होने के बावजूद, राज्य की चार ग्राम पंचायतों ने अपने स्तर पर इसे पूर्णतः नियंत्रित कर एक मिसाल कायम की है।​

राष्ट्रीय परिदृश्य: चुनौती की गंभीरता

मध्य प्रदेश की स्थिति:

मातृ मृत्यु दर (MMR): 142 प्रति लाख प्रसव (राष्ट्रीय औसत 80 से अधिक)​

शिशु मृत्यु दर (IMR): 37 प्रति हजार जन्म (राष्ट्रीय औसत 25-26 से अधिक)​

यह स्थिति देश में सबसे खराब है, जो स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है​

राष्ट्रीय प्रगति:

भारत का समग्र IMR 2023 में 25 तक पहुंचा, जो 1971 के 129 से 80% की कमी दर्शाता है​

मातृ मृत्यु दर में 1990 से 83% की गिरावट दर्ज की गई है​

सफल पंचायतों की रणनीति

मातृ मृत्यु दर शून्य करने वाली पंचायतें

1. ढाकोनी पंचायत, अशोकनगर:

जनसंख्या: 8,000

उपलब्धि: 2 वर्षों में शून्य मातृ मृत्यु

रणनीति:

हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की विशेष निगरानी

100% पंजीकरण और समय पर जांच

एनीमिक महिलाओं की नियमित विजिट

सभी प्रसव संस्थागत स्तर पर

2. गरौली बुंदेलखंड, छतरपुर:

विशेषता: आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्येक केस की निगरानी

सफलता कारक: 100% पंजीयन, समय पर इलाज, और संस्थागत प्रसव

शिशु मृत्यु दर शून्य करने वाली पंचायतें

1. घानाकोडिया, छिंदवाड़ा:

चुनौती: अस्पताल 40 किमी दूर, कच्ची सड़कें

समाधान: गांववालों की सामुदायिक सहायता से समय पर अस्पताल पहुंचाना

नवाचार: झाड़-फूंक पर रोक और वैज्ञानिक उपचार को बढ़ावा

2. बादलपुर, बैतूल:

रणनीति: गर्भवती महिलाओं की सूची और जांच की निर्धारित तारीखें

जिम्मेदारी: परिवार के मुखियाओं को जांच कराने की जिम्मेदारी

फॉलो-अप: जन्म के बाद नियमित जांच और पोषण पर ध्यान

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की भूमिका

प्रमुख उपलब्धियां (2021-24):​

12 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति

1.72 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन

मातृ मृत्यु दर में 83% की कमी (1990 से)​

शिशु मृत्यु दर 39 (2014) से 28 (2020) तक कम हुआ​

विशेष योजनाएं:

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान

राष्ट्रीय सिकल सेल रोग उन्मूलन मिशन

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन​

सफलता के मुख्य कारक

1. सामुदायिक सहभागिता:

सरपंच, आशा और ANM कार्यकर्ताओं का समन्वित प्रयास

ग्रामसभा सदस्यों की सक्रिय भागीदारी​

2. व्यवस्थित निगरानी:

गर्भवती महिलाओं का 100% पंजीकरण

हाई रिस्क केसों की विशेष देखभाल

नियमित स्वास्थ्य जांच

3. डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म:

U-WIN प्लेटफॉर्म का उपयोग वास्तविक समय में टीकाकरण ट्रैकिंग के लिए​

मोबाइल मेडिकल यूनिट्स का विस्तार​

भविष्य के लक्ष्य और चुनौतियां

2030 तक के लक्ष्य:

मातृ मृत्यु दर 40 प्रति लाख तक लाना

शिशु मृत्यु दर 10 प्रति हजार तक कम करना​

मुख्य चुनौतियां:

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी​

प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों का अभाव

ढांचागत सुविधाओं का अपर्याप्त विकास​

अंतर्राष्ट्रीय तुलना और SDG लक्ष्य

भारत ने सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3 के तहत स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है:​

मातृ मृत्यु में वैश्विक औसत 42% की तुलना में 83% कमी

शिशु मृत्यु में वैश्विक 55% की तुलना में 69% कमी

Why this matters for your exam preparation

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए महत्व:

GS Paper 2: स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित मुद्दे, सामाजिक न्याय

वैकल्विक प्रश्न: "भारत में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने में सामुदायिक सहभागिता की भूमिका का आकलन करें"​

प्रारंभिक परीक्षा के लिए तथ्य:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियां

आयुष्मान भारत योजना के घटक​

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की परिभाषा और राष्ट्रीय औसत

अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए:

MPPSC में मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य नीतियों का विशेष महत्व

केंद्रीय सेवा परीक्षाओं में ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य प्रबंधन के प्रश्न

मुख्य सीख: यह उदाहरण दिखाता है कि संसाधनों की कमी के बावजूद, दृढ़ संकल्प और सामुदायिक सहयोग से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव संभव है। यह भारत के विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था की शक्ति को दर्शाता है।