होयसल साम्राज्य: दक्षिण भारत की शिल्प कला का स्वर्णिम अध्याय
होयसल साम्राज्य (11वीं-14वीं शताब्दी) कर्नाटक क्षेत्र का एक शक्तिशाली राजवंश था जिसने भारतीय स्थापत्य कला में अमूल्य योगदान दिया है। सितंबर 2023 में, होयसल मंदिरों को UNESCO विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ, जिससे भारत में UNESCO स्थलों की संख्या 42 हो गई है।
होयसल मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं
होयसल स्थापत्य शैली की अद्वितीय पहचान निम्नलिखित विशेषताओं में दिखाई देती है:
स्थापत्य संरचना:
तारा आकार (Stellate Plan) में निर्मित मंदिर
सोपस्टोन (Soapstone) का उपयोग जो बारीक नक्काशी की सुविधा प्रदान करता है
मध्यम ऊंचाई के विमान और जटिल मंतप (Mantapa) संरचना
प्रदक्षिणा पथ के साथ मूर्तिकला गैलरी
कलात्मक उत्कृष्टता:
दीवारों पर हाइपर-रियलिस्टिक मूर्तियां और पत्थर की नक्काशी
देवी-देवताओं, नर्तकियों, संगीतज्ञों के जीवंत चित्रण
रामायण, महाभारत और भागवत पुराण के दृश्यों का चित्रण
240+ दीवारी मूर्तियां हलेबीडु मंदिर में
UNESCO मान्यता प्राप्त मुख्य मंदिर
चेन्नकेशव मंदिर, बेलूर:
निर्माण काल: 1117-1220 CE (103 वर्ष में पूर्ण)
राजा विष्णुवर्धन द्वारा चोलों पर विजय के उपलक्ष्य में निर्मित
118 शिलालेख मिले हैं जो 12वीं-18वीं शताब्दी के हैं
होयसलेश्वर मंदिर, हलेबीडु:
निर्माण: 1121 CE में राजा विष्णुवर्धन के शासनकाल में
शिव को समर्पित द्विगर्भगृह मंदिर
व्यापारियों और धनी नागरिकों द्वारा प्रायोजित
केशव मंदिर, सोमनाथपुर:
निर्माण: 1268 CE में नरसिंह III के शासनकाल में
त्रिकूट मंदिर - जनार्दन, केशव और वेणुगोपाल को समर्पित
सोमनाथ दंडनायक द्वारा निर्मित
होयसल स्थापत्य की विकास यात्रा
होयसल शिल्पकला में द्रविड़ शैली का आधार है, परंतु इसमें अनेक प्रभाव दिखाई देते हैं:
प्रारंभिक काल (12वीं शताब्दी पूर्व):
पश्चिमी चालुक्य शैली का प्रमुख प्रभाव
बुनियादी द्रविड़ आकृति विज्ञान
स्वतंत्रता के बाद (12वीं शताब्दी मध्य के बाद):
भूमिजा शैली (मध्य भारत) का प्रभाव
नागर परंपराओं (उत्तर और पश्चिम भारत) का मिश्रण
कर्नाटक द्रविड़ मोड का विकास
होयसल शिल्पकारों की मौलिक नवाचार की पहचान
अन्य महत्वपूर्ण होयसल स्थल
होयसल शिल्पकला के अन्य उत्कृष्ट उदाहरण निम्नलिखित स्थानों पर देखे जा सकते हैं:
बेलवाड़ी (1200 CE)
अमृतपुरा (1196 CE)
होसहोलालु
अरसीकेरे (1220 CE)
बसारालु
किक्केरी
नग्गेहल्ली (1246 CE)
कर्नाटक में UNESCO विरासत स्थलों की स्थिति
होयसल मंदिरों के शामिल होने के साथ, कर्नाटक में कुल 4 UNESCO स्थल हैं:
सांस्कृतिक धरोहर स्थल:
होयसल मंदिर समूह (2023)
हम्पी के स्मारक समूह (1986)
पट्टडकल के मंदिर (1987)
प्राकृतिक धरोहर स्थल:
4. पश्चिमी घाट (2012)
होयसल मंदिरों का संरक्षण और प्रबंधन
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षित स्मारक होने के कारण, ये मंदिर पूर्ण सुरक्षा में हैं। UNESCO की मान्यता के बाद:
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में वृद्धि की संभावना
विश्व धरोहर समिति से वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ मार्गदर्शन
वैश्विक पहचान और सांस्कृतिक महत्व की स्वीकृति
वर्तमान में UNESCO विचाराधीन भारतीय स्थल
भारत की UNESCO संभावित सूची में 50 स्थल शामिल हैं, जिनमें तेलंगाना के मुदुमल मेनहिर्स और छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जैसे स्थल शामिल हैं।
Why this matters for your exam preparation
UPSC Prelims के लिए महत्वपूर्ण पहलू:
कला और संस्कृति (GS Paper-I):
होयसल स्थापत्य की विशिष्ट विशेषताएं और अन्य दक्षिण भारतीय शैलियों से तुलना
वेसर या चालुक्य स्थापत्य शैली के रूप में वर्गीकरण
UNESCO विश्व धरोहर स्थल की नवीनतम सूची और कर्नाटक के योगदान
Current Affairs Connection:
2023 की महत्वपूर्ण उपलब्धि - भारत का 42वां UNESCO स्थल
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और धरोहर संरक्षण की नीतियों से जुड़ाव
पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
Mains की तैयारी के लिए:
तुलनात्मक विश्लेषण: होयसल, चोल, और पल्लव स्थापत्य शैलियों की तुलना
सांस्कृतिक निरंतरता: मध्यकालीन दक्षिण भारत में कला परंपराओं का विकास
धरोहर प्रबंधन: UNESCO मान्यता का संरक्षण और पर्यटन पर प्रभाव
Previous Year Questions में संदर्भ:
UPSC Prelims 2024 में UNESCO विश्व धरोहर स्थलों पर प्रत्यक्ष प्रश्न आया था
होयसल राजवंश पर आधारित प्रश्न नियमित रूप से पूछे जाते हैं
यह विषय स्थैतिक पाठ्यक्रम और समसामयिक घटनाओं का आदर्श मिश्रण है, जो UPSC की परीक्षा रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।