हॉयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत: UPSC और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण
परिचय
प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और विज्ञान लेखक डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर का हाल ही में पुणे में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे विज्ञान को सरल भाषा में समझाने के लिए जाने जाते थे। 1960 में डॉ. नार्लीकर ने ब्रिटिश वैज्ञानिक फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर “हॉयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत” प्रस्तुत किया, जो आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत से अलग था और ब्रह्मांड विज्ञान में एक नई दृष्टि लेकर आया।
हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत क्या है?
आधार: यह सिद्धांत ‘माख्स प्रिंसिपल’ (Mach’s Principle) पर आधारित है।
मुख्य विचार:
ब्रह्मांड की प्रत्येक वस्तु का द्रव्यमान और गति, बाकी सभी वस्तुओं से प्रभावित होती है।
कोई भी वस्तु अकेली नहीं रह सकती; उसकी स्थिति और गति ब्रह्मांड की अन्य वस्तुओं पर निर्भर करती है।
आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत से अंतर:
आइंस्टीन का सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण को स्पेस-टाइम के वक्रण के रूप में देखता है।
हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत में ब्रह्मांड की सभी वस्तुएं एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।
सी-फील्ड (C-Field) की अवधारणा:
ब्रह्मांड के विस्तार के साथ खाली जगहों को भरने के लिए नए हाइड्रोजन परमाणु लगातार बनते रहते हैं।
इसे समझाने के लिए डॉ. नार्लीकर ने ‘सी-फील्ड’ (Creation Field) की अवधारणा दी।
परीक्षा के लिए मुख्य तथ्य
डॉ. जयंत नार्लीकर:
जन्म: 1938, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
खगोल भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और विज्ञान संचार में योगदान
विज्ञान को आम भाषा में लोकप्रिय बनाने के लिए प्रसिद्ध
हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत:
1960 में फ्रेड हॉयल के साथ संयुक्त रूप से प्रस्तुत
माख्स प्रिंसिपल पर आधारित
ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं के आपसी संबंध पर बल
सी-फील्ड की अवधारणा:
ब्रह्मांड के विस्तार के साथ नए हाइड्रोजन परमाणुओं का निर्माण
ब्रह्मांड में निरंतर सृजन की व्याख्या
परीक्षा के लिए डेटा और तथ्य
“हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत” UPSC प्रीलिम्स और मेन्स (GS-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) में पूछा जा सकता है।
माख्स प्रिंसिपल, सी-फील्ड और ब्रह्मांड विज्ञान से जुड़े प्रश्न अक्सर विज्ञान अनुभाग में आते हैं।
डॉ. नार्लीकर के योगदान पर निबंध या व्यक्तित्व आधारित प्रश्न संभावित हैं।
और पढ़ें – आंतरिक लिंक
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स – Atharva Examwise
UPSC के लिए प्रमुख वैज्ञानिक सिद्धांत – Atharva Blog
बाहरी संदर्भ
हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत – विकिपीडिया
आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए इसका महत्व
UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सेक्शन में हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत, माख्स प्रिंसिपल और ब्रह्मांड विज्ञान से जुड़े प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
डॉ. जयंत नार्लीकर की वैज्ञानिक उपलब्धियां, विज्ञान संचार में योगदान और उनके सिद्धांतों की समझ निबंध, व्यक्तित्व आधारित प्रश्न और इंटरव्यू में सहायक हो सकती है।
सी-फील्ड जैसी अवधारणाएं ब्रह्मांड के विस्तार और उत्पत्ति संबंधी प्रश्नों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
ऐसे विषय आपकी उत्तर लेखन क्षमता, विश्लेषण और समसामयिक विज्ञान की समझ को मजबूत करते हैं।
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