भारतीय सेना ने पाकिस्तान तनाव के बीच प्रलय मिसाइल की खरीद बढ़ाई। जानें इसकी खासियत, रणनीतिक महत्व और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्यों है जरूरी।
प्रलय मिसाइल: भारत की सामरिक बढ़त – मार्च 2025 का डेली जीके अपडेट
मार्च 2025 की करंट अफेयर्स और Atharva Examwise करंट न्यूज़ में, भारतीय सेना ने स्वदेशी विकसित प्रलय मिसाइल की अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने का फैसला लिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तनाव चरम पर है। यह भारत की पारंपरिक हमलावर क्षमता को काफी मजबूत बनाता है।
प्रलय मिसाइल क्या है?
प्रलय एक सामरिक, क्वासी-बैलिस्टिक, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे DRDO ने विकसित किया है। यह युद्ध के मैदान में उपयोग के लिए बनाई गई है और भारत को बिना परमाणु हथियार के तेज़ और सटीक पारंपरिक हमला करने की क्षमता देती है, जिससे भारत की 'पहले परमाणु हमला नहीं' नीति भी बनी रहती है।
प्रलय मिसाइल की मुख्य विशेषताएं
रेंज: 150–500 किमी, सेना की सबसे लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल।
पेलोड: 500–1,000 किलोग्राम; विभिन्न पारंपरिक वारहेड ले जाने में सक्षम (हाई-एक्सप्लोसिव, PCB, RDPS)।
ट्रैजेक्टरी: क्वासी-बैलिस्टिक, उड़ान के दौरान मार्ग बदलने की क्षमता, जिससे दुश्मन के एयर डिफेंस को चकमा देना आसान।
सटीकता: सर्कुलर एरर प्रोबेबिलिटी (CEP) 10 मीटर से भी कम, यानी बेहद सटीक निशाना।
मोबिलिटी: मोबाइल लॉन्चर (अशोक लीलैंड 12×12 HMV) से लॉन्च की जा सकती है, जिससे कहीं भी तैनात करना आसान।
रफ्तार: टर्मिनल स्पीड मैक 6.1 तक, यानी टारगेट पर तेजी से हमला।
ऑल-वेदर, डे-नाइट कैपेबिलिटी: एडवांस्ड गाइडेंस और थर्मल इमेजिंग सिस्टम से रात या खराब मौसम में भी हमला संभव।
विकास: 2015 में ₹332.88 करोड़ के बजट के साथ मंजूरी, प्रहार और पृथ्वी डिफेंस व्हीकल प्रोग्राम की तकनीकों का समावेश।
प्रलय क्यों है खबरों में? – प्रतियोगी परीक्षा न्यूज़
रणनीतिक खरीद: सेना और वायुसेना ने अब तक 370 प्रलय मिसाइलों के ऑर्डर दिए हैं और और अधिक यूनिट्स खरीदने की योजना है।
गणतंत्र दिवस डेब्यू: 2025 की गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार प्रलय को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया।
क्षेत्रीय प्रतिरोधक क्षमता: प्रलय पाकिस्तान और चीन के भीतर दुश्मन के कमांड सेंटर्स, एयरबेस, हथियार डिपो आदि को आसानी से निशाना बना सकती है।
पारंपरिक स्ट्राइक पावर: यह मिसाइल भारत को बिना परमाणु हथियार के गहराई तक हमला करने की क्षमता देती है, जिससे भारत की रक्षा नीति को मजबूती मिलती है।
प्रलय बनाम ब्रह्मोस: तुलना
विशेषता | प्रलय मिसाइल | ब्रह्मोस मिसाइल |
---|---|---|
प्रकार | क्वासी-बैलिस्टिक, सतह से सतह | सुपरसोनिक क्रूज़, सतह/समुद्र/वायु |
रेंज | 150–500 किमी | ~290+ किमी |
पेलोड | 500–1,000 किलोग्राम (पारंपरिक) | 200–300 किलोग्राम (पारंपरिक) |
ट्रैजेक्टरी | बैलिस्टिक, टर्मिनल में मार्ग बदल सकती है | कम ऊँचाई, टेढ़े-मेढ़े रास्ते |
रफ्तार | मैक 6.1 तक | मैक 3 तक |
मुख्य उपयोग | दुश्मन के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर गहरा हमला | सटीक, तेज़ और चुपचाप हमला |
मोबिलिटी | मोबाइल लॉन्चर (रोड मोबाइल) | मोबाइल, शिप, सबमरीन, एयरक्राफ्ट |
मुख्य तथ्य – डेली जीके अपडेट
प्रलय भारत की पहली सामरिक क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जो तेज़, सटीक और गहरा पारंपरिक हमला कर सकती है।
यह अपनी अनियमित उड़ान के कारण दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस को चकमा दे सकती है।
मिसाइल की तैनाती से भारत की पाकिस्तान और चीन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
प्रलय की तैनाती से भारत की 'पहले परमाणु हमला नहीं' नीति भी बनी रहेगी।
इसे आर्टिलरी यूनिट्स में शामिल किया जाएगा, जिससे सेना सीमा पार दुश्मन के ठिकानों तक हमला कर सकेगी।
परीक्षाओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण
UPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रलय मिसाइल की तकनीकी खासियतें, रणनीतिक महत्व और हाल की घटनाएं जानना बेहद जरूरी है। मार्च 2025 की करंट अफेयर्स और डेली जीके अपडेट के लिहाज से, प्रलय की तैनाती भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक क्षमताओं में ऐतिहासिक बदलाव है, जिससे यह विषय आगामी परीक्षाओं में पूछे जाने की पूरी संभावना है।
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