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भारत की बढ़ती बिजली मांग, परमाणु ऊर्जा योजनाओं और नेट-ज़ीरो लक्ष्य में हाइड्रोजन की भूमिका को जानें। मार्च 2025 के लिए आवश्यक करंट अफेयर्स।

भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग और हाइड्रोजन की भूमिका: एक समग्र करंट अफेयर्स विश्लेषण

भारत की नेट-ज़ीरो अर्थव्यवस्था की ओर यात्रा ने उसके ऊर्जा क्षेत्र को तेजी से बदल दिया है। इसमें बिजलीकरण, निम्न-कार्बन स्रोतों और हाइड्रोजन जैसे भविष्य के ईंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। UPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानें भारत की ऊर्जा रणनीति, सरकारी पहलों और इनसे जुड़ी परीक्षोपयोगी जानकारी।

भारत की ऊर्जा मांग: नेट-ज़ीरो की ओर बढ़ता कदम

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत, इस वर्ष अपनी बिजली की मांग में 8% की वृद्धि देखने जा रहा है। यह वृद्धि आर्थिक विकास और डिजिटल परिवर्तन के कारण हो रही है। भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट-ज़ीरो बनना है, जिसके लिए उद्योग, परिवहन जैसे क्षेत्रों में विद्युतीकरण और जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाना आवश्यक होगा।

मुख्य बिंदु:

उद्योगों का विद्युतीकरण: इस्पात और उर्वरक निर्माण जैसे क्षेत्रों में बिजली और हाइड्रोजन का प्रयोग।

मांग में तेज़ी: भारत की पीक डिमांड 2030 तक 409 GW तक पहुंच सकती है, जो वर्तमान स्तर से 67 GW अधिक है।

ऊर्जा मिश्रण: सौर, पवन, जल और परमाणु ऊर्जा सभी आवश्यक हैं। केवल अक्षय ऊर्जा से मांग पूरी नहीं की जा सकती।

परमाणु ऊर्जा: भारत के ऊर्जा संक्रमण का स्तंभ

अक्षय ऊर्जा की सीमाओं को देखते हुए, भारत सरकार ने 2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। यह ऊर्जा स्रोत लगातार और निम्न-कार्बन विकल्प के रूप में कार्य करेगा।

प्रमुख तथ्य:

विस्तार योजनाएँ: न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा 700 MW के 26 PHWR यूनिट्स निर्माणाधीन।

भारत स्मॉल रिएक्टर्स (BSRs): 220 MW के छोटे रिएक्टर जो उद्योगों जैसे स्टील, एल्यूमिनियम को डीकार्बोनाइज़ करने में सहायक होंगे।

नीतिगत प्रोत्साहन: बजट 2025-26 में ₹20,000 करोड़ की घोषणा, जिसमें SMR (Small Modular Reactors) के लिए R&D और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल है।

हाइड्रोजन की भूमिका: भारत की हरित हाइड्रोजन योजना

हाइड्रोजन को भारत की डीकार्बोनाइजेशन रणनीति में गेम-चेंजर माना जा रहा है। खासकर उच्च तापमान वाले उद्योगों में इसका इस्तेमाल प्रभावी है। भारत का लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हरित हाइड्रोजन उत्पादन का है।

महत्वपूर्ण पहलू:

उत्पादन और निर्यात: भारत अपनी आधी से अधिक हाइड्रोजन का निर्यात करना चाहता है। प्रमुख हब: ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात।

इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण: 3 GW की वार्षिक निर्माण क्षमता स्वीकृत; गीगाफैक्ट्रीज़ निर्माणाधीन।

औद्योगिक उपयोग: हाइड्रोजन का इस्पात निर्माण और उर्वरक उद्योग में फीडस्टॉक के रूप में उपयोग।

नवीन परिभाषा: सरकार "ग्रीन हाइड्रोजन" को "लो-कार्बन हाइड्रोजन" के रूप में पुनर्परिभाषित करने पर विचार कर रही है, जिसमें परमाणु ऊर्जा से उत्पादित हाइड्रोजन को भी शामिल किया जा सकता है।

ऊर्जा भंडारण और ग्रिड स्थिरता में हाइड्रोजन की भूमिका

नवीकरणीय ऊर्जा को बड़े पैमाने पर ग्रिड में जोड़ने के लिए नई तकनीकों की ज़रूरत है। इलेक्ट्रोलाइज़र द्वारा अतिरिक्त सौर/पवन बिजली का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पादन, बैटरी भंडारण की लागत कम कर सकता है और ऊर्जा बर्बादी रोक सकता है।

प्रमुख समाधान:

ग्रिड संतुलन: इलेक्ट्रोलाइज़र और बैटरी स्टोरेज को मिलाकर बेस लोड प्लांट्स को स्थिर रखा जा सकता है।

नीतिगत सुझाव: आधिकारिक परिभाषा में “ग्रीन हाइड्रोजन” को “लो-कार्बन हाइड्रोजन” में बदला जाए और हाइड्रोजन उत्पादन को स्टोरेज से जोड़ा जाए।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य निष्कर्ष

भारत की बिजली मांग तेजी से बढ़ रही है, जिसके लिए विविध ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता है।

2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा लक्ष्य और उद्योगों के लिए भारत स्मॉल रिएक्टर्स (BSRs) पर फोकस।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य: 2030 तक 5 MMT हाइड्रोजन उत्पादन।

इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण और हाइड्रोजन-आधारित औद्योगिक उपयोग का विस्तार हो रहा है।

“ग्रीन हाइड्रोजन” की परिभाषा में बदलाव और परमाणु स्रोत से बने हाइड्रोजन को शामिल करने की तैयारी।

हाइड्रोजन उत्पादन और ऊर्जा भंडारण का तालमेल ग्रिड स्थिरता के लिए अनिवार्य।

यह टॉपिक परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

मार्च 2025 के करंट अफेयर्स, डेली GK अपडेट और Atharva Examwise के लिए यह विषय अत्यंत स्कोरिंग है। इसमें पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और सरकारी नीतियाँ—चारों क्षेत्रों का मिश्रण है। UPSC, SSC, बैंकिंग, रेलवे जैसी परीक्षाओं में यह एक हाई-वैल्यू टॉपिक है।

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