करेंट अफेयर्स 19 जुलाई 2025: ब्रिटेन में तीन लोगों के डीएनए से जन्मे आठ स्वस्थ शिशु — माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी से बचाव में वैज्ञानिक सफलता

प्रजनन विज्ञान में क्रांतिकारी सफलता

ब्रिटेन ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। 16 जुलाई 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां तीन व्यक्तियों के डीएनए की मदद से आठ स्वस्थ शिशुओं का जन्म हुआ है। यह माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थैरेपी (Mitochondrial Replacement Therapy - MRT) के क्लिनिकल परीक्षण का सबसे सफल उदाहरण है, जिससे गंभीर माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों से बचाव संभव हुआ है।

यह उपचार — जिसे आमतौर पर “थ्री-पेरेंट आईवीएफ” कहा जाता है — में मां और पिता के डीएनए के साथ-साथ एक दाता महिला के स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का इस्तेमाल किया गया है।

इन शिशुओं में शामिल हैं:

चार लड़के

चार लड़कियां (इनमें एक जुड़वां जोड़ी शामिल)

एक और महिला अभी गर्भवती है

माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी: समस्या और वैज्ञानिक समाधान

समस्या: माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए में विकृति

माइटोकॉन्ड्रिया, जिन्हें कोशिकाओं के “पावर प्लांट” कहा जाता है, में उनका अपना अलग डीएनए होता है। यह डीएनए शरीर की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया को नियंत्रित करता। यदि इसमें जन्मजात विकृति हो, तो यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

हर साल लगभग 5,000 नवजात प्रभावित होते हैं

यह बीमारियां मां के माध्यम से ही अनुवांशिक रूप से फैलती हैं

लक्षणों में मांसपेशियों की कमजोरी, दौरे, अंग विफलता, और मृत्यु शामिल

कोई स्थायी इलाज नहीं है

समाधान: माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थैरेपी (MRT)

न्यूकासल टीम ने “प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर” तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें:

मां और दाता की अंडाणुओं को शुक्राणु से निषेचित किया गया

मां के निषेचित अंडाणु से डीएनए निकाला गया

इसे दाता के अंडाणु में प्रत्यर्पित किया गया, जिसमें पहले से केवल स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया बचा था

इस नए भ्रूण में मां-बाप का नाभिकीय डीएनए और दाता का माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए मिला

उपलब्धि के मुख्य बिंदु:

सभी आठ बच्चे जन्म के समय पूर्णतः स्वस्थ और सामान्य विकास कर रहे थे

छह शिशुओं में 95%-100% तक विकृत माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए हटाया गया

दो शिशुओं में भी 77%-88% तक कमी रही — बीमारी के स्तर से काफी नीचे

दाता का डीएनए केवल 0.1% से भी कम होता है

वैश्विक विनियामक ढांचा और कानूनी पहलू

यूनाइटेड किंगडम: माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन में अगुवा

ब्रिटेन पहला देश है जिसने 2015 में इस तकनीक को कानूनी मान्यता दी। प्रक्रिया में शामिल थे:

2012: नफील्ड काउंसिल ऑन बायोएथिक्स द्वारा नैतिक समीक्षा

2013: मानव निषेचन और भ्रूणविज्ञान प्राधिकरण (HFEA) द्वारा सार्वजनिक राय

2015: संसद के दोनों सदनों से स्वीकृति

2017: न्यूकासल फर्टिलिटी सेंटर को पहला लाइसेंस

ब्रिटेन में हर मामले के लिए:

HFEA से अनुमोदन आवश्यक

सख्त निगरानी और फॉलोअप

केवल गंभीर माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी के जोखिम वाले केस में उपयोग

सुनिश्चित साक्षर सहमति प्रक्रिया

अन्य देशों का रुख

जहां तकनीक की अनुमति है:

ब्रिटेन (2015) — क्लिनिकल उपयोग स्वीकृत

ऑस्ट्रेलिया (2022) — हाल ही में विधिकरण, परीक्षण शीघ्र शुरू

वर्जित या सीमित देश:

संयुक्त राज्य अमेरिका — 2015 से वैज्ञानिक अनुसंधान पर प्रतिबंध

अधिकांश यूरोपीय देश — अनियमित या अस्वीकृत

कनाडा, फ्रांस, जर्मनी — साफ मना

नैतिक चिंतन और वैज्ञानिक विमर्श

तकनीक के समर्थन में तर्क

चिकित्सकीय लाभ:

अनुवांशिक बीमारियों को रोकने की क्षमता

परिवारों को जैविक संतान का विकल्प

नियंत्रित और प्रमाणित प्रक्रियाएं

न्यूनतम परिवर्तन (केवल माइटोकॉन्ड्रिया पर)

चिंता के बिंदु

नैतिक मुद्दे:

भावी पीढ़ियों पर प्रभाव — बिना सहमति के

"डिज़ाइनर बेबी" जैसी आशंकाएं

दीर्घकालिक सुरक्षा पर सवाल

दाता महिलाओं का शोषण संभावित

धार्मिक या सांस्कृतिक विरोध

वैज्ञानिक बाधाएं:

पूरी तरह बीमारी खत्म नहीं होती

कुछ विकृत डीएनए शेष रह सकता है

केवल खास माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों में उपयोगी

शिशुओं पर दीर्घकालिक निगरानी आवश्यक

वैश्विक अनुसंधान और भविष्य की संभावनाएं

यूनाइटेड किंगडम द्वारा किया गया यह परीक्षण अब तक का सबसे सटीक और नियंत्रित प्रयोग है

ग्रिक, स्पेन, यूक्रेन एवं मैक्सिको जैसे देशों में भी निजी क्लीनिक इस तकनीक का रूपांतर प्रयोग कर रहे हैं

शोधकर्ताओं द्वारा शिशुओं की स्थिति की निगरानी पांच वर्ष की आयु तक की जाएगी

यह आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

यह समाचार UPSC एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए कई आयामों से अति महत्वपूर्ण है:

सामान्य अध्ययन–III (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

बायोटेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग

जेनेटिक इंजीनियरिंग की नैतिकता

सहायक प्रजनन तकनीकों का विकास

क्लिनिकल ट्रायल और नियमन

सामान्य अध्ययन–IV (नैतिकता)

जर्मलाइन बदलाव की नैतिकता

भविष्य की पीढ़ियों पर प्रभाव

वैज्ञानिक अनिश्चितताओं का नैतिक विश्लेषण

करेंट अफेयर्स से समन्वय

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक नीति

हेल्थ टेक्नोलॉजी नीति निर्माण

वैधानिक संरचना और जैव नीति

परीक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदु:

विभिन्न देशों के कानूनी दृष्टिकोण की तुलना कीजिए

नैतिक दुविधाओं पर विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए

वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर नीति निर्धारण की विवेचना कीजिए

सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए

संभावित प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा प्रश्न:

माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थैरेपी की वैज्ञानिक और नैतिक जटिलताओं पर चर्चा कीजिए।

विभिन्न देशों में जैव-प्रदत्त तकनीकों के नियमन की तुलना एवं विश्लेषण कीजिए।

“थ्री-पेरेंट बेबी” तकनीक के सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों की विवेचना कीजिए।

इस खबर से जुड़े नोट्स अपनी करंट अफेयर्स डायरी में जरूर जोड़ें और इस विषय पर केस स्टडी के रूप में इसका अभ्यास करें।

Atharva Examwise के साथ बने रहें — आपकी सफलता का साथी!