भारत ने 2026 के लिए किम्बर्ली प्रक्रिया की अध्यक्षता संभाली: संघर्ष हीरे, UPSC GK और करंट अफेयर्स की पूरी व्याख्या

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किम्बर्ली प्रक्रिया क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत को 1 जनवरी 2026 से प्रभावी रूप से किम्बर्ली प्रक्रिया (Kimberley Process – KP) की अध्यक्षता संभालने के लिए चुना गया है—यह एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी है, जिसे भारत तीसरी बार निभाएगा। यह त्रिपक्षीय वैश्विक पहल सरकारों, अंतरराष्ट्रीय हीरा उद्योग और नागरिक समाज संगठनों को एक साथ लाती है, जिसका एकमात्र उद्देश्य है: संघर्ष हीरों (Conflict Diamonds) के व्यापार को रोकना, जिन्हें आमतौर पर “ब्लड डायमंड्स” या “वॉर डायमंड्स” कहा जाता है।

किम्बर्ली प्रक्रिया प्रमाणन योजना (Kimberley Process Certification Scheme – KPCS) केवल एक प्रशासनिक ढांचा नहीं है; यह एक समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयास है, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वैध बाजारों में बेचे जाने वाले हीरे सशस्त्र संघर्षों, मानवाधिकार उल्लंघनों या संप्रभु सरकारों को अस्थिर करने वाले विद्रोही आंदोलनों को वित्तपोषित न करें।
UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए इस तंत्र को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है—यह अक्सर करंट अफेयर्स, सामान्य अध्ययन (GS) पेपर I और II, तथा वैश्विक शासन और नैतिकता से जुड़े निबंधों में पूछा जाता है।

संघर्ष हीरों की समझ: परिभाषा और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

संघर्ष हीरे वे कच्चे (Rough) हीरे होते हैं, जिन्हें युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अवैध रूप से खनन किया जाता है और सशस्त्र संघर्षों को वित्तपोषित करने के लिए बेचा जाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों के अनुसार, ये वे “कच्चे हीरे हैं जिनका उपयोग विद्रोही समूह या उनके सहयोगी वैध सरकारों को कमजोर करने वाले संघर्षों को वित्तपोषित करने के लिए करते हैं।”

यह शब्द 1990 और 2000 के दशक में तब प्रमुख हुआ, जब अफ्रीकी देशों—विशेष रूप से सिएरा लियोन, अंगोला और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC)—में अवैध हीरा व्यापार द्वारा पोषित भीषण संघर्ष हुए। उदाहरण के लिए:

सिएरा लियोन का गृहयुद्ध (1991–2002): विद्रोही समूहों (विशेषकर Revolutionary United Front) ने हीरा तस्करी के माध्यम से अपने अभियानों को वित्तपोषित किया, जिसके परिणामस्वरूप अनुमानित 70,000 से अधिक मौतें और व्यापक अत्याचार हुए।

अंगोला (1975–2002): UNITA (National Union for the Total Independence of Angola) ने हीरा राजस्व का उपयोग हथियार खरीदने और 27 वर्षों तक चले संघर्ष को बनाए रखने में किया।

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य: कई सशस्त्र समूह आज भी हीरा खनन का शोषण वित्तीय संसाधन के रूप में करते हैं।

Global Witness जैसे संगठनों ने खोजी पत्रकारिता के माध्यम से इन संबंधों को उजागर किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई को गति मिली। फाउलर रिपोर्ट (मार्च 2000) ने औपचारिक रूप से “ब्लड डायमंड” की घटना को दस्तावेज़ित किया, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने किम्बर्ली प्रक्रिया ढांचे की स्थापना की।

किम्बर्ली प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS): संरचना और उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 55/56 के तहत 2003 में स्थापित KPCS, 1 जनवरी 2003 से प्रभावी हुआ। यह तीन मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है:

राष्ट्रीय कानून: प्रत्येक प्रतिभागी देश को ऐसे कानून बनाने होते हैं जो संघर्ष हीरों के वित्तपोषण को रोकें

संस्थागत नियंत्रण: सरकारों को निर्यात, आयात और आंतरिक निगरानी के लिए मजबूत प्रणालियाँ लागू करनी होती हैं

प्रमाणन तंत्र: प्रत्येक कच्चे हीरे के निर्यात के साथ सरकारी रूप से जारी, जालसाजी-रोधी किम्बर्ली प्रक्रिया प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है, जो छेड़छाड़-रोधी कंटेनर में भेजा जाता है

योजना का दायरा:

वर्तमान में KPCS में 60 प्रतिभागी देश शामिल हैं, जो 86 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं (यूरोपीय संघ को एक प्रतिभागी माना जाता है)। ये देश सामूहिक रूप से वैश्विक कच्चे हीरा उत्पादन का लगभग 99.8% हिस्सा रखते हैं, जिससे यह योजना लगभग सार्वभौमिक बन जाती है।

प्रतिभागी देशों के लिए प्रमुख आवश्यकताएँ:

KPCS मानकों के अनुरूप राष्ट्रीय हीरा नीतियाँ बनाए रखना

हीरा उत्पादन, आयात और निर्यात पर वार्षिक सांख्यिकीय रिपोर्ट प्रस्तुत करना

गैर-प्रतिभागी देशों या संघर्ष-प्रभावित स्रोतों से हीरों के आयात से इनकार करना

सहकर्मी-समीक्षा और निगरानी तंत्र में भाग लेना

भारत की नेतृत्व भूमिका: दो दशकों में तीन अध्यक्षताएँ

2026 में भारत का KP अध्यक्ष बनना, इस 23 वर्षीय योजना के इतिहास में उसकी तीसरी अध्यक्षता है:

वर्षभारत की भूमिकासंदर्भ
2007उपाध्यक्षआधार-निर्माण वर्ष
2008अध्यक्षपहली अध्यक्षता; भारत ने KP बैठकें आयोजित कीं
2012अध्यक्ष नहीं (पर सक्रिय भागीदारी)निगरानी समूहों में निरंतर सहभागिता
2019–2020अध्यक्षदूसरी अध्यक्षता; नई दिल्ली में प्लेनरी आयोजित
2025–2026उपाध्यक्ष → अध्यक्ष25 दिसंबर 2025 को उपाध्यक्ष; 1 जनवरी 2026 से अध्यक्ष

भारत का बार-बार चयन वैश्विक हीरा व्यापार और विनिर्माण में उसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है। दुनिया के सबसे बड़े हीरा कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र के रूप में, जहाँ वैश्विक पॉलिश्ड हीरा उत्पादन का 90% से अधिक होता है, भारत का नेतृत्व अत्यंत प्रभावशाली है।

वैश्विक शासन के लिए यह तीसरी अध्यक्षता क्यों महत्वपूर्ण है

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, अपने कार्यकाल के दौरान भारत चार रणनीतिक स्तंभों पर ध्यान देगा:

शासन और अनुपालन को मजबूत करना: सभी 60 प्रतिभागियों में KPCS मानकों के पालन को सुदृढ़ करना

डिजिटल प्रमाणन और ट्रेसबिलिटी को बढ़ावा देना: ब्लॉकचेन और डिजिटल प्रमाणन तकनीकों के माध्यम से आपूर्ति-श्रृंखला सत्यापन का आधुनिकीकरण

डेटा-आधारित निगरानी से पारदर्शिता बढ़ाना: हीरा व्यापार प्रवाह में असामान्यताओं का पता लगाने हेतु रियल-टाइम एनालिटिक्स

उपभोक्ता विश्वास निर्माण: “4 Cs” (कट, क्लैरिटी, कलर, कैरेट) से आगे बढ़कर “5वाँ C”—Conflict-Free की अवधारणा को प्रोत्साहित करना

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत का चयन “अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर वैश्विक विश्वास को दर्शाता है।” यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भू-राजनीतिक बदलाव, आपूर्ति-श्रृंखला व्यवधान (विशेषकर रूस-यूक्रेन तनाव) और टिकाऊ, नैतिक रूप से प्राप्त हीरों की बढ़ती मांग भारत के नेतृत्व को अत्यंत प्रासंगिक बनाती है।

भारत का हीरा उद्योग: रणनीतिक महत्व

परीक्षा तैयारी के लिए भारत की आर्थिक हिस्सेदारी को समझना आवश्यक है। UPSC अभ्यर्थियों के लिए प्रमुख तथ्य:

सूरत: वैश्विक हीरा केंद्र

स्थान: सूरत, गुजरात

वैश्विक बाजार हिस्सेदारी: विश्व के 90% से अधिक हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग

कार्यबल: लगभग 5–7 लाख श्रमिक

उद्योग इकाइयाँ: सूरत में 4,000 से अधिक कंपनियाँ

दोहरा प्रसंस्करण: प्राकृतिक हीरों के साथ-साथ लैब-ग्रोन डायमंड (LGD) की कटिंग भी

व्यापार आँकड़े:

2012 में भारत के हीरा क्षेत्र में उल्लेखनीय आयात-निर्यात गतिविधि दर्ज की गई:

आयात: 151.9 मिलियन कैरेट, मूल्य $14.88 अरब

निर्यात: 34.4 मिलियन कैरेट, मूल्य $1.80 अरब

ये आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत को KPCS का नेतृत्व क्यों करना चाहिए—क्योंकि उपभोक्ता विश्वास उसके हीरा उद्योग की नींव है।

किम्बर्ली प्रक्रिया की आलोचनाएँ और सीमाएँ

समग्र परीक्षा तैयारी के लिए, उपलब्धियों के साथ-साथ आलोचनाओं को समझना भी आवश्यक है:

संकीर्ण परिभाषा: यह योजना “संघर्ष हीरे” को केवल सरकार-विरोधी विद्रोही समूहों द्वारा वित्तपोषण तक सीमित करती है; राज्य-पोषित मानवाधिकार उल्लंघनों को शामिल नहीं करती

कार्यान्वयन में कमियाँ: Global Witness (2011 में बाहर) और IMPACT (2017 में बाहर) जैसे संगठनों ने अपर्याप्त प्रवर्तन के कारण प्रक्रिया छोड़ी

निगरानी चुनौतियाँ: नदी-तल (Alluvial) से मिलने वाले हीरों को ट्रैक करना कठिन होता है, जिससे तस्करी संभव होती है

सीमित दायरा: पर्यावरणीय क्षरण, श्रम शोषण और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दों को शामिल नहीं किया गया—जिन्हें Human Rights Watch ने रेखांकित किया

भारत का हीरा उद्योग और वैश्विक आर्थिक प्रभाव

वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला में भारत की भूमिका कटिंग-पॉलिशिंग से आगे बढ़ चुकी है:

सूरत डायमंड बोर्स (SDB): 2023 में उद्घाटित, यह हीरा व्यापार के लिए समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा कार्यालय परिसर है, जिसका उद्देश्य व्यापार केंद्र को मुंबई से सूरत स्थानांतरित करना है

लैब-ग्रोन डायमंड (LGD): टिकाऊ विकल्पों की बढ़ती मांग के साथ, सूरत के निर्माता LGD की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे भारत भविष्य के हीरा बाजार में अग्रणी बन रहा है

आपकी परीक्षा तैयारी के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है

UPSC अभ्यर्थियों के लिए:

यह विषय कई परीक्षा क्षेत्रों को जोड़ता है:

GS पेपर-I (भूगोल एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध):

वैश्विक व्यापार नेटवर्क और आपूर्ति-श्रृंखला शासन

अफ्रीकी क्षेत्रों में संघर्ष अध्ययन (सिएरा लियोन, अंगोला, DRC)

बहुपक्षीय ढाँचों में भारत की भूमिका

GS पेपर-II (शासन एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध):

संयुक्त राष्ट्र तंत्र और प्रस्ताव

वैश्विक शासन के त्रिपक्षीय मॉडल (सरकार-उद्योग-नागरिक समाज)

भारत की सॉफ्ट पावर और कूटनीतिक नेतृत्व

GS पेपर-III (अर्थव्यवस्था एवं अवसंरचना):

भारत का हीरा विनिर्माण उद्योग और निर्यात अर्थशास्त्र

सूरत की वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भूमिका

आपूर्ति-श्रृंखला शासन और प्रमाणन तंत्र

निबंध पत्र:

“जिम्मेदार सोर्सिंग और नैतिक उपभोग”

“आपस में जुड़े विश्व में वैश्विक शासन”

“अंतरराष्ट्रीय मानकों को आकार देने में भारत की भूमिका”

प्रीलिम्स MCQ अभ्यास:

परिभाषाएँ: “निम्न में से कौन-सा संघर्ष हीरों की विशेषता नहीं है?”

ऐतिहासिक संदर्भ: “किम्बर्ली प्रक्रिया की शुरुआत किस वर्ष हुई?”

भारत-विशेष: “दुनिया की अधिकांश हीरा कटिंग-पॉलिशिंग किस शहर में होती है?”

नीति प्रश्न: “KPCS की एक सीमा क्या है?”

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य निष्कर्ष

अवधारणामुख्य जानकारीपरीक्षा प्रासंगिकता
किम्बर्ली प्रक्रिया2003 में स्थापित; संघर्ष हीरों का व्यापार रोकनाGS-II
संघर्ष हीरेविद्रोही समूहों को वित्तपोषित करने वाले कच्चे हीरेGS-I एवं GS-II
KPCS कवरेज60 प्रतिभागी; 86 देश; 99.8% वैश्विक उत्पादनअर्थव्यवस्था
भारत की अध्यक्षतातीसरी बार (2008, 2019-20, 2026)करंट अफेयर्स
सूरत90% वैश्विक कटिंग; ~7 लाख श्रमिकभूगोल
डिजिटल नवाचारब्लॉकचेन आधारित प्रमाणन पर जोरटेक्नोलॉजी
आलोचनाएँसीमित दायरा, प्रवर्तन कमजोरGS-II

 

गहन अध्ययन के लिए अतिरिक्त संसाधन

किम्बर्ली प्रक्रिया की आधिकारिक वेबसाइट: www.kimberleyprocess.com

PIB (प्रेस सूचना ब्यूरो) के भारत की अध्यक्षता संबंधी विज्ञप्तियाँ

UPSC CSE के पिछले प्रश्न (हीरे, अफ्रीका, अंतरराष्ट्रीय व्यापार)

सतत सोर्सिंग और ESG मानकों पर विश्लेषण