Hornbill Festival 2025: नागालैंड का सांस्कृतिक उत्सव और UPSC करंट अफेयर्स

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परिचय

हॉर्नबिल फेस्टिवल भारत के सबसे जीवंत और प्रामाणिक सांस्कृतिक उत्सवों में से एक है, जो हर वर्ष दिसंबर में नागालैंड में आयोजित होता है। इसे “पूर्वोत्तर का कुंभ मेला” कहा जाता है। यह 10-दिवसीय महोत्सव नागालैंड की स्वदेशी जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है और समय के साथ एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण बन चुका है, जो देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए यह उत्सव भारत की जनजातीय संस्कृतियों, क्षेत्रीय पहचान और जनजातीय समुदायों से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों को समझने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

हॉर्नबिल फेस्टिवल क्या है?

हॉर्नबिल फेस्टिवल एक राज्य-प्रायोजित सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे हर वर्ष नागालैंड पर्यटन एवं विरासत विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है। यह कोहिमा (राज्य की राजधानी) से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित किसामा हेरिटेज विलेज में आयोजित होता है। यह 10-दिवसीय उत्सव (आमतौर पर 1–10 दिसंबर) नागालैंड की विविध जातीय जनजातियों की स्वदेशी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उत्सव है।

उत्सव के प्रमुख विवरण:

अवधि: 10 दिन (हर वर्ष 1–10 दिसंबर)

स्थान: किसामा हेरिटेज विलेज, कोहिमा, नागालैंड

स्थापना: 1980 के दशक में, नागालैंड सरकार द्वारा

मुख्य उद्देश्य: जनजातीय सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और प्रचार

भागीदारी: नागा की सभी 16 प्रमुख जनजातियाँ

वैश्विक स्थिति: UNESCO-मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक आयोजन, जिसमें अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भी भाग लेते हैं

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उत्पत्ति

यह उत्सव 1980 के दशक में नागालैंड राज्य सरकार की एक सुविचारित पहल के रूप में शुरू हुआ, जिसके उद्देश्य थे:

आधुनिकीकरण से होने वाले सांस्कृतिक क्षरण से जनजातीय विरासत की रक्षा करना

नागा युवाओं में सांस्कृतिक गर्व को बढ़ावा देना और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ना

पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना

विभिन्न नागा समुदायों को एक साझा मंच प्रदान कर अंतर-जनजातीय एकता को बढ़ावा देना

“हॉर्नबिल” नाम हॉर्नबिल पक्षी से लिया गया है, जिसे नागा संस्कृति में समृद्धि, सौभाग्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह प्रतीकात्मक चयन नागा समुदायों के प्रकृति से गहरे आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है।

नागालैंड की 16 नागा जनजातियाँ

यह उत्सव नागालैंड की 16 प्रमुख जनजातियों को एक साथ लाता है, जिनकी अपनी-अपनी विशिष्ट परंपराएँ, बोलियाँ और रीति-रिवाज हैं:

अंगामी (सेकर्नी उत्सव)

आओ

चांग

चाखेसांग

दिमासा-कछारी

कछारी

खियामनियुंगन

कोन्याक

लोथा

फोम

पोचुरी

रेंगमा

संगतम

सुमी

तिखिर

यिमचुंगर

यह जनजातीय विविधता नागालैंड की बहुसांस्कृतिक पहचान को रेखांकित करती है और भारत की संघीय संरचना व जनजातीय प्रशासन नीतियों को समझने के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करती है।

उत्सव के प्रमुख आकर्षण

पारंपरिक नृत्य और प्रस्तुतियाँ

योद्धा परंपराओं को दर्शाने वाले युद्ध नृत्य

कृषि चक्र से जुड़े फसल उत्सव नृत्य

जनजातीय अनुष्ठानों को दर्शाने वाली औपचारिक प्रस्तुतियाँ

स्वदेशी वाद्ययंत्रों के साथ लोक संगीत

पारंपरिक मोरुंग (योद्धा गृह)

हॉर्नबिल फेस्टिवल की एक विशिष्ट विशेषता नागा मोरुंग का प्रदर्शन है—ये पारंपरिक सामुदायिक योद्धा छात्रावास होते हैं। ये:

पारंपरिक नागा वास्तुकला शैली को दर्शाते हैं

योद्धा प्रशिक्षण और जनजातीय शासन प्रणालियों को प्रदर्शित करते हैं

पारंपरिक हथियारों और शिकार उपकरणों को दिखाते हैं

जनजातीय प्रशासनिक ढाँचों के जीवंत संग्रहालय के रूप में कार्य करते हैं

हॉर्नबिल नाइट मार्केट

स्थानीय हस्तशिल्प — पारंपरिक वस्त्र, मनके-कला, लकड़ी की नक्काशी

प्रामाणिक नागा व्यंजन — स्थानीय और पारंपरिक खाद्य पदार्थ

कारीगर प्रदर्शनी — जनजातीय शिल्प के लाइव प्रदर्शन

स्मृति-वस्तुएँ — सांस्कृतिक उत्पाद और प्रामाणिक जनजातीय वस्तुएँ

प्रतियोगिताएँ और खेल आयोजन

तीरंदाजी प्रतियोगिताएँ — पारंपरिक धनुष-बाण

जनजातीय खेल — रस्साकशी, पत्थर धकेलना आदि

सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ — गायन, नृत्य, पारंपरिक संगीत

पाक-कला प्रतियोगिताएँ — नागा व्यंजनों का प्रदर्शन

नागालैंड के अन्य सांस्कृतिक उत्सव

सेकर्नी उत्सव (अंगामी जनजाति)

समय: फरवरी

महत्व: शुद्धिकरण और फसल उत्सव

परंपराएँ: सामूहिक भोज, पारंपरिक गायन, शुद्धिकरण अनुष्ठान

सांस्कृतिक मूल्य: कृषि चक्र और सामाजिक एकता का प्रदर्शन

मिनी हॉर्नबिल फेस्टिवल

फरवरी में सेकर्नी के साथ आयोजित

छोटे स्तर का सांस्कृतिक आयोजन

दिसंबर में न आ पाने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण

सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व

अंतर-जनजातीय एकता और राष्ट्रीय एकीकरण

विभिन्न जनजातियों को साझा मंच

आपसी समझ और सौहार्द

व्यक्तिगत जनजातीय स्वायत्तता के साथ नागा पहचान का सुदृढ़ीकरण

“एकता में विविधता” के संवैधानिक सिद्धांत का प्रदर्शन

युवा सहभागिता और सांस्कृतिक निरंतरता

युवाओं को पारंपरिक संस्कृति से जोड़ना

आधुनिकीकरण से सांस्कृतिक क्षरण की रोकथाम

पारंपरिक ज्ञान का पीढ़ीगत हस्तांतरण

जनजातीय गर्व का सृजन

आर्थिक और पर्यटन विकास

नागालैंड की अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख राजस्व स्रोत

अंतरराष्ट्रीय पर्यटन आकर्षण

स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों के लिए मंच

उत्सव काल में रोजगार सृजन

नागालैंड: संवैधानिक और प्रशासनिक संदर्भ

राज्य गठन

भारतीय संघ में प्रवेश: 1963

पूर्व स्थिति: असम का हिस्सा

संवैधानिक दर्जा: अनुच्छेद 371(A) के तहत विशेष प्रावधानों के साथ पूर्ण राज्य

अनुच्छेद 371(A) के विशेष प्रावधान

धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता

भूमि स्वामित्व पर प्रतिबंध (बाहरी व्यक्ति कृषि भूमि नहीं खरीद सकते)

कुछ केंद्रीय कानूनों का स्वतः लागू न होना

पारंपरिक जनजातीय प्रशासन की संवैधानिक मान्यता

नागा प्रथागत कानून

भारतीय कानून के साथ-साथ प्रथागत कानून की मान्यता

विभिन्न जनजातियों के अलग-अलग प्रथागत ढाँचे

भारत में एक अद्वितीय बहुविध कानूनी प्रणाली

परीक्षा तैयारी के लिए महत्त्व

UPSC मेन्स

GS-I: जनजातीय संस्कृति, सांस्कृतिक संरक्षण
GS-II: अनुच्छेद 371(A), संघवाद, अल्पसंख्यक अधिकार
GS-III: पर्यटन, आर्थिक विकास, सामाजिक सशक्तिकरण

UPSC प्रीलिम्स

अनुच्छेद 371(A)

नागा जनजातियाँ

उत्सव की तिथि और स्थान

हॉर्नबिल पक्षी का प्रतीकात्मक महत्व

नागालैंड का भूगोल

अन्य परीक्षाएँ

BPSC, UPPSC, MPPSC, SSC, Banking — सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन, राष्ट्रीय एकीकरण

मुख्य निष्कर्ष

हॉर्नबिल फेस्टिवल: 1–10 दिसंबर, किसामा हेरिटेज विलेज

स्थापना: 1980 का दशक

भागीदारी: 16 जनजातियाँ

संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 371(A)

महत्व: सांस्कृतिक संरक्षण, एकता, आर्थिक विकास

निष्कर्ष

हॉर्नबिल फेस्टिवल केवल एक पर्यटन उत्सव नहीं, बल्कि भारत की जनजातीय संस्कृति, संवैधानिक प्रतिबद्धता और समावेशी विकास का प्रतीक है। UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, संवैधानिक और आर्थिक पहलुओं की समझ अत्यंत उपयोगी है।