Pax Silica पहल: UPSC और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रमुख करंट अफेयर्स
Pax Silica पहल क्या है?
Pax Silica एक नई अमेरिका-नेतृत्व वाली रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य पूरे सिलिकॉन सप्लाई चेन में—महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा इनपुट से लेकर उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर्स, AI इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स तक—एक सुरक्षित, समृद्ध और नवाचार-प्रेरित वैश्विक व्यवस्था बनाना है।
यह पहल प्रौद्योगिकी सप्लाई चेन में “जबरन निर्भरताओं” (coercive dependencies) को कम करने और साझेदार देशों को AI तथा अन्य उभरती तकनीकों को बड़े पैमाने पर विकसित व लागू करने में सक्षम बनाने का लक्ष्य रखती है।
यहाँ सिलिकॉन को एक महत्वपूर्ण खनिज माना गया है, क्योंकि यह सेमीकंडक्टर्स, सोलर सेल्स और अनेक डिजिटल तकनीकों का आधार है, जो AI, EVs और आधुनिक कंप्यूटिंग को शक्ति देती हैं। इसलिए यह पहल क्रिटिकल मिनरल्स सुरक्षा, टेक्नोलॉजी जियोपॉलिटिक्स और रणनीतिक सप्लाई-चेन लचीलापन—इन तीनों के संगम पर स्थित है।
सदस्य देश और भारत का बाहर रहना
Pax Silica की घोषणा पर अमेरिका के साथ जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड्स, यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और ऑस्ट्रेलिया ने हस्ताक्षर किए हैं।
भारत इस समूह का हिस्सा नहीं है, जबकि उसकी सेमीकंडक्टर, डिजिटल और हरित ऊर्जा महत्वाकांक्षाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
कई विश्लेषण भारत के बाहर रहने को एक रणनीतिक संकेत के रूप में देखते हैं—ऐसे समय में जब अमेरिका और उसके सहयोगी, चीन-प्रभुत्व वाली क्रिटिकल मिनरल्स और उन्नत तकनीकी सप्लाई चेन के विकल्प बना रहे हैं। इससे भारत में यह बहस तेज हुई है कि क्या देश एक मुख्य तकनीक और AI सप्लाई-चेन गठबंधन का हिस्सा बनने का अवसर चूक गया।
प्रीलिम्स के लिए त्वरित तथ्य
नेतृत्व देश: संयुक्त राज्य अमेरिका
स्वरूप: रणनीतिक, प्रौद्योगिकी और सप्लाई-चेन पहल (रक्षा समझौता नहीं)
फोकस: एंड-टू-एंड सिलिकॉन और AI-संबंधित सप्लाई चेन—खनिजों से लेकर चिप्स, AI इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा तक
सदस्य: अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड्स, UK, इज़राइल, UAE, ऑस्ट्रेलिया
भारत: दिसंबर 2025 तक सदस्य नहीं
सिलिकॉन रणनीतिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है
सिलिकॉन अधिकांश सेमीकंडक्टर्स और इंटीग्रेटेड सर्किट्स का मूल पदार्थ है, इसलिए माइक्रोचिप्स, कंप्यूटिंग और AI प्रणालियों के केंद्र में है। उच्च-शुद्धता सिलिकॉन सोलर फोटovoltaic (PV) सेल्स का भी प्रमुख पदार्थ है, और वैश्विक स्तर पर लगभग 95% सोलर मॉड्यूल सिलिकॉन-आधारित हैं।
चूँकि सेमीकंडक्टर्स, सोलर ऊर्जा और EVs आर्थिक वृद्धि तथा हरित ऊर्जा संक्रमण—दोनों के लिए अहम हैं, इसलिए सिलिकॉन और उससे जुड़ी तकनीकी इनपुट्स तक सुरक्षित पहुँच अब कई देशों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन गई है। सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के विभिन्न चरण कुछ गिने-चुने देशों में अत्यधिक सघन हैं, जिससे भू-राजनीतिक झटकों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है।
प्रमुख क्षेत्रों में सिलिकॉन (परीक्षा दृष्टिकोण)
सेमीकंडक्टर्स और माइक्रोचिप्स: कंप्यूटर, स्मार्टफोन, डेटा सेंटर्स और AI हार्डवेयर का आधार
सोलर ऊर्जा: वैश्विक सोलर PV बाजार में सिलिकॉन-आधारित सेल्स का वर्चस्व
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): EVs के पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप्स सिलिकॉन व संबंधित पदार्थों पर निर्भर
AI और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: डेटा सेंटर्स, AI एक्सेलेरेटर्स और संचार नेटवर्क—सभी सिलिकॉन-आधारित सेमीकंडक्टर प्लेटफॉर्म पर निर्मित
Pax Silica के उद्देश्य और दायरा
Pax Silica से जुड़े औपचारिक वक्तव्यों में “सुरक्षित, समृद्ध और नवाचार-प्रेरित” सिलिकॉन और AI सप्लाई चेन बनाने पर जोर दिया गया है, जिसके लिए कई “रणनीतिक स्टैक्स” में समन्वित कार्रवाई की बात कही गई है। साझेदार देश निम्नलिखित पर सहयोग करना चाहते हैं:
सिलिकॉन और उन्नत चिप्स के लिए आवश्यक क्रिटिकल मिनरल्स, रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग क्षमता को सुरक्षित करना
विश्वसनीय स्थानों पर सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, फैब्रिकेशन और पैकेजिंग क्षमताओं को मजबूत करना
AI और चिप निर्माण को सहारा देने हेतु लचीली लॉजिस्टिक्स, परिवहन और ऊर्जा प्रणालियाँ सुनिश्चित करना
“चिंताजनक देशों” द्वारा अनुचित नियंत्रण से संवेदनशील तकनीकों और महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा करना तथा नेटवर्क्स, डेटा सेंटर्स और AI मॉडल्स सहित विश्वसनीय तकनीकी इकोसिस्टम बनाना
हालाँकि अधिकारी कहते हैं कि Pax Silica किसी विशेष देश को “अलग-थलग” करने के लिए नहीं है, लेकिन विश्लेषक इसे व्यापक रूप से उच्च-प्रौद्योगिकी सप्लाई चेन में चीन पर निर्भरता घटाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा मानते हैं।
भारत की स्थिति और संभावित प्रभाव
भारत ने आयात निर्भरता घटाने और घरेलू क्षमताएँ विकसित करने के लिए अपना सेमीकंडक्टर मिशन, PLI योजनाएँ तथा सोलर/EV लक्ष्य घोषित किए हैं, लेकिन वह Pax Silica के प्रारंभिक समूह से बाहर है। विश्लेषकों के अनुसार, भारत समांतर या ओवरलैपिंग फ्रेमवर्क्स (जैसे द्विपक्षीय तकनीकी साझेदारियाँ और अन्य क्रिटिकल-मिनरल व्यवस्थाएँ) अपना सकता है, साथ ही व्यापार और तकनीक पर अमेरिका के साथ बातचीत जारी रख सकता है।
भारत के भीतर राजनीतिक बहस में इसे कूटनीतिक झटका और AI व सेमीकंडक्टर गवर्नेंस के इनर सर्कल में शामिल होने का खोया अवसर बताया गया है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत अपने बड़े बाजार, प्रतिभा पूल और मौजूदा साझेदारियों (जैसे जापान, EU और Quad सदस्य) के बल पर—भले ही अभी Pax Silica में न हो—एक प्रमुख सेमीकंडक्टर और AI हब के रूप में स्वयं को स्थापित कर सकता है।
Pax Silica और भारत – परीक्षा-उन्मुख बिंदु
| आयाम | Pax Silica सदस्यों की स्थिति | भारत की वर्तमान स्थिति (दिसंबर 2025) |
|---|---|---|
| सदस्यता | अमेरिका + 8 सहयोगी (जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड्स, UK, इज़राइल, UAE, ऑस्ट्रेलिया) | सदस्य नहीं; प्रारंभिक गठबंधन से बाहर |
| मुख्य फोकस | खनिजों से चिप्स तक सुरक्षित सिलिकॉन/AI सप्लाई चेन | घरेलू चिप फैब्रिकेशन और डिज़ाइन इकोसिस्टम का निर्माण |
| भू-राजनीतिक पहलू | क्रिटिकल टेक सप्लाई चेन में चीन पर निर्भरता कम करना | रणनीतिक स्वायत्तता और अमेरिका/Quad के साथ निकटता के बीच संतुलन |
| भारत के लिए अवसर/जोखिम | प्रमुख टेक-स्टैंडर्ड और सप्लाई-चेन क्लब से बाहर रहने का जोखिम | प्रवेश पर बातचीत या वैकल्पिक/समांतर फ्रेमवर्क बनाने की गुंजाइश |
उपयोगी बाहरी संदर्भ
Pax Silica पर US State Department की प्रेस रिलीज़ – आधिकारिक विवरण और सदस्य सूची
भारत के बाहर रहने और उसके कूटनीतिक निहितार्थों पर न्यूज़ एनालिसिस
सेमीकंडक्टर्स और सोलर ऊर्जा में सिलिकॉन को क्रिटिकल सामग्री के रूप में समझाने वाली पृष्ठभूमि सामग्री
आपकी परीक्षा तैयारी के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है
UPSC प्रीलिम्स के लिए, Pax Silica एक “नई पहल” के रूप में महत्वपूर्ण है, जो क्रिटिकल मिनरल्स, सेमीकंडक्टर्स, AI, EVs और सोलर ऊर्जा—हाल के प्रश्नपत्रों के बार-बार आने वाले विषय—को जोड़ती है। प्रश्न निम्न पर हो सकते हैं: Pax Silica का उद्देश्य, सदस्य देश, भारत की स्थिति, और सिलिकॉन को रणनीतिक क्यों माना जाता है।
UPSC मेंस (GS-2 और GS-3) के लिए, यह विकास “टेक्नोलॉजी की भू-राजनीति,” “रणनीतिक साझेदारियाँ,” “क्रिटिकल मिनरल्स और ऊर्जा सुरक्षा,” तथा “इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा में आत्मनिर्भर भारत” जैसे विषयों से जुड़ता है। निबंध और साक्षात्कार में Pax Silica का उपयोग इस समकालीन उदाहरण के रूप में किया जा सकता है कि कैसे तकनीक और खनिज सप्लाई चेन पर नियंत्रण वैश्विक व्यवस्था को पुनः आकार दे रहा है, और उभरते AI व सेमीकंडक्टर परिदृश्य में भारत अपनी स्थिति कैसे तय कर रहा है।