परिचय: भारत के लिए एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक उपलब्धि
भारत के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण में, दीपावली (Diwali) — जो पूरे देश में और दुनिया भर में भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला प्रकाश पर्व है — को आधिकारिक तौर पर यूनेस्को की “मानवता की प्रतिनिधि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची” में शामिल किया गया है। यह ऐतिहासिक निर्णय बुधवार को यूनेस्को की “अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति” के 20वें सत्र के दौरान घोषित किया गया, जो 8–13 दिसंबर 2025 के बीच दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िले में आयोजित हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि का स्वागत करते हुए कहा कि “भारत और दुनिया भर के लोग बेहद उत्साहित हैं,” और यह भी कहा कि दीपावली “हमारी संस्कृति और जीवन-मूल्यों से गहराई से जुड़ी है” तथा “हमारी सभ्यता की आत्मा” का प्रतिनिधित्व करती है।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची क्या है?
महत्व को समझना
यूनेस्को की “अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH)” सूची एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मान्यता है, जो 2003 के कन्वेंशन के तहत स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य उन विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाओं, परंपराओं और अभिव्यक्तियों को पहचानना और संरक्षित करना है, जिन्हें समुदाय अपनी पहचान का मूल हिस्सा मानते हैं।
इस पहल की निगरानी करने वाली अंतर-सरकारी समिति:
2003 कन्वेंशन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाती है
सदस्य देशों में इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है
सर्वोत्तम संरक्षण प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करती है
संरक्षण उपायों की सिफारिश करती है
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कोष के लिए संसाधन जुटाती है
यह मान्यता केवल प्रतीकात्मक नहीं है — इसके माध्यम से वैश्विक दृश्यता बढ़ती है, संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिलता है, और सांस्कृतिक परंपराओं की पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरंतरता मजबूत होती है।
यूनेस्को की ICH सूची में भारत की बढ़ती उपस्थिति
पूरा परिदृश्य
दीपावली के शामिल होने के साथ, भारत के अब 16 तत्व यूनेस्को की “मानवता की प्रतिनिधि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची” में शामिल हो चुके हैं। यह भारत को उन देशों में शामिल करता है जिनकी सबसे अधिक मान्यता-प्राप्त अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है — जो भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।
भारत के 16 यूनेस्को-स्वीकृत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत तत्व:
दीपावली — प्रकाश का पर्व (नई प्रविष्टि, दिसंबर 2025)
कुंभ मेला
कोलकाता की दुर्गा पूजा
गुजरात का गरबा
योग
वैदिक chanting परंपरा
रामलीला
हिमाचल प्रदेश का रम्माण पर्व
नवruz
छऊ नृत्य
जेम्मा: बहरीन का पारंपरिक ज़िक्र सर्कल (साझा विरासत)
नौरुज़ (कई देशों के साथ साझा)
कबुकी (साझा)
और अन्य
यह निरंतर बढ़ती सूची वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
दीपावली के नामांकन की प्रक्रिया: एक सहयोगी प्रयास
भारत ने यह मान्यता कैसे प्राप्त की?
दीपावली का नामांकन एक सुव्यवस्थित, समुदाय-आधारित और व्यापक प्रक्रिया थी। भारत ने इसे अत्यंत पेशेवर और सांस्कृतिक गहराई के साथ प्रस्तुत किया।
नामांकन प्रक्रिया के प्रमुख पहलू:
विविध समुदायों की भागीदारी — देशभर के समुदायों से इनपुट जिन्होंने दीपावली की सर्व-भारतीय परंपरा को दर्शाया
औपचारिक दस्तावेजीकरण — सहमति पत्र, गवाही, और लिखित, ऑडियो तथा वीडियो साक्ष्य
विशेषज्ञ समिति का गठन —
सेंट्रल नोडल एजेंसी संगीत नाटक अकादमी ने विशेषज्ञों की समिति बनाई जिसमें शामिल थे:
विरासत विशेषज्ञ
शिक्षाविद
कलाकार/परंपरा-वाहक
कवि और लेखक
विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि
भारतीय प्रवासी समुदाय के प्रतिनिधि
व्यापक दस्तावेजीकरण — दीपावली के सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व का विस्तृत विवरण
इस कठोर और प्रामाणिक प्रक्रिया ने दीपावली को वैश्विक मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
यूनेस्को की मान्यता का भारत के लिए क्या अर्थ है?
व्यापक प्रभाव
दीपावली के शामिल होने के कई महत्वपूर्ण अर्थ हैं:
1. सांस्कृतिक संरक्षण और दस्तावेजीकरण
परंपराओं के व्यवस्थित संरक्षण को सुनिश्चित करता है
भावी पीढ़ियों तक ज्ञान के संप्रेषण को मजबूत करता है
वैश्वीकरण के दौर में सांस्कृतिक स्थिरता को बढ़ावा देता है
2. वैश्विक मान्यता और सॉफ्ट पावर
भारत की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा बढ़ती है
भारतीय सभ्यतागत मूल्यों का वैश्विक प्रसार
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूती
3. परंपरा-वाहकों को सहयोग
वैश्विक संसाधनों का उपयोग (ICH फंड के माध्यम से)
परंपरागत कलाकारों और समुदायों के लिए ज्ञान-विनिमय के अवसर
सतत संरक्षण प्रथाओं को प्रोत्साहन
4. आर्थिक और पर्यटन लाभ
सांस्कृतिक पर्यटन में वृद्धि
भारतीय परंपराओं में वैश्विक रुचि बढ़ना
स्थानीय समुदायों को आर्थिक अवसर
भारत का ऐतिहासिक आयोजन: पहली बार मेजबानी
राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
20वां अंतर-सरकारी समिति सत्र भारत के लिए इसलिए विशेष है क्योंकि पहली बार यह वैश्विक मंच भारत द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 8–13 दिसंबर 2025 को लाल किले में आयोजित हो रहा है — जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक स्थल है।
उद्घाटन समारोह (8 दिसंबर 2025) में प्रमुख हस्तियां:
विदेश मंत्री एस. जयशंकर — जिन्होंने कहा कि "परंपराएँ, भाषाएँ, संगीत और शिल्प संस्कृति की सबसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति हैं।"
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत
यूनेस्को के महानिदेशक खालिद एल-एनानी
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
यूनेस्को में भारत के राजदूत विशाल वी. शर्मा
प्रतिभागिता:
1,000 से अधिक प्रतिनिधि
180+ देशों के प्रतिनिधि
समिति सदस्य, यूनेस्को अधिकारी, विशेषज्ञ, NGO और सांस्कृतिक कलाकार
यह विशाल अंतरराष्ट्रीय भागीदारी भारत की वैश्विक सांस्कृतिक नेतृत्व भूमिका को रेखांकित करती है।
PM मोदी का वक्तव्य और सरकारी दृष्टिकोण
नीतिगत महत्व
प्रधानमंत्री के आधिकारिक बयान में कहा गया:
“हमारे लिए दीपावली हमारी संस्कृति और जीवन-मूल्यों से गहराई से जुड़ी है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धर्म का प्रतीक है। दीपावली का यूनेस्को सूची में शामिल होना इसकी वैश्विक लोकप्रियता को और बढ़ाएगा।”
यह बयान दर्शाता है:
दीपावली भारतीय पहचान का प्रमुख तत्व है
इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का महत्व
वैश्विक सांस्कृतिक सम्पर्क के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता
भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए समर्थन
भविष्य की दिशा: छठ पूजा का नामांकन
यूनेस्को यात्रा का अगला चरण
सरकार ने अगले नामांकन चक्र के लिए बिहार की छठ पूजा को यूनेस्को ICH सूची हेतु प्रस्तावित किया है।
दुर्गा पूजा (2024), दीपावली (2025), और अब छठ पूजा — यह क्रमिक, रणनीतिक प्रयास भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
यह UPSC तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
बहु-स्तरीय परीक्षा प्रासंगिकता
1. सामान्य अध्ययन – GS Paper I (संस्कृति और विरासत)
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अवधारणा
UNESCO की प्रणालियाँ
भारतीय सांस्कृतिक विविधता
संरक्षण ढाँचे
2. प्रीलिम्स के लिए सामान्य ज्ञान
यूनेस्को से जुड़े तथ्य
भारत के ICH तत्वों की सूची
Sangeet Natak Akademi की भूमिका
3. वैचारिक समझ
मूर्त और अमूर्त विरासत में अंतर
अंतरराष्ट्रीय नामांकन प्रक्रिया
संरक्षण में समुदाय की भूमिका
4. करंट अफेयर्स एकीकरण
सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़े सरकारी प्रयास
अंतरराष्ट्रीय मंचों में भारत की भूमिका
ICH सूची की समयरेखा
5. निबंध व नैतिकता पेपर
आधुनिक समय में सांस्कृतिक संरक्षण
ग्लोबलाइज़ेशन बनाम सांस्कृतिक पहचान
राष्ट्रीय एकता में त्योहारों की भूमिका
6. इंटरव्यू तैयारी
भारत की सॉफ्ट पावर
सांस्कृतिक नीति पर समझ
परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु
दीपावली भारत का 16वाँ यूनेस्को ICH तत्व है
निर्णय 20वें अंतर-सरकारी समिति सत्र (दिसंबर 2025) में हुआ
यह सत्र पहली बार भारत में, लाल क़िले में आयोजित हुआ
नामांकन में संगीत नाटक अकादमी की केंद्रीय भूमिका
2003 UNESCO कन्वेंशन इसका कानूनी ढाँचा है
भारत के ICH तत्व विविध क्षेत्रीय परंपराओं को दर्शाते हैं
अगला नामांकन: छठ पूजा
निष्कर्ष
दीपावली का यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होना केवल एक औपचारिक मान्यता नहीं है — यह भारत के सभ्यतागत मूल्यों की पुष्टि है, सांस्कृतिक संरक्षण की प्रतिबद्धता है, और वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पावर का सशक्त प्रदर्शन है।
UPSC aspirants के लिए यह विषय कई पेपर्स में उपयोगी सामग्री प्रदान करता है और यह दिखाता है कि कैसे सरकारी नीति, सांस्कृतिक पहल और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति एक-दूसरे से जुड़ते हैं।
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