तारीख: 03 दिसंबर 2025
श्रेणी: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी / विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
जैसे ही सर्दियाँ शुरू होती हैं, "Severe", "Hazardous" और "PM2.5" जैसे शब्द सुर्खियों में छा जाते हैं। Air Quality Index (AQI) सिर्फ एक संख्या नहीं है; यह उस हवा का एक महत्वपूर्ण "रिपोर्ट कार्ड" है जिसे हम हर दिन सांस लेते हैं। वाहन यातायात, औद्योगिक उत्सर्जन, पराली जलाने या निर्माण की धूल—इन सबके मिश्रण को AQI एक ही संकेतक के रूप में सामने लाता है।
UPSC करंट अफेयर्स और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए AQI की तकनीकी जानकारी, इतिहास और वर्गीकरण समझना GS Paper III (Environment) और प्रीलिम्स के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Air Quality Index (AQI) क्या है?
AQI एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियाँ जनता को बताने के लिए करती हैं कि वर्तमान में हवा कितनी प्रदूषित है या आगे कितनी प्रदूषित हो सकती है। यह जटिल वायु गुणवत्ता डेटा को एक संख्या, एक नाम और एक रंग में बदल देता है।
AQI के 6 प्रमुख प्रदूषक
AQI कई प्रमुख प्रदूषकों की सांद्रता के आधार पर तय किया जाता है। मुख्य छह प्रदूषक ये हैं:
PM 2.5 (Particulate Matter 2.5): अति-सूक्ष्म कण
PM 10: मोटे कण
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)
सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)
ओज़ोन (O₃)
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
महत्वपूर्ण तथ्य: PM 2.5 को सबसे खतरनाक माना जाता है। ये इतने छोटे होते हैं कि एक मानव बाल की चौड़ाई में लगभग 30 PM2.5 कण आ सकते हैं। ये सीधे फेफड़ों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
AQI कैसे मापा जाता है?
आज की तकनीक इस प्रक्रिया को काफी उन्नत बना चुकी है। शहरों में Air Quality Monitoring Stations लगे होते हैं जहां सेंसर लगातार हवा को सैंपल करते हैं और कणों एवं गैसों का स्तर मापते हैं।
"Dominant Pollutant" की अवधारणा
कंप्यूटर मॉडल हर घंटे डेटा का विश्लेषण करते हैं। प्रतियोगी परीक्षा के लिए समझने वाली मुख्य बात:
AQI सभी प्रदूषकों का औसत नहीं होता
AQI उस प्रदूषक से तय होता है जिसका इंडेक्स मूल्य सबसे अधिक हो
इसे "Dominant Pollutant" कहा जाता है
उदाहरण: यदि PM 2.5 "Hazardous" स्तर पर है और बाकी सभी गैसें "Good" हैं, तो कुल AQI PM 2.5 के "Hazardous" स्तर को ही दर्शाएगा।
इसलिए कई बार आसमान साफ दिखता है, लेकिन AQI ऐप लाल चेतावनी दिखाता है—क्योंकि PM 2.5 कण नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते लेकिन बेहद घातक होते हैं।
AQI रंग कोड और श्रेणियाँ
जनता के लिए जानकारी को आसान बनाने हेतु एक रंग-कोड सिस्टम है:
0–50 (हरा): अच्छा
हवा गुणवत्तापूर्ण, कोई जोखिम नहीं।
51–100 (पीला): संतोषजनक
गुणवत्ता स्वीकार्य। दमा जैसी बीमारियों वाले संवेदनशील लोगों को हल्की समस्या हो सकती है।
101–150 (नारंगी): संवेदनशील समूहों के लिए अस्वास्थ्यकर
संवेदनशील समूहों में प्रभाव दिख सकता है।
151–200 (लाल): अस्वास्थ्यकर
सभी लोगों में स्वास्थ्य प्रभाव शुरू हो सकते हैं।
201–300 (बैंगनी): बहुत अस्वास्थ्यकर
स्वास्थ्य पर आपातकालीन स्तर का प्रभाव।
301+ (मरून): खतरनाक
सबके लिए गंभीर प्रभाव। बाहरी गतिविधियाँ बंद करनी चाहिए।
WHO के अनुसार, दुनिया की लगभग 90% जनसंख्या ऐसी हवा में सांस लेती है जो प्रदूषण मानकों से अधिक है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: AQI किसने बनाया?
डेली GK अपडेट के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
साल: 1968
स्थान: संयुक्त राज्य अमेरिका
निर्माता: National Air Pollution Control Administration (USA)
उद्देश्य: हवा की गुणवत्ता को एक सरल संख्या में बदलना और जागरूकता बढ़ाना।
यह प्रणाली क्यों महत्वपूर्ण है?
AQI एक early warning system की तरह काम करता है:
स्वास्थ्य परामर्श: बच्चों, बुजुर्गों, दमा रोगियों को सावधान रहने की सलाह
प्रशासनिक कार्रवाई: AQI बढ़ने पर स्कूल बंद, निर्माण रोकने, वाहन प्रतिबंध जैसे कदम
दिल्ली NCR में GRAP ट्रिगर
UPSC के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
Prelims के लिए:
प्रदूषक: PM2.5, PM10, NO₂, SO₂, O₃, CO, NH₃, Pb
इतिहास: 1968, USA
भारत में एजेंसी: CPCB
ओज़ोन निर्माण: NOx + VOC + सूर्यप्रकाश → Ground-level Ozone
Mains (GS Paper III) के लिए:
शहरी प्रदूषण, औद्योगिक नियम, स्वास्थ्य संकट
GRAP जैसी नीतियों का मूल्यांकन
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