फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों: 6 पाकिस्तानी विमानों से अकेले भिड़े 1971 युद्ध के वीर – करेंट अफेयर्स 14 जुलाई 2025

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अकेले वीर, जिन्होंने श्रीनगर एयरबेस की रक्षा की

14 दिसंबर 1971 को, जब छह पाकिस्तानी एफ-86 सेबर जेट्स ने श्रीनगर एयरबेस पर अचानक हमला किया, तब भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी की असाधारण वीरता ने इतिहास रच दिया। फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों भारतीय वायुसेना के एकमात्र अधिकारी हैं जिन्हें परमवीर चक्र (भारत का सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पुरस्कार) से सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन और सैन्य करियर

17 जुलाई 1943 को पंजाब के लुधियाना के पास इस्सेवाल गांव में जन्मे निर्मलजीत सिंह सेखों का जीवन बचपन से ही प्रेरणादायक रहा। उनके पिता, एम.डब्ल्यू.ओ. तरलोक सिंह सेखों, भी वायुसेना में थे, जिससे उन्हें बचपन से ही विमानन के प्रति लगाव था।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्होंने अपने सपनों को चुना और 4 जून 1967 को वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया। अक्टूबर 1968 में वे नंबर 18 स्क्वाड्रन "द फ्लाइंग बुलेट्स" से जुड़े।

14 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक लड़ाई

हमला कैसे हुआ

1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान श्रीनगर एयरबेस सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थी। 14 दिसंबर 1971 की सुबह, पाकिस्तानी वायुसेना के 26वें स्क्वाड्रन के छह एफ-86 सेबर जेट्स ने श्रीनगर एयरबेस पर बमबारी के लिए उड़ान भरी। उस समय घना कोहरा था, जिससे पाकिस्तानी विमानों को छिपने में मदद मिली।

फ्लाइंग ऑफिसर सेखों "तत्काल ड्यूटी" पर थे – यानी दो मिनट के भीतर उड़ान भरने के लिए तैयार।

वीरता की मिसाल

जैसे ही "स्क्रैम्बल" अलर्ट बजा, सेखों ने बिना देर किए फॉलैंड ग्नैट फाइटर विमान से उड़ान भरी। उनके साथी फ्लाइट लेफ्टिनेंट घुम्मन धूल के कारण उनसे अलग हो गए, जिससे सेखों को अकेले ही दुश्मन से भिड़ना पड़ा।

6 पाकिस्तानी विमानों के मुकाबले अकेले सेखों ने अद्भुत कौशल और साहस दिखाया। उन्होंने एक पाकिस्तानी सेबर को मार गिराया और दूसरे को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे वह धुआं छोड़ता हुआ भाग गया।

अंतिम संघर्ष

चार और पाकिस्तानी विमान लड़ाई में शामिल हो गए, जिससे सेखों पूरी तरह से घिर गए। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पेड़ की ऊंचाई पर जबरदस्त डॉगफाइट की। अंततः, संख्या में भारी अंतर के कारण उनका विमान दुश्मन की गोलीबारी से गिर गया और वे शहीद हो गए। लेकिन उनकी वीरता ने दुश्मन को एयरबेस और शहर पर बमबारी करने से रोक दिया।

दुश्मन की भी सराहना

सेखों की वीरता इतनी अद्वितीय थी कि पाकिस्तानी पायलट सलीम बेग मिर्जा ने भी उनकी तारीफ की:
"जिस तरह से वह हमारे छह जेट्स के बीच आया और हमें उलझा दिया, वह हैरान करने वाला था। जिस साहस और नियंत्रण से उन्होंने दो विमान गिराए, वैसे पायलट बिरले ही होते हैं।"

परमवीर चक्र सम्मान

फ्लाइंग ऑफिसर सेखों को 26 जनवरी 1972 को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें "अत्यंत वीरता, अद्भुत कौशल और कर्तव्यनिष्ठा" के लिए मिला। वे भारतीय वायुसेना के इकलौते परमवीर चक्र विजेता हैं।

इस लड़ाई का सामरिक महत्व

सेखों की वीरता के कारण:

श्रीनगर एयरबेस को भारी नुकसान से बचाया गया

भारतीय सेना का मनोबल बढ़ा

भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण और साहस की श्रेष्ठता सिद्ध हुई

पाकिस्तानी विमानों को बिना लक्ष्य पूरे किए लौटना पड़ा

विरासत और स्मरण

आज, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को याद किया जाता है:

भारतीय वायुसेना के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता के रूप में

बलिदान और साहस के प्रतीक के रूप में

भविष्य के वायु योद्धाओं के प्रेरणास्रोत के रूप में

उनके गांव इस्सेवाल, पंजाब को उन पर गर्व है

परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

यह विषय UPSC व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है:

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए:

रक्षा और सामरिक अध्ययन: युद्धों में वीरता और उसके सामरिक प्रभाव

आधुनिक भारतीय इतिहास: 1971 भारत-पाक युद्ध और उसके नायक

नैतिकता और अखंडता: कर्तव्यनिष्ठा और बलिदान का उदाहरण

आंतरिक सुरक्षा: वायुसेना की भूमिका और सीमाओं की सुरक्षा

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए:

महत्वपूर्ण व्यक्तित्व: भारतीय सैन्य इतिहास के नायक

सम्मान और पुरस्कार: परमवीर चक्र संबंधी तथ्य

1971 युद्ध के तथ्य: तिथियां, स्थान, परिणाम

भारतीय वायुसेना: स्क्वाड्रन, विमान, अभियान

करेंट अफेयर्स की दृष्टि से:

17 जुलाई: सेखों की जयंती

14 दिसंबर: शहादत दिवस

विजय दिवस (16 दिसंबर): 1971 युद्ध विजय उत्सव

रक्षा आधुनिकीकरण: ऐतिहासिक युद्धों से सीख

मुख्य बिंदु (Key Points):

भारतीय वायुसेना के इकलौते परमवीर चक्र विजेता

14 दिसंबर 1971 की लड़ाई

एक बनाम छह विमान की ऐतिहासिक डॉगफाइट

फॉलैंड ग्नैट बनाम पाकिस्तानी एफ-86 सेबर

श्रीनगर एयरबेस की रक्षा

नंबर 18 स्क्वाड्रन – द फ्लाइंग बुलेट्स

26 जनवरी 1972 को मरणोपरांत सम्मान

यह प्रसंग न केवल भारतीय रक्षा नीति और सैन्य परंपरा की महानता को दर्शाता है, बल्कि परीक्षा में पूछे जाने वाले समसामयिक, ऐतिहासिक और नैतिक प्रश्नों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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बाहरी संदर्भ:

Param Vir Chakra Winners - PIB

Indian Air Force Official Website

“आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण?”

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