प्रमुख तथ्य: चुनार किला का परिचय
चुनार किला, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर है, जो गंगा नदी के तट पर विंध्य पर्वत श्रृंखला की एक अलग चट्टान पर निर्मित है। यह किला वाराणसी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा कराया गया था। इस किले को चंद्रकांता चुनारगढ़ और चरणाद्रि के नाम से भी जाना जाता है।
भौगोलिक स्थिति और संरचना
स्थान और आकार
जिला: मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
समुद्र तल से ऊँचाई: 280 फीट (85 मीटर)
क्षेत्रफल: 34,000 वर्ग फीट
वाराणसी से दूरी: 40 किलोमीटर
यह किला विंध्य पर्वत श्रृंखला की एक पृथक चट्टान पर स्थित है और गंगा नदी के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। विंध्य पर्वत श्रृंखला पश्चिम में गुजरात से पूर्व में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट गंगा घाटी तक लगभग 675 मील (1,086 किमी) तक फैली हुई है।
ऐतिहासिक महत्व और शासकों का क्रम
प्राचीन काल से मुगल शासन तक
चुनार किले का इतिहास 56 ईसा पूर्व से शुरू होता है और इसने विभिन्न राजवंशों के शासन को देखा है। प्रमुख शासक निम्नलिखित हैं:
11वीं सदी: राजा विक्रमादित्य द्वारा निर्माण
1525 ईस्वी: मुगल वंश के संस्थापक बाबर का प्रवास
1532 ईस्वी: शेर शाह सूरी का शासन
1537 ईस्वी: हुमायूं द्वारा तीन महीने तक घेराबंदी
1574 ईस्वी: अकबर द्वारा कब्जा
1586 ईस्वी: अकबर के शासनकाल में पश्चिमी प्रवेश द्वार का निर्माण
ब्रिटिश काल
1768 ईस्वी: ब्रिटिश नियंत्रण
1781 ईस्वी: वारेन हेस्टिंग्स का निवास स्थान
1947 तक: भारत की स्वतंत्रता तक ब्रिटिश कब्जे में
मुख्य आकर्षण और स्थापत्य विशेषताएँ
प्रमुख संरचनाएँ
किले के अंदर निम्नलिखित महत्वपूर्ण संरचनाएँ स्थित हैं:
भर्तृहरि की समाधि: राजा विक्रमादित्य के भाई की पवित्र समाधि
वारेन हेस्टिंग्स का बंगला: भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल का निवास
सोनवा मंडप: राजा सहदेव की पुत्री के विवाह का स्थल
प्रेम कुआँ: गुप्त तहखाने और स्नानागार सहित
छत्र: राजा सहदेव की विजय का प्रतीक, 52 स्तंभों पर आधारित
सूर्य घड़ी: शिलालेख सहित प्राचीन कालगणना यंत्र
पौराणिक संबंध
वामन अवतार: यह स्थल भगवान विष्णु के वामन अवतार के पहले चरण से जुड़ा हुआ है
नैनागढ़: राजा सहदेव द्वारा नैना योगिनी की मूर्ति स्थापित करने के कारण इसे इस नाम से भी जाना जाता है
आधुनिक संदर्भ में महत्व
पुरातत्व विभाग
1921 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने किले का नियंत्रण अपने हाथ में लिया और इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया। आज यह देश के गौरवशाली और अशांत अतीत को दर्शाने वाला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
साहित्यिक संबंध
देवकीनंदन खत्री के प्रसिद्ध उपन्यास ‘चंद्रकांता’ की पृष्ठभूमि इसी क्षेत्र के अनुभवों से प्रेरित मानी जाती है।
UPSC परीक्षा की दृष्टि से महत्व
भूगोल की दृष्टि से
विंध्य पर्वत श्रृंखला: उत्तर और दक्षिण भारत के बीच पारंपरिक सीमा
गंगा नदी तंत्र: प्रमुख दक्षिणी सहायक नदियों का उद्गम स्थल
भौगोलिक स्थिति: मध्य भारत के उच्च भूमि का दक्षिणी किनारा
इतिहास की दृष्टि से
मध्यकालीन भारत: मुगल शासकों और अफगान शासकों के संघर्ष का केंद्र
ब्रिटिश काल: प्रारंभिक औपनिवेशिक प्रशासन और वारेन हेस्टिंग्स की भूमिका
स्वतंत्रता संग्राम: 1857 के विद्रोह में किले की भागीदारी
कला और संस्कृति
स्थापत्य शैली: हिंदू, मुगल और ब्रिटिश शैलियों का मिश्रण
धार्मिक महत्व: भर्तृहरि समाधि और गंगेश्वर नाथ मंदिर
प्रशासनिक भूगोल
मिर्जापुर जिला: उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला, जो UPSC सफलता की कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है