जीआई टैग 2025: कुंभकोणम पान का पत्ता और थोवलाई फूल माला को मिला भौगोलिक संकेतक टैग | UPSC करेंट अफेयर्स टुडे

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हाल ही में भारत सरकार ने तमिलनाडु के दो महत्वपूर्ण उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया है। अप्रैल 2025 में कुंभकोणम के विशेष हार्ट-शेप पान के पत्ते (कुंभकोणम वेत्रिलै) और कन्याकुमारी की थोवलाई मणिक्का माला (फूलों की माला) को यह प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त हुई है। इसके साथ ही तमिलनाडु में GI टैग प्राप्त उत्पादों की कुल संख्या 62 हो गई है।

जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग क्या है?

जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार है, जो किसी उत्पाद को उसके विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जोड़कर पहचान देता है। किसी उत्पाद की गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषताएं मुख्य रूप से उसकी भौगोलिक उत्पत्ति के कारण होती हैं।

GI टैग की परिभाषा:

यह एक संकेतक है जो दर्शाता है कि उत्पाद किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से आता है।

उत्पाद की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा उसकी भौगोलिक उत्पत्ति से जुड़ी होनी चाहिए।

भारत में यह 1999 के GI अधिनियम के तहत संरक्षित है।

कुंभकोणम पान का पत्ता: नया GI टैग धारक

विशेषताएं और उत्पादन क्षेत्र:

उत्पादन क्षेत्र: मुख्यतः तंजावुर जिले की कावेरी नदी घाटी में उगाया जाता है।

विशिष्ट गुण: गहरे से हल्के हरे रंग के हृदयाकार पत्ते, जिनका स्वाद तीखा होता है।

खेती क्षेत्र: थिरुवैयारु, पापनासम, थिरुविदैमरुदुर, कुंभकोणम और राजगिरि में इसकी खेती होती है।

फसल चक्र और किस्में:

पहली फसल: रोपाई के 20-25 दिन बाद कोलुंधु वेत्रिलै निकलती है।

मारुवेत्हलै: पहले साल की फसल, जिसमें बड़े पत्ते निकलते हैं और यह 6-7 दिन तक चलती है।

केलावेत्हलै एवं कट्टावेत्हलै: दूसरी और तीसरी वर्ष की फसलें।

थोवलाई मणिक्का माला: कलात्मक पुष्प माला

कन्याकुमारी जिले के थोवलाई गांव में निर्मित यह विशेष फूल माला अपनी रत्न जैसी दिखावट के लिए प्रसिद्ध है। ओलियंडर और गुलाब के फूलों को विशेष तकनीक से मोड़कर यह माला बनाई जाती है, जिससे इसका स्वरूप रत्नों जैसा प्रतीत होता है।

जीआई टैग के फायदे

उत्पादकों के लिए लाभ:

कानूनी सुरक्षा: उत्पाद के नाम के अनधिकृत उपयोग से बचाव।

आर्थिक समृद्धि: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर मांग।

प्रामाणिकता की गारंटी: उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलना।

नकली उत्पादों से सुरक्षा: ब्रांड की पहचान का संरक्षण।

सांस्कृतिक महत्व:

पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण।

सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा।

स्थानीय कारीगरों और किसानों को प्रोत्साहन।

भारत में GI टैग की स्थिति

महत्वपूर्ण तथ्य:

पहला GI टैग: दार्जिलिंग चाय (2004-05)

कुल GI टैग: जुलाई 2024 तक 605 जारी किए गए

अग्रणी राज्य: उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक, उसके बाद तमिलनाडु

प्रसिद्ध GI उत्पाद:

दार्जिलिंग चाय (पश्चिम बंगाल)

तिरुपति लड्डू (आंध्र प्रदेश)

बनारसी साड़ी (उत्तर प्रदेश)

कांचीपुरम सिल्क (तमिलनाडु)

कश्मीरी केसर (जम्मू-कश्मीर)

जीआई टैग पंजीकरण प्रक्रिया

चरणबद्ध प्रक्रिया:

आवेदन दाखिल करना: उत्पादकों के संघ या संगठन द्वारा आवेदन।

प्रारंभिक जांच: दस्तावेजों की जांच और कमियों का निवारण।

विस्तृत परीक्षा: विशेषज्ञों द्वारा उत्पाद की विशेषताओं का मूल्यांकन।

प्रकाशन: GI जर्नल में प्रकाशन।

विरोध अवधि: 3 महीने की आपत्ति अवधि।

पंजीकरण: अंतिम अनुमोदन और प्रमाणपत्र जारी करना।

वैधता अवधि:

प्रारंभिक अवधि: 10 वर्ष

नवीनीकरण: शुल्क भुगतान पर 10 वर्ष के लिए नवीनीकरण

चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

वर्तमान चुनौतियां:

कम पंजीकरण दर: भारत चीन (9,785) और जर्मनी (7,586) की तुलना में पीछे है।

क्षेत्रीय असंतुलन: कुछ राज्यों में अधिक GI उत्पाद हैं।

जागरूकता की कमी: ग्रामीण उत्पादकों में जानकारी का अभाव।

नकली उत्पादों की समस्या: उदाहरण के लिए, बनारसी साड़ी की सूरत में नकल।

सरकारी लक्ष्य:

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने 2030 तक 10,000 GI टैग का लक्ष्य रखा है।

यह आपकी परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

UPSC प्रीलिम्स के लिए:

भारतीय कृषि और उद्योग: GI टैग भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक विविधता को दर्शाता है।

बौद्धिक संपदा अधिकार: IPR एक महत्वपूर्ण समसामयिक विषय है।

भूगोल: विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध उत्पादों की जानकारी।

UPSC मेन्स के लिए:

ग्रामीण विकास: GI टैग किसानों और कारीगरों की आजीविका में सुधार कैसे लाता है।

सांस्कृतिक संरक्षण: पारंपरिक कलाओं और उत्पादों का संरक्षण।

आर्थिक भूगोल: स्थानीय उत्पादों का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व।

राज्य पीसीएस के लिए:

राज्य-विशिष्ट GI उत्पादों की विस्तृत जानकारी।

स्थानीय कृषि और हस्तशिल्प का ज्ञान।

सरकारी योजनाओं का प्रभाव।

यह विषय न केवल परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक विविधता को समझने में भी सहायक है।

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भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार: UPSC के लिए मुख्य तथ्य

करेंट अफेयर्स: भारतीय हस्तशिल्प और GI टैग

बाहरी संदर्भ:

जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री, भारत सरकार

यह आपकी परीक्षा तैयारी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है:
GI टैग से जुड़े प्रश्न UPSC प्रीलिम्स, मेन्स और राज्य PCS परीक्षाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था, भूगोल और करेंट अफेयर्स के अंतर्गत अक्सर पूछे जाते हैं। GI टैग की अवधारणा, लाभ और हालिया अपडेट्स को समझना आपकी तैयारी को मजबूत बनाता है और परीक्षा में सफलता की संभावना बढ़ाता है। ऐसे ही उच्च गुणवत्ता वाले करेंट अफेयर्स कंटेंट के लिए Atharva Examwise से जुड़े रहें!