मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर: एक गंभीर चुनौती | Daily GK Update
मध्य प्रदेश (MP) में मातृ मृत्यु दर (MMR) एक बार फिर राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है। हाल ही में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2019-21 के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश की MMR 175 प्रति एक लाख प्रसव पर पहुंच गई है, जो देश के औसत 93 से लगभग दोगुनी है। यह वृद्धि न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है, खासकर जब भारत ने 2030 तक MMR को 70 तक लाने का लक्ष्य रखा है1।
देश और राज्यों की तुलना | Atharva Examwise Current News
राज्य | मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति 1 लाख प्रसव |
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मध्य प्रदेश | 175 |
असम | 167 |
उत्तर प्रदेश | 167 |
बिहार | 130 |
महाराष्ट्र | 38 |
तेलंगाना | 45 |
आंध्र प्रदेश | 46 |
झारखंड | 51 |
तमिलनाडु | 49 |
गुजरात | 53 |
भारत (औसत) | 93 |
मुख्य कारण: मातृ मृत्यु दर बढ़ने के पीछे की वजहें
स्वास्थ्य संस्थाओं की उपलब्धता: 70% स्वास्थ्य संस्थाएं रात में बंद रहती हैं।
अस्पतालों की स्थिति: जिला अस्पताल वर्षों से बंद, ऑपरेशन नहीं हो रहे।
ग्रामीण इलाकों में स्टाफ की कमी: 60% स्टाफ स्थायी रूप से तैनात नहीं।
दवाओं की उपलब्धता: गर्भवती महिलाओं की जरूरी दवाएं समय पर नहीं मिलतीं।
प्रशिक्षित स्टाफ की कमी: जांचें समय पर नहीं हो रही हैं।
रिपोर्टिंग सिस्टम कमजोर: कई जिलों में मातृ मृत्यु के मामले दर्ज ही नहीं हो पाते, जिससे सही आंकड़े सामने नहीं आ पाते।
शिशु मृत्यु दर (IMR) में भी मध्य प्रदेश सबसे खराब
IMR (Infant Mortality Rate): मध्य प्रदेश में 41 (देश में सबसे अधिक), जबकि देश का औसत 27 है।
राष्ट्रीय स्तर पर सुधार: भारत का औसत IMR 2021 में 27 है, जिसमें पिछले 10 वर्षों में 36% की गिरावट आई है।
कारण: समय पर इलाज न मिलना, प्रसव के दौरान जटिलताएं, जन्म के तुरंत बाद संक्रमण आदि।
पिछले वर्षों में बदलाव और राष्ट्रीय लक्ष्य
2011-13 में MP की MMR 221 थी, जो 2014-16 में घटकर 173 हुई थी, लेकिन अब फिर से बढ़कर 175 हो गई है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक MMR को 70 तक लाना है, लेकिन मध्य प्रदेश इस लक्ष्य से दूर है।
महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्य SDG लक्ष्य के करीब या नीचे पहुंच चुके हैं।
परीक्षा के लिए जरूरी बिंदु | Key Takeaways for Competitive Exam News
मध्य प्रदेश की मातृ मृत्यु दर (MMR) देश में सबसे अधिक: 175 प्रति 1 लाख प्रसव।
देश की औसत MMR: 93, राष्ट्रीय लक्ष्य (2030 तक): 70।
महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (45), आंध्र प्रदेश (46) जैसे राज्यों में MMR सबसे कम।
शिशु मृत्यु दर (IMR) में भी मध्य प्रदेश सबसे खराब: 41 (देश का औसत 27)।
मुख्य कारण: स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, स्टाफ की अनुपलब्धता, दवाओं की कमी, रिपोर्टिंग सिस्टम कमजोर।
भारत ने पिछले दशक में MMR और IMR में सुधार किया, लेकिन कुछ राज्य अभी भी पीछे हैं।
2030 तक SDG लक्ष्य: MMR को 70 और IMR को न्यूनतम स्तर तक लाना।
परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? | Why This Matters for Exams
UPSC, SSC, Banking, State PCS जैसी परीक्षाओं में स्वास्थ्य सूचकांक, सरकारी योजनाएं, और राज्यों की तुलना से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।
मध्य प्रदेश की मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, कारण और सुधार के उपाय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य (SDG) – ये सभी टॉपिक्स करेंट अफेयर्स और जनरल नॉलेज के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
सरकारी नीतियों, स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत और रिपोर्टिंग सिस्टम की कमियां – इन पर आधारित विश्लेषणात्मक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं।
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