प्रस्तावना
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मृत्यु के बाद, भारत ने 24 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को 'अस्थायी निलंबन' (abeyance) में रखने की घोषणा की। भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
सिंधु जल संधि: एक संक्षिप्त परिचय
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हस्ताक्षरित एक जल-साझाकरण समझौता है। इसके तहत:
भारत को तीन पूर्वी नदियों — रावी, ब्यास और सतलुज — पर नियंत्रण प्राप्त है।
पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — के उपयोग का अधिकार है।
यह संधि अब तक दोनों देशों के बीच जल विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाने में सहायक रही है।
'अस्थायी निलंबन' का अर्थ और भारत की रणनीति
'अस्थायी निलंबन' का अर्थ है कि संधि को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, लेकिन इसे पुनः लागू किया जा सकता है यदि पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को समाप्त करता है। भारत ने यह कदम:
पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए उठाया है ताकि वह आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन बंद करे।
अपने जल संसाधनों के प्रबंधन और जलविद्युत परियोजनाओं को संधि की बाधाओं के बिना आगे बढ़ा सके।
हालांकि, 'अस्थायी निलंबन' अंतरराष्ट्रीय कानून में मान्यता प्राप्त शब्द नहीं है, और एकतरफा रूप से संधि को निलंबित करना कानूनी रूप से विवादास्पद है।
कानूनी और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
भारत के इस निर्णय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी बहस को जन्म दिया है। पाकिस्तान ने इसे 'युद्ध का कार्य' करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में चुनौती देने की योजना बना रहा है।
भारत वियना संधि कानून (VCLT) का पक्षकार नहीं है, जबकि पाकिस्तान ने इसे हस्ताक्षरित किया है लेकिन अनुमोदित नहीं किया है। VCLT के तहत, संधि को केवल विशिष्ट परिस्थितियों में निलंबित किया जा सकता है, जैसे कि गंभीर उल्लंघन या परिस्थितियों में मौलिक परिवर्तन, जिसे भारत ने औपचारिक रूप से लागू नहीं किया है।
रणनीतिक और घरेलू विचार
भारत में इस निर्णय को आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम के रूप में देखा जा रहा है। रणनीतिक रूप से, यह भारत को:
किशनगंगा और रतले जैसे जलविद्युत परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का अवसर देता है, जो पहले संधि के कारण बाधित थीं।
जल संसाधनों पर अधिक नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करता है, जो कृषि और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि, पाकिस्तान, जो सिंधु जल पर भारी निर्भर है, इस कदम को एक 'युद्ध का कार्य' मानता है और इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।
मुख्य बिंदु
घोषणा की तिथि: 24 अप्रैल 2025
कारण: पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद का समर्थन, विशेष रूप से पहलगाम हमले के बाद।
कार्य की प्रकृति: सिंधु जल संधि का अस्थायी निलंबन।
कानूनी स्थिति: 'अस्थायी निलंबन' अंतरराष्ट्रीय कानून में मान्यता प्राप्त नहीं है; एकतरफा निलंबन विवादास्पद है।
रणनीतिक उद्देश्य: पाकिस्तान पर दबाव बनाना, घरेलू जल परियोजनाओं को आगे बढ़ाना, और संधि की बाधाओं का पुनर्मूल्यांकन करना।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: पाकिस्तान ने इसे युद्ध का कार्य बताया है; संभावित कानूनी चुनौतियों की संभावना है।
परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
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अंतरराष्ट्रीय संबंध: द्विपक्षीय संधियों और उनके भू-राजनीतिक प्रभावों की समझ।
वर्तमान घटनाएं: प्रमुख नीति निर्णयों और उनके वैश्विक प्रभावों की जानकारी।
कानूनी ढांचे: अंतरराष्ट्रीय कानून में संधियों की भूमिका का विश्लेषण।
पर्यावरण अध्ययन: जल संधियों का क्षेत्रीय पारिस्थितिकी और संसाधन प्रबंधन पर प्रभाव।
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