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भारत ने 26 राफेल-मरीन जेट्स के लिए फ्रांस के साथ ₹64,000 करोड़ का समझौता किया, जिससे नौसेना की शक्ति बढ़ेगी। मार्च 2025 के करंट अफेयर्स के लिए प्रमुख तथ्य और परीक्षा केंद्रित जानकारियाँ जानिए।

भारत ने 26 राफेल-मरीन जेट्स के लिए ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए: जानिए संपूर्ण विवरण

परिचय

"मार्च 2025 के करंट अफेयर्स" में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, भारत ने भारतीय नौसेना के लिए 26 उन्नत राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद हेतु फ्रांस के साथ ₹64,000 करोड़ का समझौता किया है। यह "प्रतियोगी परीक्षा समाचार" UPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रस्तुत है Atharva Examwise करेंट न्यूज़ डेस्क से एक संपूर्ण "डेली जीके अपडेट"।

राफेल-मरीन सौदे के प्रमुख विवरण

क्या समझौता हुआ?

समझौते का मूल्य: ₹64,000 करोड़ (लगभग $7.4 अरब)

पक्षकार: भारत सरकार और फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी

जेट्स की संख्या: 26 (22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर)

उद्देश्य: भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना और नौसेना के वायु बेड़े का आधुनिकीकरण करना।

समयरेखा

पहली डिलीवरी: 2028 में अपेक्षित

पूर्ण समावेश: 2030 तक सभी जेट्स भारतीय नौसेना में परिचालन में आ जाएंगे।

तैनाती

विमान वाहक पोत: राफेल-एम जेट्स INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर तैनात किए जाएंगे, जो भारत के प्रमुख विमान वाहक पोत हैं।

बेड़े की ताकत: इस नए अधिग्रहण के साथ, भारत कुल 62 राफेल जेट्स का संचालन करेगा (36 वायुसेना के पास और 26 नौसेना के पास)।

राफेल-मरीन जेट्स की विशेषताएँ और क्षमताएँ

पीढ़ी: 4.5-पीढ़ी का, बहुउद्देश्यीय, विमानवाहक पोत-सक्षम लड़ाकू विमान।

गति: अधिकतम गति माक 1.8 (लगभग 1,912 किमी/घंटा)।

कॉम्बैट रेंज: 1,850 किमी तक; फेरी रेंज 3,700 किमी।

सर्विस सीलिंग: अधिकतम ऊंचाई 50,000 फीट तक।

अस्त्र-शस्त्र: उन्नत एयर-टू-एयर मिसाइलें (जैसे मेटेओर), एंटी-शिप मिसाइलें, सटीक बम और परमाणु क्षमता।

एवियोनिक्स: AESA रडार, SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और उन्नत टारगेटिंग सिस्टम्स से लैस।

रिफ्यूलिंग: मिशन की अवधि बढ़ाने हेतु मध्य-आकाश रिफ्यूलिंग क्षमता।

विमान वाहक संचालन: भारतीय विमानवाहक पोतों के स्की-जंप सिस्टम के अनुकूल विशेष मजबूती के साथ डिजाइन किया गया।

रणनीतिक और स्वदेशी पहलू

मेक इन इंडिया: इस समझौते में स्वदेशी अस्त्र BVR मिसाइल के एकीकरण और भारत में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (MRO) सुविधाओं की स्थापना हेतु तकनीक हस्तांतरण भी शामिल है।

ऑफसेट क्लॉज: फ्रांसीसी कंपनियाँ भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करेंगी, जिससे स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

बढ़ी हुई समुद्री सुरक्षा: हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीनी नौसैनिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए यह अधिग्रहण एक प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया है।

क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के साथ तुलना

तकनीकी बढ़त: राफेल-एम जेट्स पाकिस्तान के JF-17 और F-16, तथा चीन के J-10 और J-15 से बेहतर हैं, विशेषकर उनके बेहतर एवियोनिक्स, हथियार प्रणालियों और संचालन क्षमता के कारण।

संचालन बहुपरता: राफेल-एम हवाई वर्चस्व, जमीनी और समुद्री हमले, टोही और परमाणु प्रतिरोध मिशनों को कुशलता से अंजाम दे सकता है।

परीक्षाओं के लिए मुख्य निष्कर्ष

भारत ने अप्रैल 2025 में फ्रांस के साथ ₹64,000 करोड़ के 26 राफेल-मरीन जेट्स के सौदे पर हस्ताक्षर किए।

पहली डिलीवरी 2028 में होगी; 2030 तक सभी जेट्स नौसेना में शामिल हो जाएंगे।

जेट्स INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से संचालित होंगे, जिससे भारत की समुद्री हमला क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।

राफेल-एम एक 4.5-पीढ़ी का, विमानवाहक पोत-सक्षम लड़ाकू विमान है, जिसमें उन्नत एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियाँ हैं।

समझौते में तकनीक हस्तांतरण, स्वदेशी हथियारों का एकीकरण और घरेलू निर्माण समर्थन भी शामिल है।

भारत की पाकिस्तान और चीन पर नौसैनिक विमानन में बढ़त को और मजबूत करेगा।

यह विषय "मार्च 2025 के करंट अफेयर्स", "डेली जीके अपडेट" और "प्रतियोगी परीक्षा समाचार" के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

परीक्षाओं के लिए इसका महत्व

यह ऐतिहासिक रक्षा समझौता सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण रहेगा। इसमें भारत के रक्षा आधुनिकीकरण, अंतरराष्ट्रीय संबंध, ‘मेक इन इंडिया’ पहल और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। उम्मीदवारों को इस सौदे के रणनीतिक प्रभाव, राफेल-एम की तकनीकी विशेषताओं और भारत की क्षेत्रीय शक्ति प्रक्षेपण पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, विशेषकर "Atharva Examwise करेंट न्यूज़" अनुभाग के संदर्भ में।

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