19 अप्रैल 1975 को लॉन्च हुआ भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट। जानें इसके इतिहास, मिशन और प्रतियोगी परीक्षा के लिए प्रमुख तथ्य।
भारत का पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ – एक परिचय
19 अप्रैल 1975 का दिन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। इस दिन सोवियत संघ (अब रूस) के कापुस्टिन यार कॉस्मोड्रोम से लॉन्च हुआ ‘आर्यभट्ट’ — भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह। UPSC, SSC, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों के लिए यह घटना current affairs March 2025 के दैनिक अपडेट में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
आर्यभट्ट का नामकरण और महत्व
नामकरण की प्रक्रिया
उपग्रह बनने के बाद तीन नाम — आर्यभट्ट, मैत्रेयी और जवाहर — सरकार के पास आए।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्यभट्ट नाम को अंतिम रूप दिया, जो प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे।
आर्यभट्ट कौन थे?
प्राचीन भारत में दशमलव पद्धति और ग्रहों की गति पर उनके योगदान ने खगोलशास्त्र को नया आयाम दिया।
उनका सर्वप्रथम ग्रंथ “आर्यभट्टिय” खगोलगणित का बेजोड़ उदाहरण है।
आर्यभट्ट उपग्रह का मिशन और तकनीकी विवरण
लॉन्च डेट: 19 अप्रैल 1975
लॉन्च व्हीकल: सोवियत यूआर-500 के तहत (भारत के पास लॉन्च व्हीकल नहीं था)
वजन: लगभग 360 किलोग्राम
रूप: बहुभुज (26 पैनल वाला), काले रंग का
उद्देश्य:
सौर विकिरण और एक्स-रे स्रोतों का अध्ययन
वायुमंडलीय संरचना की जानकारी इकट्ठा करना
मिशन की चुनौतियाँ और परिणाम
तकनीकी कारणों से कुछ ही दिनों बाद संचार संपर्क टूट गया।
इसके बावजूद आर्यभट्ट लगभग 17 वर्षों तक पृथ्वी की कक्षा में बना रहा।
इस सफलता ने भारत को आगे के उपग्रह अभियानों के लिए आत्मविश्वास प्रदान किया।
क्यों है ‘आर्यभट्ट’ आज भी प्रासंगिक?
प्रतियोगी परीक्षा समाचार (competitive exam news): UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं में भारतीय अंतरिक्ष इतिहास से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।
दैनिक GK अपडेट (daily GK update): 19 अप्रैल का दिन भारतीय विज्ञान एवं तकनीक के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ।
Atharva Examwise current news: हमारी Atharva Examwise current news श्रृंखला में इस प्रकार की घटनाएँ छात्रों को करंट अफेयर्स में आगे बनाए रखती हैं।
प्रमुख तथ्य (Key Takeaways)
19 अप्रैल 1975 को भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ लॉन्च हुआ।
उपग्रह का नाम प्राचीन गणितज्ञ–खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया।
लॉन्च सोवियत संघ के कापुस्टिन यार कॉस्मोड्रोम से हुआ।
आर्यभट्ट का वजन 360 किग्रा था और यह बहुभुजाकार था।
मिशन का उद्देश्य सौर विकिरण, एक्स-रे स्रोत और वायुमंडलीय अध्ययन था।
तकनीकी समस्याओं के बावजूद, उपग्रह ने 17 वर्षों तक कक्षा में बने रहने का रिकॉर्ड बनाया।
आंतरिक एवं बाह्य संदर्भ (Links)
प्राचीन भारत में आर्यभट्ट का योगदान – विकिपीडिया
Why this matters for exams
प्रश्नोत्तरी में पूछे जाने वाले तथ्य: लॉन्च वर्ष, वजन, उद्देश्य, और नामकरण प्रक्रिया
आधारभूत समझ: भारतीय अंतरिक्ष इतिहास का परिचय आपको करंट अफेयर्स और सामान्य अध्ययन के अनुभाग में मजबूती प्रदान करेगा।
रिटेंशन के लिए बुलेट पॉइंट: परीक्षा के समय तेजी से याद करने में मददगार।
Atharva Examwise के साथ जुड़े रहें – आपके करियर की उड़ान यहीं से शुरू होती है!