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कनाडा चुनाव 2025 में ट्रूडो का इस्तीफा, ट्रंप की टैरिफ नीति और देशभक्ति की लहर ने बदला पूरा सियासी समीकरण। जानिए भारत-कनाडा रिश्तों पर इसका क्या असर पड़ेगा।

🔎 परिचय: नई दिशा की ओर बढ़ता कनाडा

2025 का कनाडा एक बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर बढ़ रहा है। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे और मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी के उभार ने चुनावी समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया है। 28 अप्रैल को होने वाले स्नैप इलेक्शन से पहले ही माहौल पूरी तरह से गर्म है।

इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने कनाडा की जनता को झकझोर कर रख दिया है – जिससे राष्ट्रवाद और 'बॉयकॉट अमेरिका' जैसे अभियान पूरे कनाडा में तेजी पकड़ रहे हैं।

🇨🇦 ट्रूडो का इस्तीफा क्यों हुआ?

पार्टी में लगातार गिरती पकड़

लिबरल पार्टी के अंदर असहमति

मार्क कार्नी जैसे नए नेता को आगे लाना पड़ा

संसद में No-Confidence Motion से बचने के लिए Snap Election का ऐलान

🗳️ चुनाव 2025 के मुख्य दावेदार

नेतापार्टीप्रमुख विशेषता
मार्क कार्नीलिबरल पार्टीअर्थशास्त्री, संतुलित सोच
पीयरे पोइलीवरकंजर्वेटिव पार्टीजोशीले वक्ता, ट्रंप जैसी नीतियाँ
जगमीत सिंहन्यू डेमोक्रेटिक पार्टीखालिस्तानी मुद्दों से जुड़े विवाद
यव-फ्रांस्वा ब्लांशेब्लॉक क्यूबेकप्रांतीय स्तर तक सीमित समर्थन

🇺🇸 ट्रंप की टैरिफ नीति ने कैसे भड़काया कनाडा का राष्ट्रवाद

2025 में ट्रंप सरकार ने कनाडा पर 25% आयात शुल्क लगा दिए, जिससे दोनों देशों में तनाव बढ़ा। इसके जवाब में:

कनाडा ने 25% बिजली टैक्स की धमकी दी

"बॉयकॉट अमेरिका" मूवमेंट तेज़ हुआ

कनाडाई लोगों ने अमेरिकी यात्रा कम कर दी

कई एयरलाइनों ने अमेरिका के लिए उड़ानें बंद कीं

📈 लिबरल पार्टी की वापसी कैसे हुई?

ट्रंप की नीतियों के खिलाफ जनता का आक्रोश

राष्ट्रवादी भावना का उभार

मार्क कार्नी की नई और संतुलित सोच

ट्रूडो के पुराने अतिवादी रुख से दूरी बनाना

🔥 क्या पोइलीवर ट्रंप के साए में हैं?

पीयरे पोइलीवर की नीतियाँ:

टैक्स में कटौती

पर्यावरण नीति में ढिलाई

संस्कृति और जेंडर मुद्दों पर ट्रंप जैसी बयानबाजी

अब यह जनता को बांटने वाली राजनीति लगने लगी है। हालांकि, लंबे समय से लिबरल शासन से लिबरल थकान (Liberal Fatigue) भी एक मुद्दा है, जिसका फायदा पोइलीवर उठा सकते हैं।

🇮🇳 भारत-कनाडा रिश्तों का भविष्य

ट्रूडो सरकार के समय भारत और कनाडा के रिश्ते काफी खराब रहे। खासकर:

खालिस्तान मुद्दे पर कनाडा का नरम रवैया

इंडो-पैसिफिक नीति में ढिलाई

अब:

मार्क कार्नी और पोइलीवर दोनों भारत से रिश्ते सुधारना चाहते हैं

लेकिन जगमीत सिंह की पार्टी की खालिस्तानी समर्थन एक बड़ी बाधा बनी रहेगी

👉 भारत-कनाडा रिश्ते 2024: क्या गया था गलत?

🔚 निष्कर्ष: कौन जीतेगा कनाडा का भविष्य?

एक तरफ हैं मार्क कार्नी, जो आर्थिक संकट के समय एक अनुभवी अंतरराष्ट्रीय चेहरा हैं। दूसरी तरफ पोइलीवर, जो ट्रंप जैसी सोच लेकर आ रहे हैं।

इन चुनावों का असर:

भारत-कनाडा संबंधों

यूएस-कनाडा ट्रेड पॉलिसी

और एशिया में कनाडा की भूमिका पर पड़ेगा।

By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise