जानिए आयकर विधेयक, 2025 के प्रमुख बदलाव, जिसमें वर्चुअल डिजिटल संपत्तियां, विवाद समाधान प्रक्रिया, और कर संधियों की व्याख्या शामिल हैं। यह नया विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करेगा।
परिचय
आयकर विधेयक, 2025 को 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। इसका उद्देश्य भारत की कर प्रणाली को आधुनिक बनाना और प्रक्रियाओं को सरल करना है। यह आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करेगा, लेकिन अधिकांश प्रावधानों को बनाए रखेगा। कर दरों, परिभाषाओं और दंड प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। विधेयक को 1 अप्रैल 2026 से लागू करने का प्रस्ताव है।
आयकर विधेयक, 2025 की प्रमुख विशेषताएँ
1. नई कर योजनाओं को लागू करने की शक्ति
विधेयक सरकार को नई कर योजनाएं लागू करने की शक्ति प्रदान करता है जिससे कर संग्रहण और मूल्यांकन अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगा।
करदाताओं और अधिकारियों के बीच सीधा संपर्क कम करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग।
बड़े पैमाने पर संसाधनों का प्रभावी उपयोग और विशेष कार्यों में दक्षता लाना।
सभी नई योजनाओं को संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
2. वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों को अघोषित आय में शामिल करना
पहली बार, विधेयक में वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (VDAs) को अघोषित आय की श्रेणी में जोड़ा गया है।
इसमें क्रिप्टोकरेंसी, टोकन, और डिजिटल रूप से उत्पन्न संपत्तियां शामिल हैं।
यह बदलाव वित्त विधेयक, 2025 के अनुरूप है, जिससे डिजिटल संपत्तियों पर कर अनुपालन को सख्त बनाया जाएगा।
3. कर अधिकारियों को वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक पहुंच
विधेयक कर अधिकारियों को वर्चुअल डिजिटल स्पेस में जांच की अनुमति देता है। इसमें शामिल हैं:
ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट्स, ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग अकाउंट्स।
डिजिटल संपत्तियों के स्वामित्व को ट्रैक करने वाली वेबसाइटें।
जांच के दौरान सुरक्षा कोड को बायपास करने की शक्ति।
इस प्रावधान का उद्देश्य डिजिटल लेनदेन में कर चोरी को रोकना और डेटा-आधारित जांच को मजबूत करना है।
4. विवाद समाधान प्रक्रिया को मजबूत करना
विधेयक विदेशी कंपनियों और अनिवासी करदाताओं को विवाद समाधान पैनल (DRP) के तहत अपील करने की सुविधा देता है। नए प्रावधानों के अनुसार:
DRP को निर्णयों के साथ विस्तृत स्पष्टीकरण और कारण देने होंगे।
इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और कर मामलों के निपटान में सुधार होगा।
5. कर संधियों की स्पष्ट व्याख्या
विधेयक में भारत द्वारा हस्ताक्षरित कर संधियों की व्याख्या को अधिक स्पष्ट किया गया है।
यदि कोई शब्द संधि, आयकर अधिनियम, या सरकार की अधिसूचना में परिभाषित नहीं है, तो उसका अर्थ किसी अन्य केंद्रीय कानून के अनुसार लिया जाएगा।
यह दोहरा कराधान बचाव समझौतों (DTAA) में स्पष्टता लाने और व्याख्या की एकरूपता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
आयकर विधेयक, 2025 का करदाताओं पर प्रभाव
कोई कर दर परिवर्तन नहीं: व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट कर दरें पूर्ववत रहेंगी।
पारदर्शिता में वृद्धि: फेसलेस कर मूल्यांकन और डिजिटल संपत्तियों पर कर अनुपालन से सुधार होगा।
कर प्रवर्तन को मजबूत बनाना: वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों की निगरानी से कर चोरी पर रोक लगेगी।
कानून की भाषा को सरल बनाना और अनावश्यक प्रावधानों को हटाना।
निष्कर्ष
आयकर विधेयक, 2025 भारत की कर प्रणाली को डिजिटल रूप से सक्षम और अधिक पारदर्शी बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसमें फेसलेस मूल्यांकन, डिजिटल जांच, और वर्चुअल संपत्तियों पर सख्त नियमों का समावेश किया गया है। हालांकि, कर दरें वही बनी रहेंगी, यह विधेयक अनुपालन, प्रवर्तन, और पारदर्शिता में सुधार लाने में सहायक होगा।
भारत में डिजिटल कराधान के युग की शुरुआत करने वाला यह विधेयक, वित्तीय प्रणाली को अधिक उत्तरदायी और कुशल बनाएगा।
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By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise