प्रिय UPSC अभ्यर्थियों, आज 17 जून 2025 को विश्व मगरमच्छ दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन न केवल वैश्विक संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि UPSC पर्यावरण विषय के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
विश्व मगरमच्छ दिवस: उत्पत्ति और उद्देश्य
कब और कैसे शुरू हुआ?
विश्व मगरमच्छ दिवस की शुरुआत 2017 में हुई थी। इसकी स्थापना क्रोकोडाइल रिसर्च कोएलिशन (CRC) और बेलीज़ चिड़ियाघर एवं ट्रॉपिकल एजुकेशन सेंटर द्वारा की गई थी। यह दिन हर वर्ष 17 जून को मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य मगरमच्छों के संरक्षण और जागरूकता को बढ़ाना है।
मुख्य उद्देश्य
मगरमच्छों की घटती संख्या के प्रति जागरूकता फैलाना
अवैध शिकार और व्यापार को रोकना
आवास संरक्षण को बढ़ावा देना
पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका को समझाना
मगरमच्छों का पारिस्थितिकी महत्व: UPSC दृष्टिकोण
शीर्ष शिकारी (Apex Predators) की भूमिका
मगरमच्छ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के अत्यंत महत्वपूर्ण शीर्ष शिकारी हैं। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि मगरमच्छ न केवल "टॉप-डाउन" बल्कि "बॉटम-अप" प्रक्रियाओं के माध्यम से भी पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हैं।
पोषक तत्वों का स्थानांतरण
ऑस्ट्रेलिया में 50 वर्षों के अध्ययन से पता चला है कि मगरमच्छ स्थलीय पोषक तत्वों को जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में स्थानांतरित करते हैं। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में मगरमच्छों की आबादी में वृद्धि के साथ नाइट्रोजन की मात्रा 186 गुना और फास्फोरस की मात्रा 56 गुना बढ़ गई है।
वैश्विक मगरमच्छ प्रजातियां: तथ्य और आंकड़े
प्रजातियों की संख्या
दुनिया में मगरमच्छों की कुल 23-25 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 7 प्रजातियां IUCN द्वारा गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) घोषित की गई हैं।
विशेष तथ्य
खारे पानी का मगरमच्छ विश्व का सबसे बड़ा सरीसृप है, जो 7 मीटर तक लंबा हो सकता है
मगरमच्छ मातृत्व व्यवहार दिखाते हैं - वे अपने अंडों की रक्षा करते हैं और बच्चों को आवाज देकर बुलाते हैं
ये लाखों वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
भारत में मगरमच्छ: प्रजातियां और वितरण
भारतीय मगरमच्छ प्रजातियां
भारत में तीन प्रमुख मगरमच्छ प्रजातियां पाई जाती हैं:
घड़ियाल (Gavialis gangeticus)
मुख्यतः नदी क्षेत्रों में पाए जाते हैं
IUCN द्वारा गंभीर रूप से संकटग्रस्त घोषित
वर्तमान में 250 से कम वयस्क जीवित हैं
खारे पानी का मगरमच्छ (Crocodylus porosus)
भारत के पूर्वी तट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं
भितरकनिका में 1,826 की संख्या दर्ज की गई है
मगर या दलदली मगरमच्छ (Crocodylus palustris)
देश भर की नदियों और झीलों में पाए जाते हैं
राज्य भर में लगभग 300 की संख्या है
वितरण और आवास
ओडिशा भारत का एकमात्र राज्य है जहां तीनों प्रजातियां पाई जाती हैं। भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव क्षेत्र है और मगरमच्छ संरक्षण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
भारतीय मगरमच्छ संरक्षण परियोजना: एक सफलता की कहानी
परियोजना का इतिहास
भारतीय मगरमच्छ संरक्षण परियोजना 1975 में शुरू की गई थी। यह परियोजना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के बाद आई थी। इस परियोजना को UNDP/FAO के सहयोग से भारत सरकार द्वारा संचालित किया गया।
50 वर्षों की उपलब्धि
2025 में यह परियोजना अपनी 50वीं वर्षगांठ मना रही है। इसकी मुख्य उपलब्धियां हैं:
खारे पानी के मगरमच्छ की संख्या 1976 में 96 से बढ़कर 2012 में 1,640 हो गई
भितरकनिका में वर्तमान में 1,826 खारे पानी के मगरमच्छ हैं
सतकोसिया में 16 घड़ियाल संरक्षित हैं
संरक्षण रणनीति
परियोजना की मुख्य रणनीतियां थीं:
अंडे एकत्रित करना और नियंत्रित वातावरण में सेना
युवा मगरमच्छों का पालन-पोषण
चिह्नित करना और संरक्षित क्षेत्रों में छोड़ना
सफलता की निगरानी करना
संस्थागत ढांचा
1980 में हैदराबाद में मगरमच्छ प्रजनन और प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई। तीन अलग-अलग अनुसंधान इकाइयां स्थापित की गईं:
टिकरपाड़ा - घड़ियाल के लिए
डांगमल - खारे पानी के मगरमच्छ के लिए
रामतीर्थ - मगर के लिए
अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण: CITES और IUCN
CITES विनियमन
सभी मगरमच्छ प्रजातियां CITES की परिशिष्ट I या II में सूचीबद्ध हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करता है और अवैध शिकार को रोकने में सहायक है।
IUCN स्थिति
IUCN की रेड लिस्ट में 25 मगरमच्छ प्रजातियों में से 7 को गंभीर रूप से संकटग्रस्त माना गया है। घड़ियाल भी इसी श्रेणी में आता है।
संरक्षण की चुनौतियां
मुख्य खतरे
मगरमच्छों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियां हैं:
आवास विनाश: नदी तटों पर अतिक्रमण, बांध निर्माण, और भूमि उपयोग में परिवर्तन
अवैध शिकार: चमड़े, मांस और पारंपरिक दवाओं के लिए
मानव-मगरमच्छ संघर्ष: विशेषकर ओडिशा में
जलवायु परिवर्तन: तापमान वृद्धि और वर्षा पैटर्न में बदलाव
मानव-मगरमच्छ संघर्ष
भितरकनिका में मगरमच्छों की बढ़ती संख्या के साथ मानव-मगरमच्छ संघर्ष भी बढ़ा है। इसके लिए चेतावनी प्रणाली और बैरिकेड्स जैसे उपाय अपनाए गए हैं।
UPSC के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
पर्यावरण और पारिस्थितिकी
मगरमच्छ शीर्ष शिकारी के रूप में पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हैं
ये जलीय खाद्य श्रृंखला को नियंत्रित करते हैं
पोषक तत्वों के चक्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
संरक्षण नीतियां
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में मगरमच्छ अनुसूची I में शामिल हैं
मगरमच्छ संरक्षण परियोजना 1975 की सफलता
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (UNDP/FAO) की भूमिका
भूगोल और वितरण
भारत में तीन प्रजातियां और उनका वितरण
ओडिशा का विशेष महत्व
भितरकनिका का पारिस्थितिकी महत्व
प्रैक्टिस प्रश्न
भारत में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना कब शुरू की गई थी?
उत्तर: 1975 में
घड़ियाल की IUCN स्थिति क्या है?
उत्तर: गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)
भारत में कौन सा राज्य तीनों मगरमच्छ प्रजातियों का घर है?
उत्तर: ओडिशा
UPSC अभ्यर्थियों के लिए मुख्य बातें
विश्व मगरमच्छ दिवस 2025 के संदर्भ में UPSC अभ्यर्थियों के लिए प्रमुख बिंदु:
पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए:
मगरमच्छों की पारिस्थितिकी भूमिका को समझें - ये केवल शिकारी नहीं बल्कि पोषक तत्वों के स्थानांतरणकर्ता भी हैं
भारतीय मगरमच्छ प्रजातियों के वितरण और आवास की जानकारी रखें
संरक्षण परियोजना की सफलता से सीखें कि कैसे वैज्ञानिक प्रबंधन से प्रजातियों को बचाया जा सकता है
करेंट अफेयर्स के लिए:
2025 में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना की 50वीं वर्षगांठ का महत्व समझें
CITES और IUCN जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका को जानें
मानव-वन्यजीव संघर्ष के समाधान के उपायों से परिचित रहें
नीति और प्रशासन के लिए:
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों को समझें
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (UNDP/FAO) की महत्ता को जानें
संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी के महत्व को समझें
यह विषय न केवल पर्यावरण पेपर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि निबंध लेखन में भी conservation success stories के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसे समसामयिक घटनाओं के साथ जोड़कर देखें और वैज्ञानिक प्रबंधन की शक्ति को समझें।