रेयर-अर्थ मिनरल्स में निजी निवेश: UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव और भारत की रणनीति

रेयर-अर्थ मिनरल्स में निजी निवेश: UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव और भारत की रणनीति

भारत की खनन नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव आया है। हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित माइंस और मिनरल्स संशोधन बिल 2024 ने निजी क्षेत्र के लिए लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे रेयर-अर्थ मिनरल्स के दोहन का रास्ता खोल दिया है। यह परिवर्तन न केवल भारत की आर्थिक रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि UPSC परीक्षार्थियों के लिए भी एक केंद्रीय विषय है जो GS-3 में खनन, पर्यावरण और आर्थिक विकास के प्रश्नों से जुड़ा है।

रेयर-अर्थ एलिमेंट्स: वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैश्विक महत्व

रेयर-अर्थ एलिमेंट्स (REE) 17 धातुओं का एक समूह है जिसमें स्कैंडियम, यट्रियम और 15 लैंथेनाइड्स शामिल हैं। ये तत्व अपने अद्वितीय चुंबकीय, फास्फोरसेंट और इलेक्ट्रोकेमिकल गुणों के कारण आधुनिक तकनीक में अपरिहार्य हैं।

मुख्य अनुप्रयोग:

रक्षा उपकरण: मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, अकाश और अस्त्र मिसाइलें

इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, कंप्यूटर मॉनिटर, LED

हरित ऊर्जा: विंड टर्बाइन, सोलर पैनल्स

इलेक्ट्रिक व्हीकल: EV मोटर्स और बैटरी

चिकित्सा: MRI स्कैनर्स

चीन का वर्चस्व और भारत पर प्रभाव

चीन का रेयर-अर्थ बाजार में एकाधिकार है - वह वैश्विक उत्पादन का 60-67% करता है और 90% प्रोसेसिंग नियंत्रित करता है। 2024 में चीन ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में रेयर-अर्थ निर्यात पर प्रतिबंध लगाया, जिससे भारत की ऑटोमोबाइल और EV इंडस्ट्री पर गंभीर प्रभाव पड़ा।

भारत पर प्रभाव:

भारत रेयर-अर्थ आयात के लिए 90% तक चीन पर निर्भर है

2024-25 में भारत ने 53,748 मेट्रिक टन रेयर-अर्थ मैग्नेट आयात किए

35 से अधिक भारतीय आयातकर्ताओं को चीन से शिपमेंट नहीं मिला

फोर्स माज्योर क्लॉज का उपयोग करने को विवश हुए

भारत की रेयर-अर्थ संपदा और वर्तमान स्थिति

भारत के पास विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रेयर-अर्थ भंडार है - लगभग 6.9 मिलियन टन, जो वैश्विक भंडार का 6-8% है। मुख्य भंडार मोनाज़ाइट रेत में है जो तटीय राज्यों में मिलती है।

राज्यवार वितरण (मिलियन टन में):

राज्यमोनाज़ाइट भंडार
आंध्र प्रदेश3.72
ओडिशा2.41
तमिलनाडु2.46
केरल1.90
पश्चिम बंगाल1.22
झारखंड0.22

 

IREL की क्षमताएं:

वर्तमान उत्पादन: 4,000 मेट्रिक टन प्रति वर्ष

स्थापित क्षमता: 10 लाख टन मिनरल प्रोसेसिंग

रेयर-अर्थ एक्सट्रैक्शन प्लांट: 11,200 TPA क्षमता

रिफाइनिंग क्षमता: 5,000 TPA TREO

माइंस और मिनरल्स संशोधन बिल 2024: मुख्य प्रावधान

निजी क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन:

बिना अतिरिक्त रॉयल्टी के क्रिटिकल मिनरल्स का दोहन

50% सेल कैप हटाना कैप्टिव माइन्स से

मिनरल एक्सचेंज की स्थापना

डीप-सीटेड मिनरल्स के लिए लीज़ एरिया का विस्तार

नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन और डेवलपमेंट ट्रस्ट:

योगदान दर: 2% से बढ़ाकर 3% रॉयल्टी की

ऑफशोर एक्सप्लोरेशन की अनुमति

अंतर्राष्ट्रीय अन्वेषण का समर्थन

नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन: व्यापक रणनीति

जनवरी 2025 में लॉन्च किए गए NCMM में ₹34,300 करोड़ का निवेश शामिल है:

मिशन के मुख्य घटक:

सरकारी व्यय: ₹16,300 करोड़

PSU निवेश: ₹18,000 करोड़

अवधि: 7 वर्ष (2024-31)

एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट्स: 1,200

फास्ट-ट्रैक अप्रूवल:

एक्सप्लोरेशन लाइसेंस का नया प्रावधान

प्रोसेसिंग पार्क के लिए ₹500 करोड़

रीसाइक्लिंग के लिए ₹1,500 करोड़

UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण पहलू

GS-3 में संबंधित विषय:

खनन नीति और नियमन

पर्यावरणीय चुनौतियां और CRZ नियम

आर्थिक विकास और आत्मनिर्भर भारत

तकनीकी प्रगति और EV नीति

भू-राजनीतिक निर्भरता और आपूर्ति श्रृंखला

महत्वपूर्ण तथ्य परीक्षा के लिए:

17 रेयर-अर्थ एलिमेंट्स की सूची

मोनाज़ाइट में थोरियम की उपस्थिति

चीन की 90% प्रोसेसिंग क्षमता

भारत की तीसरी सबसे बड़ी रिज़र्व स्थिति

पिछले वर्षों के प्रश्न:

UPSC प्रीलिम्स 2025: रेयर-अर्थ एलिमेंट्स के फास्फोरसेंट गुण

UPSC प्रीलिम्स 2012: चीन के निर्यात प्रतिबंध और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स में उपयोग

चुनौतियां और आगे की राह

तकनीकी चुनौतियां:

जटिल निष्कर्षण प्रक्रिया मोनाज़ाइट से

रेडियोएक्टिव थोरियम की उपस्थिति

हेवी REE की कमी भारत में

वैल्यू चेन का अभाव मैग्नेट और अलॉय उत्पादन में

नीतिगत समाधान:

PLI स्कीम घरेलू प्रोसेसिंग के लिए

अंतर्राष्ट्रीय पार्टनरशिप ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ

QUAD इनिशिएटिव में सहयोग

रीसाइक्लिंग तकनीक का विकास

पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव:

आयात निर्भरता में कमी

रोजगार सृजन खनन क्षेत्र में

तकनीकी आत्मनिर्भरता का विकास

निर्यात क्षमता में वृद्धि

चुनौतियां:

पर्यावरणीय प्रभाव तटीय क्षेत्रों में

CRZ नियमों का अनुपालन

स्थानीय समुदायों का विस्थापन

भ्रष्टाचार की संभावना

मुख्य तकाजे और सुझाव

तत्काल आवश्यकताएं:

प्राइवेट सेक्टर की सक्रिय भागीदारी

R&D निवेश प्रोसेसिंग तकनीक में

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट तटीय क्षेत्रों में

स्किल डेवलपमेंट विशेषज्ञ जनशक्ति की

दीर्घकालिक रणनीति:

वर्टिकल इंटीग्रेशन खनन से मैग्नेट तक

इंटरनेशनल कोलैबोरेशन तकनीक के लिए

सस्टेनेबल माइनिंग प्रैक्टिसेज का अपनाना

इनोवेशन हब की स्थापना

माइंस और मिनरल्स संशोधन बिल 2024 भारत की खनन नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जो रेयर-अर्थ सेक्टर में निजी निवेश को प्रोत्साहित करता है। UPSC परीक्षार्थियों के लिए यह विषय GS-3 के अंतर्गत खनन, पर्यावरण, और आर्थिक विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

चीन की निर्भरता से मुक्ति पाने के लिए भारत की नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन और नई खनन नीति एक समग्र रणनीति का हिस्सा है। परीक्षार्थियों को रेयर-अर्थ एलिमेंट्स की तकनीकी विशेषताओं, भू-राजनीतिक महत्व, और आर्थिक प्रभावों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

यह नीतिगत बदलाव न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है, बल्कि 21वीं सदी की तकनीकी दौड़ में भारत की स्थिति मजबूत करने का प्रयास भी है। UPSC की दृष्टि से यह विषय करंट अफेयर्स, इकोनॉमिक सर्वे, और सांख्यिकीय डेटा के साथ-साथ मैप्स और चार्ट्स के लिए भी महत्वपूर्ण है।