हाइड्रोजन बनाम बैटरी: स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन की असली लागत (प्रतियोगी परीक्षा दृष्टिकोण)

परिचय: शहरीकरण और स्वच्छ परिवहन की चुनौती

2050 तक, विकासशील देशों में लगभग 70% लोग शहरों में रहेंगे। शहरी विकास जहां नौकरियों और सेवाओं तक बेहतर पहुंच देता है, वहीं ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण जैसी गंभीर चुनौतियां भी लाता है। हाल ही में प्रकाशित लैंसेट अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण भारत के 10 प्रमुख शहरों में हर साल 33,000 से अधिक मौतें होती हैं, जो इन शहरी क्षेत्रों में कुल मौतों का 7.2% है। यह संकट दुनिया भर के शहरों को स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है, जिससे यह विषय UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

हाइड्रोजन बनाम बैटरी: तकनीकी तुलना

बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV)

वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में प्रमुख

संचालन लागत कम: इलेक्ट्रिक बसों के लिए लगभग ₹14/km ($0.17/km), डीजल के लिए ₹22/km ($0.27/km)

ऊर्जा दक्षता 85–90%

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता और चार्जिंग में अधिक समय

हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV)

लंबी दूरी और तेज रिफ्यूलिंग (5–15 मिनट)

ऊबड़-खाबड़ इलाकों और अत्यधिक ठंड में बेहतर प्रदर्शन

संचालन लागत अधिक: हाइड्रोजन बसों के लिए ₹70–₹76/km ($0.84–$0.91/km)

वाहन की कीमतें BEV से 20–30% अधिक, लेकिन 2030 तक बराबरी की उम्मीद

अभी दुर्लभ: वैश्विक स्तर पर केवल 93,000 FCEV (हर 330 BEV पर 1 FCEV)

लागत तुलना: कौन सा विकल्प ज्यादा व्यावहारिक?

पैरामीटरबैटरी इलेक्ट्रिक बसहाइड्रोजन फ्यूल सेल बस
प्रारंभिक लागतकम20–30% अधिक
संचालन लागत₹14/km ($0.17/km)₹70–₹76/km ($0.84–$0.91/km)
ऊर्जा दक्षता85–90%60–70%
रिफ्यूलिंग/चार्जिंग समयअधिक (घंटों में)कम (5–15 मिनट)
रेंजमध्यमलंबी
उत्सर्जन (ग्रीन ईंधन पर)शून्यशून्य

 

बैटरी बसें वर्तमान में लागत और ऊर्जा दक्षता के लिहाज से शहरी मार्गों के लिए अधिक उपयुक्त हैं।

हाइड्रोजन बसें तकनीक में सुधार के साथ प्रतिस्पर्धी बन सकती हैं, लेकिन उच्च संचालन लागत अब भी चुनौती है।

भारत की प्रगति: इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का बढ़ता प्रभाव

2023 में, भारत में कुल वाहन बिक्री में EVs की हिस्सेदारी 5% रही; इलेक्ट्रिक कार रजिस्ट्रेशन में 70% सालाना वृद्धि।

भारत इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर बिक्री में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बना, 5.8 लाख से अधिक यूनिट्स के साथ, चीन को पीछे छोड़ते हुए।

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, हालांकि चीन के 60 लाख यूनिट्स के मुकाबले भारत में 8.8 लाख यूनिट्स ही बिकीं।

क्यों जरूरी है स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन?

सार्वजनिक परिवहन CO₂, NOx, PM2.5, VOCs और CO के उत्सर्जन को घटाकर शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार करता है।

स्वच्छ बसें (इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन) वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए जरूरी हैं।

हाइड्रोजन और बैटरी तकनीक के बीच चुनाव, भविष्य के सतत शहरी परिवहन को तय करेगा – जो प्रतियोगी परीक्षा ब्लॉग के पाठकों के लिए महत्वपूर्ण विषय है।

परीक्षा की तैयारी के लिए मुख्य बिंदु

हाइड्रोजन और बैटरी बसों के आर्थिक और पर्यावरणीय पक्षों की तुलना समझें।

भारत में EV अपनाने के रुझानों पर अपडेट रहें – UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं में पसंदीदा विषय।

शहरीकरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सतत परिवहन को अपने उत्तरों में जोड़ें।

आंकड़े और वास्तविक उदाहरणों का उपयोग करें, ताकि आपके निबंध या इंटरव्यू उत्तर मजबूत बनें।

क्यों जरूरी है यह जानकारी परीक्षार्थियों के लिए

स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन UPSC, SSC और बैंकिंग परीक्षाओं में पर्यावरण, शहरीकरण और नीति विश्लेषण के तहत बार-बार पूछा जाता है।

नवीनतम आंकड़े, लागत तुलना और नीति प्रभाव जानना आपको प्रीलिम्स और मेन्स दोनों में बढ़त दिला सकता है।

ऐसे और भी अपडेट्स के लिए Atharva Examwise ब्लॉग पढ़ते रहें – प्रतियोगी परीक्षा ब्लॉग का आपका विश्वसनीय स्रोत।

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