वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के बजट भाषण की शुरुआत तेलुगु कवि गुरजाड अप्पाराव की इन पंक्तियों से की: 'देश सिर्फ उसकी मिट्टी ही नहीं, उसके लोग भी हैं।' 2024 का बजट 'सबका विकास' के दृष्टिकोण को अपनाते हुए विकसित भारत के निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है। इस विजन का गहरा संबंध 'स्वच्छ भारत, हरित भारत' से है और भारत की 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता से जुड़ा है।
नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बढ़ा बजट आवंटन
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका कुल परिव्यय ₹26,549 करोड़ है। यह पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है, जो भारत की जीवाश्म ईंधन से दूर जाने और हरित ऊर्जा भविष्य की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत की 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, इस बजट में सौर ऊर्जा को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई है। पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और पीएम कुसुम योजना जैसी प्रमुख पहलों को इस बजट में जगह दी गई है। पीएम सूर्य घर योजना के तहत अब तक 10 लाख रूफटॉप सौर ऊर्जा प्रणालियाँ स्थापित की जा चुकी हैं। इस योजना के लिए ₹20,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। योजना का लक्ष्य मार्च 2026 तक 40 लाख घरों और मार्च 2027 तक 1 करोड़ घरों तक पहुंचने का है। इसके अलावा, सोलर पावर ग्रिड प्रोग्राम को ₹1,500 करोड़ दिए गए हैं।
ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और ट्रांसमिशन नेटवर्क का विस्तार
इस बजट में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और राष्ट्रीय ग्रिड एकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। ₹600 करोड़ की धनराशि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के लिए आवंटित की गई है, जिससे सौर और पवन ऊर्जा को ग्रिड में सुचारू रूप से समाहित किया जा सके। इसके अलावा, सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGB) से ₹20,000 करोड़ जुटाए गए हैं, जो विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण में मदद करेंगे।
ग्रीन हाइड्रोजन और जैव-ऊर्जा को बढ़ावा
भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन पर विशेष ध्यान दिया है, जिसके तहत राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को ₹600 करोड़ का आवंटन किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में दोगुना है। इसके अतिरिक्त, बायो-एनर्जी कार्यक्रम को ₹325 करोड़ का बजट दिया गया है।
परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने 2040 तक 100 गीगावाट क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कटौती होगी। हालांकि, पवन ऊर्जा के लिए बजट आवंटन में कमी आई है, जो एक चिंता का विषय हो सकता है।
निष्कर्ष
भारत का 2024 का बजट ग्रीन एनर्जी और नेट जीरो लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा और ट्रांसमिशन नेटवर्क को वित्तीय और नीतिगत समर्थन दिया गया है। हालांकि, सरकार को पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक निवेश करने की जरूरत है ताकि भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो और नेट जीरो लक्ष्य 2070 तक प्राप्त किया जा सके।
दूसरा ब्लॉग: हरित भारत की ओर बढ़ते कदम
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति और भविष्य की संभावनाएँ
भारत नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर अग्रसर है। सरकार द्वारा 2024 के बजट में ग्रीन एनर्जी के लिए किए गए प्रावधानों ने इसे और मजबूती दी है।
भारत की ग्रीन एनर्जी योजनाएँ
पीएम सूर्य घर योजना:
10 लाख रूफटॉप सौर ऊर्जा प्रणालियाँ पहले ही स्थापित हो चुकी हैं।
2026 तक 40 लाख और 2027 तक 1 करोड़ घरों को जोड़ने का लक्ष्य।
₹20,000 करोड़ का बजट आवंटन।
पीएम कुसुम योजना:
कृषि क्षेत्र को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए ₹2,600 करोड़ का बजट।
किसानों को नवीकरणीय ऊर्जा से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन:
भारत ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में अग्रणी बनने की तैयारी कर रहा है।
₹600 करोड़ का बजट आवंटित।
ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर:
नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को मजबूत करने के लिए ₹600 करोड़।
सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से ₹20,000 करोड़ जुटाए गए।
बायो-एनर्जी कार्यक्रम:
जैव ईंधन और नवीकरणीय संसाधनों से ऊर्जा उत्पादन के लिए ₹325 करोड़।
भारत की ऊर्जा क्रांति की चुनौतियाँ
पवन ऊर्जा के बजट में गिरावट।
नवीकरणीय ऊर्जा के वित्तपोषण में निरंतर वृद्धि की आवश्यकता।
राष्ट्रीय ग्रिड के आधुनिकीकरण की जरूरत।
निष्कर्ष
भारत ग्रीन एनर्जी और नेट जीरो लक्ष्य की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार की नीतियाँ और बजट आवंटन सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा और बायो-एनर्जी को मजबूती दे रहे हैं। लेकिन पवन ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और ग्रिड आधुनिकीकरण पर और ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि ये कदम उठाए जाएं, तो भारत 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होगा।
By : team atharvaexamwise