परिचय
बीजिंग डिक्लरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन दुनिया भर में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सबसे व्यापक वैश्विक रूपरेखाओं में से एक है। पिछले तीन दशकों में, भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में नीतिगत प्रयासों, जमीनी स्तर पर आंदोलनों और महिलाओं एवं लड़कियों की दृढ़ता के कारण महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हालांकि, लैंगिक-आधारित हिंसा, आर्थिक असमानता और डिजिटल विभाजन जैसी चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। यह ब्लॉग भारत की नारीवादी यात्रा को विस्तार से बताएगा और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालेगा।
बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन: एक ऐतिहासिक मोड़
1995 में बीजिंग सम्मेलन में 189 देशों के नेताओं ने महिलाओं की समानता को बढ़ावा देने के लिए 12 प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की, जिनमें गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, आर्थिक सशक्तिकरण और नेतृत्व में भागीदारी शामिल थे। इस बैठक में 200 से अधिक भारतीय महिलाएँ और भारत सरकार ने भाग लिया, जिससे देश में महिला सुधारों की नींव पड़ी।
महिला सशक्तिकरण में प्रमुख उपलब्धियाँ
1. मातृत्व और प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से संस्थागत प्रसव दर 95% तक बढ़ गई है।
मातृ मृत्यु दर 2014 से 2020 के बीच 130 से घटकर 97 प्रति 1,00,000 जन्म रह गई है।
56.5% विवाहित महिलाएँ अब आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग कर रही हैं, जिससे वे अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर अधिक नियंत्रण रख सकती हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, जो दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी वित्तपोषित स्वास्थ्य योजना है, ने लाखों महिलाओं को निःशुल्क चिकित्सा उपचार प्रदान किया है।
2. महिलाओं की शिक्षा और कौशल विकास
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना ने बाल लिंगानुपात में सुधार किया और लड़कियों के स्कूल नामांकन को बढ़ावा दिया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी को बढ़ावा दिया।
यूनिसेफ समर्थित स्वच्छता कार्यक्रमों ने मासिक धर्म संबंधी अनुपस्थितियों को कम किया, जिससे किशोरियों की लगातार शिक्षा सुनिश्चित हो सकी।
3. महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन
राष्ट्रीय ग्रामीण और शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से 100 मिलियन महिलाएँ वित्तीय नेटवर्क से जुड़ीं और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के जरिए उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता मिली।
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने डिजिटल वित्तीय लेनदेन को आसान बना दिया है, जिससे महिलाएँ बचत और निवेश में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने 100 मिलियन ग्रामीण महिलाओं को क्रेडिट, रोजगार के अवसर और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों से जोड़ा।
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत 35 मिलियन ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल साक्षरता में प्रशिक्षित किया गया, जिससे डिजिटल लैंगिक विभाजन को कम किया गया।
4. लैंगिक-उत्तरदायी बजटिंग
लैंगिक बजट का आवंटन 2024-25 में 6.8% से बढ़कर 2025-26 में 8.8% हो गया है।
कुल $55.2 बिलियन अब महिला-विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए समर्पित किए गए हैं, जो लैंगिक समानता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
लैंगिक-आधारित हिंसा की रोकथाम
हालांकि प्रगति हुई है, लैंगिक-आधारित हिंसा अब भी एक महत्वपूर्ण समस्या बनी हुई है:
770 वन-स्टॉप सेंटर (OSCs) स्थापित किए गए हैं, जो चिकित्सा, कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करते हैं।
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) 2023, जो जुलाई 2024 में लागू हुई, ने महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा को मजबूत किया।
ओडिशा का ब्लॉकचेन-आधारित सिस्टम पीड़ितों को तेजी से और गोपनीय सहायता प्रदान करता है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) और राजस्थान पुलिस अकादमी के सहयोग से लैंगिक-संवेदनशील पुलिसिंग को बढ़ावा दिया गया है।
महिलाओं की नेतृत्व और शासन में भागीदारी
महिला आरक्षण विधेयक ने 33% विधायी प्रतिनिधित्व की गारंटी दी।
भारत में अब 1.5 मिलियन महिला नेता स्थानीय शासन में कार्यरत हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा महिला नेतृत्व समूह है।
GATI (Gender Advancement for Transforming Institutions) परियोजना और G20 TechEquity प्लेटफॉर्म के तहत महिलाओं की STEM और तकनीकी क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाई गई है।
भविष्य की राह: एक सशक्त नारीवादी दृष्टिकोण
बीजिंग डिक्लरेशन की 30वीं वर्षगांठ हमें याद दिलाती है कि लैंगिक समानता केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं है—यह एक वैश्विक आवश्यकता है। भारत की प्रगति मजबूत सरकारी पहलों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और जमीनी आंदोलनों द्वारा समर्थित रही है, लेकिन अभी और सुधार की आवश्यकता है:
युवतियों के नेतृत्व को मजबूत करना
डिजिटल लैंगिक विभाजन को समाप्त करना
आर्थिक और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना
कानूनी प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना
लैंगिक-उत्तरदायी नीतियों को मजबूत करना
निष्कर्ष
भारत बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन को एक मार्गदर्शक रूपरेखा के रूप में अपनाते हुए लैंगिक समानता की दिशा में मजबूत कदम उठा रहा है। महिलाओं के नेतृत्व, आर्थिक समावेशन और सामाजिक परिवर्तन में निवेश करके, भारत समावेशी विकास का वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है।
अब समय आ गया है कि हम महिलाओं के नेतृत्व को मजबूत करें और एक वास्तविक नारीवादी भविष्य की ओर बढ़ें।
"भारत में लैंगिक समानता की दिशा में हुई प्रगति, महिलाओं के सशक्तिकरण में सरकार की भूमिका और भविष्य के लिए आवश्यक कदमों पर विस्तृत जानकारी।"
अधिक जानकारी के लिए UN Women पर जाएँ।
By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise