भारत में सिविल सेवा: प्रमुख चुनौतियाँ, सुधार एवं कार्यप्रणाली | करेंट अफेयर्स मार्च 2025

भारत में सिविल सेवा: चुनौतियाँ, कार्यप्रणाली और आगे का रास्ता

भारतीय सिविल सेवाओं के बदलते परिदृश्य की जानकारी हर अभ्यर्थी के लिए बेहद जरूरी है। यह Atharva Examwise करेंट न्यूज़ अपडेट "करेंट अफेयर्स मार्च 2025" और "डेली जीके अपडेट" की तैयारी के लिए सिविल सेवाओं से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों, कार्यप्रणाली और सुधारों को कवर करता है।

सिविल सेवा क्या है और इनकी भूमिका क्या है?

सिविल सेवाएँ भारत के लोकतांत्रिक प्रशासन की रीढ़ हैं, जो नीतियों के क्रियान्वयन, निरंतरता और स्थिरता को सुनिश्चित करती हैं। इनकी मुख्य भूमिकाएँ हैं:

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना

केंद्र और राज्यों में सत्ता का सुचारू हस्तांतरण सुनिश्चित करना

कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और कानून-व्यवस्था बनाए रखना

सरकार और नागरिकों के बीच सेतु का कार्य करना

नौकरशाही के तहत कार्य करने वाले ढाँचे

भारतीय नौकरशाही एक पदानुक्रमित संरचना में कार्य करती है, जो निम्नलिखित से संचालित होती है:

मेरिट-आधारित भर्ती: UPSC जैसी परीक्षाओं के माध्यम से चयन, जिससे योग्य और निष्पक्ष अधिकारी मिलते हैं।

कानून का शासन: संवैधानिक प्रावधानों, कानूनों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के तहत कार्य करना।

संघीय ढाँचा: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय से नीतियों का क्रियान्वयन।

मेरिट सिस्टम बनाम स्पॉइल्स सिस्टम

मेरिट सिस्टम: नियुक्तियाँ प्रतियोगी परीक्षाओं और स्वतंत्र मूल्यांकन के आधार पर होती हैं, जिससे निष्पक्षता और पेशेवराना रवैया सुनिश्चित होता है। यह प्रणाली राजनीतिक प्रभाव से नौकरशाही को दूर रखने के लिए बनाई गई है।

स्पॉइल्स सिस्टम: नियुक्तियाँ राजनीतिक निष्ठा के आधार पर होती हैं, जिससे पक्षपात और अक्षमता की संभावना बढ़ जाती है। भारत में मुख्यतः मेरिट सिस्टम अपनाया गया है।

भारतीय सिविल सेवाओं के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, सिविल सेवाएँ कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं:

निष्पक्षता का क्षरण: पोस्टिंग और ट्रांसफर में बढ़ती राजनीतिक दखलअंदाजी से निष्पक्षता कम हो रही है।

विशेषज्ञता की कमी: सामान्य प्रशासनिक अधिकारी तकनीकी चुनौतियों के समाधान के लिए आवश्यक विशेषज्ञता से वंचित हो सकते हैं।

भ्रष्टाचार और अक्षमता: व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और प्रशासनिक जटिलताएँ सेवा वितरण में बाधा डालती हैं।

अधिकारों का केंद्रीकरण: शीर्ष स्तर पर अत्यधिक शक्ति के केंद्रीकरण से अधिकारियों की स्वायत्तता और नवाचार घटता है।

परिवर्तन का विरोध: नौकरशाही की जड़ता आवश्यक सुधारों को धीमा कर देती है।

प्रमुख सुधार और आगे की दिशा

इन चुनौतियों के समाधान के लिए कई सुधार प्रस्तावित और लागू किए जा रहे हैं:

लेट्रल एंट्री: वरिष्ठ स्तर पर डोमेन विशेषज्ञों की नियुक्ति से विशेषज्ञता और नई सोच का समावेश।

मिशन कर्मयोगी: सिविल सेवकों के लिए निरंतर क्षमता निर्माण और डिजिटल लर्निंग।

प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन: पारदर्शी, 360-डिग्री मूल्यांकन प्रणाली की ओर बढ़ना।

विकेंद्रीकरण: स्थानीय शासन को सशक्त बनाना और अत्यधिक केंद्रीकरण को कम करना।

नैतिकता और जवाबदेही को मजबूत करना: पारदर्शिता, नागरिक चार्टर और मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली को बढ़ावा देना।

परिणाम-आधारित शासन: प्रक्रियागत अनुपालन से हटकर मापनीय परिणामों पर ध्यान केंद्रित करना।

आसान रिवीजन के लिए मुख्य बिंदु

सिविल सेवाएँ नीति क्रियान्वयन, निरंतरता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक हैं।

मेरिट सिस्टम निष्पक्षता सुनिश्चित करता है, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ रहा है।

विशेषज्ञता की कमी और व्यापक भ्रष्टाचार प्रमुख बाधाएँ हैं।

लेटरल एंट्री, मिशन कर्मयोगी, और प्रदर्शन-आधारित प्रोन्नति जैसे सुधार जारी हैं।

विकेंद्रीकरण और परिणाम-आधारित शासन भविष्य की मुख्य दिशा है।

परीक्षाओं के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?

भारतीय सिविल सेवाओं की कार्यप्रणाली, चुनौतियाँ और सुधार UPSC, SSC, बैंकिंग जैसी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं। प्रश्न केवल तथ्यात्मक नहीं, बल्कि विश्लेषणात्मक भी होते हैं-जिनमें आपसे सुधारों के सुझाव और बेहतर प्रशासन के उपाय पूछे जा सकते हैं। Atharva Examwise के साथ "competitive exam news" और डेली करेंट अफेयर्स अपडेट्स पाते रहें।

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