भारत में गरीबी उन्मूलन की ऐतिहासिक यात्रा: 1995 से 2024 तक का बदलाव

भारत में गरीबी की स्थिति: 1995 बनाम 2024

1995 में, विश्व बैंक के अनुसार, भारत की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी। लेकिन बीते तीस सालों में भारत ने गरीबी उन्मूलन में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अब सिर्फ 1% भारतीय परिवार गरीबी की अंतरराष्ट्रीय रेखा (2.15 डॉलर प्रति दिन) से नीचे हैं

भारत ने इस सफलता को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में किसी बड़े चमत्कार के बिना ही प्राप्त किया है, जिससे यह धारणा टूट गई कि गरीबी उन्मूलन के लिए औद्योगीकरण अनिवार्य है। भारत में 40% से अधिक कामगार आज भी कृषि पर निर्भर हैं, फिर भी उन्होंने गरीबी से बाहर निकलने में सफलता पाई है।

भारत में गरीबी उन्मूलन के प्रमुख कारण

1️⃣ कृषि आधारित जीवनशैली में सुधार

✔ ग्रामीण इलाकों में खेती की उत्पादकता में वृद्धि और मजदूरी दरों में सुधार ने लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद की।
✔ भूमि, पैदावार और ग्रामीण मजदूरी में मामूली सुधार भी गरीब तबके के लिए बेहतर जीवन स्तर लाने में सहायक रहा।

2️⃣ शहरों की ओर पलायन (Migration to Cities)

✔ चीन, इंडोनेशिया, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका के सर्वेक्षणों में पाया गया कि शहरों की ओर पलायन ने गरीबी कम करने में बड़ी भूमिका निभाई
✔ गांवों से शहरों में काम की तलाश में जाने वाले लोगों ने कारखानों, निर्माण स्थलों और सेवा क्षेत्रों में रोजगार पाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की
✔ इसके परिणामस्वरूप, गांवों में श्रमिकों की मांग और उनकी मजदूरी बढ़ी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली।

3️⃣ सरकारी योजनाओं और सुधारों का असर

मनरेगा (MGNREGA), जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी योजनाओं ने गरीबों को आर्थिक स्थिरता प्रदान की।
✔ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और राशन योजनाओं के कारण खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ और गरीब परिवारों को सस्ते दामों पर अनाज उपलब्ध कराया गया।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने नए रोजगार के अवसरों को जन्म दिया, जिससे गरीबी उन्मूलन को बल मिला।

4️⃣ नई पीढ़ी की आर्थिक प्रगति

✔ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, वर्तमान पीढ़ी पहले की तुलना में अधिक सशक्त है।
✔ युवाओं को बेहतर शिक्षा और पोषण मिला, जिससे उन्होंने बेहतर रोजगार और व्यवसायिक अवसरों का लाभ उठाया
हर पीढ़ी का जीवन स्तर पिछले जनरेशन की तुलना में ऊंचा रहा, हालांकि किसी विशेष वर्ष में माता-पिता और संतानों के जीवन स्तर में कोई बड़ा अंतर नहीं देखा गया।

गरीबी की नई परिभाषा की मांग

  • IMF के पूर्व कार्यकारी निदेशक सुरजीत भल्ला और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के करन भसीन के अनुसार, अब भारत में 2.15 डॉलर की गरीबी रेखा कोई अर्थ नहीं रखती, क्योंकि लगभग हर भारतीय इससे ऊपर उठ चुका है।
  • वे नई गरीबी रेखा की सिफारिश करते हैं, जिससे भारत की वास्तविक प्रगति को मापा जा सके।

भारत में गरीबी उन्मूलन: एक प्रेरणादायक बदलाव

📌 1995 के भारत का दृश्य:

  • गांवों में घास-फूस की झोपड़ियां, नंगे पैर घूमते बुजुर्ग और कुपोषण से ग्रसित बच्चे
  • मजदूरों को दिनभर की मेहनत के बदले सिर्फ डेढ़ किलो अनाज मिलता था।
  • सर्द रातों में लोग सूखे पत्तों का बिस्तर बनाकर सोते थे

📌 2024 के भारत का दृश्य:

  • वही ग्रामीण अब जमीन के मालिक हैं, उनके घर पक्के हैं और उनके बच्चे शिक्षित हैं
  • कई लोग कृषि छोड़कर व्यवसाय, सेवा और निर्माण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं
  • कृषि क्षेत्र में भी तकनीकी सुधारों और सरकारी सहायता ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है

निष्कर्ष: भारत का भविष्य और गरीबी उन्मूलन की नई दिशा

📌 भारत ने पिछले 30 वर्षों में बिना बड़े औद्योगीकरण के गरीबी उन्मूलन में ऐतिहासिक सफलता हासिल की
📌 शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि सुधार और आर्थिक स्थिरता ने गरीबी कम करने में अहम भूमिका निभाई
📌 शहरीकरण और सरकारी योजनाओं ने ग्रामीणों की आय बढ़ाने में सहायता की
📌 अब भारत को गरीबी की नई परिभाषा की जरूरत है, ताकि विकास को नए स्तर पर मापा जा सके।

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By Atharva Examwise #atharvaexamwise