अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी: एक संतुलित दृष्टिकोण

परिचय

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन इसके साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी उतनी ही आवश्यक है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 19(1) के तहत यह स्वतंत्रता मौलिक अधिकार के रूप में दी गई है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) के तहत कुछ आवश्यक प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। यह प्रतिबंध समाज में नैतिकता और सदाचार बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी सीमाएँ

समाज की स्थिरता के लिए कुछ नैतिक और कानूनी शर्तें आवश्यक होती हैं। इतिहास में कई दार्शनिकों ने इस पर विचार किया है, जिसमें जेरमी बेंथम का 'सबके लिए सबसे बड़ा सुख' (Greatest Happiness for the Greatest Number) का सिद्धांत प्रमुख है। भारत के संविधान-निर्माताओं ने इसी तर्ज पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार तो माना, लेकिन साथ ही समाज के नैतिक और शिष्टाचार से जुड़े प्रतिबंधों को भी आवश्यक बताया।

संवैधानिक प्रावधान:

  1. अनुच्छेद 19(1): भारतीय नागरिकों को अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिकार देता है।
  2. अनुच्छेद 19(2): इस अधिकार को कुछ सीमाओं के तहत रखा गया है, जिनमें शिष्टाचार और सदाचार का उल्लंघन न करना शामिल है।
  3. डॉक्ट्रिन ऑफ कंटेम्पररी कम्युनिटी स्टैंडर्ड्स: यह सिद्धांत समाज के बदलते मूल्यों के अनुसार अभिव्यक्ति की सीमाओं को निर्धारित करता है, लेकिन सदाचार के मूलभूत नियमों को कभी भी कमजोर नहीं किया गया है।

मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी की आवश्यकता

आज के समय में सोशल मीडिया, यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति के सबसे बड़े माध्यम बन चुके हैं। हालांकि, सहज और सर्वसुलभ तकनीकी के कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गलत उपयोग भी बढ़ रहा है।

समस्याएँ:

  • फूहड़ और अनैतिक कंटेंट का प्रसार
  • गलत सूचनाओं का प्रचार-प्रसार
  • नैतिकता और कानूनी जिम्मेदारियों की अनदेखी

यूट्यूबर्स, पत्रकारों और अन्य डिजिटल क्रिएटर्स को यह समझना होगा कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ कंटेंट बनाना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश देना भी है।

क्या कहता है कानून?

भारत में मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करने के लिए कई कानून मौजूद हैं, जैसे:

  • आईटी एक्ट 2000: डिजिटल सामग्री के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाए गए नियम।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A: धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कंटेंट पर प्रतिबंध।
  • इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गाइडलाइंस: सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए लागू दिशा-निर्देश।

यूट्यूबर्स और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए दिशानिर्देश

  1. उत्तरदायी अभिव्यक्ति: ऐसा कंटेंट बनाएं जो समाज को शिक्षित और प्रेरित करे।
  2. फैक्ट-चेकिंग: किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसकी सत्यता जांचें।
  3. नैतिकता और शिष्टाचार: अनैतिक, भ्रामक और समाज-विरोधी कंटेंट से बचें।
  4. सकारात्मक संदेश: समाज में अच्छे मूल्यों को बढ़ावा दें और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दें।

निष्कर्ष

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन यह अनियंत्रित नहीं हो सकती। समाज और कानून की मर्यादाओं का पालन करते हुए ही इसका सही उपयोग संभव है। यूट्यूबर्स, पत्रकारों और अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं को यह समझना होगा कि वे जो भी प्रस्तुत करते हैं, उसका समाज पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए, जिम्मेदार अभिव्यक्ति को प्राथमिकता देना ही सही दिशा होगी।

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By Team Atharva examwise #atharvaexamwise