मनरेगा: भारत की अनूठी रोजगार गारंटी योजना

कहीं दुष्चक्र में न फंस जाए मनरेगा: रोजगार की गारंटी की रक्षा करें

अगर भारत को किसी एक पहल के लिए "विश्वगुरु" कहा जाए, तो वह मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) होगी। यह दुनिया में अपनी तरह की एकमात्र योजना है, जो ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी प्रदान करती है। कई देश इस मॉडल को अपनाने पर विचार कर रहे हैं।

मनरेगा की शुरुआती सफलता और प्रभाव

मनरेगा के पहले पांच साल (2006-2011) ऊर्जा और उम्मीद से भरे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों, खासकर महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को रोजगार मिला। 2011-12 तक 5 करोड़ परिवार इस योजना से जुड़ चुके थे और हर परिवार को औसतन 40 दिन का काम मिल रहा था। यह योजना आकर्षक थी क्योंकि उस समय मनरेगा की मजदूरी बाजार-दर से अधिक थी।

मनरेगा की वर्तमान स्थिति: संदेह और चुनौतियां

हालांकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मनरेगा पहले से ज्यादा रोजगार दे रही है (300 करोड़ व्यक्ति-दिवस प्रतिवर्ष), लेकिन इसकी सच्चाई को स्वतंत्र सर्वेक्षणों से प्रमाणित नहीं किया जा सकता।

मनरेगा में बढ़ता भ्रष्टाचार: वास्तविकता और चिंता

केंद्र सरकार का दावा है कि आधार-आधारित भुगतान और तकनीकी उपायों ने मनरेगा से भ्रष्टाचार खत्म कर दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है। मनरेगा मजदूरों, कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों के अनुभव बताते हैं कि भ्रष्टाचार बढ़ा है।

भ्रष्टाचार का कारण और समाधान

1. सूचना का अधिकार (RTI) और पारदर्शिता का अभाव

RTI और मनरेगा दोनों 2005 में लागू हुए, लेकिन पारदर्शिता अधूरी रह गई। मनरेगा के रिकॉर्ड सार्वजनिक होते हैं, लेकिन उनकी सत्यता की पुष्टि नहीं की जाती। इस कारण भ्रष्टाचार बढ़ा है।

2. सामाजिक अंकेक्षण (Social Audit) की सीमाएं

सामाजिक अंकेक्षण से पारदर्शिता बढ़ी है, लेकिन इससे पूरी तरह भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ। रिकॉर्ड की जांच करना ही काफी नहीं है, बल्कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

3. मजदूरी भुगतान में देरी और भ्रष्टाचार का दुष्चक्र

मनरेगा के मजदूरों को समय पर भुगतान न मिलने से उनकी रुचि कम हो जाती है, जिससे वे सतर्क नहीं रहते और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। इससे:

वित्त वर्ष के बीच में ही फंड खत्म हो जाता है

मजदूरी भुगतान में और ज्यादा देरी होती है।

मनरेगा एक दुष्चक्र में फंस सकती है

मनरेगा की रक्षा कैसे करें?

1. भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई

अक्सर ग्राम रोजगार सेवक जैसे छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई होती है, जबकि राजनीतिक रूप से जुड़े बड़े भ्रष्ट अधिकारी बच जाते हैं। इसे रोकने के लिए:

पारदर्शिता, सत्यापन और सख्त कार्रवाई जरूरी है।

जन आंदोलनों और मजदूर संगठनों का दबाव बढ़ाना होगा।

2. मजदूरी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना

यदि मजदूरी समय पर मिले, तो मजदूरों की योजना में रुचि बनी रहेगी और वे सतर्क भी रहेंगे। सरकार को चाहिए कि:

मजदूरी भुगतान की समय सीमा तय करे।

भुगतान प्रक्रिया को सरल और तेज बनाए

पंचायती स्तर पर जवाबदेही तय करे

निष्कर्ष: मनरेगा को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत

मनरेगा भारत की सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है। इसे बचाने और सशक्त बनाने के लिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा, मजदूरी भुगतान समय पर सुनिश्चित करना होगा और पारदर्शिता बढ़ानी होगीयदि समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए, तो मनरेगा एक दुष्चक्र में फंस सकती है।

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"मनरेगा भारत की अनूठी रोजगार गारंटी योजना है, लेकिन भ्रष्टाचार और देरी से यह खतरे में है। जानें कैसे पारदर्शिता, सत्यापन और समय पर मजदूरी भुगतान से इसे बचाया जा सकता है।"

By Team Atharva Examwise #atharvaexamwise